50 सीटर छात्रावास में महज दर्जनभर छात्र, फर्जी उपस्थिति दिखाकर बजट का कर रहे बंदरबांट
भदौरा प्री-मैट्रिक आदिवासी छात्रावास का मामला

सीधी/पथरौला. जिले में आदिवासी विकास विभाग की ओर से संचालित किए जाने वाले कुछ छात्रावासों की हालत काफी दयनीय बनी हुई है। ऐसे छात्रावास अधीक्षकों के कमाई का जरिया बनकर रह गए हैं। पचास सीटर छात्रावासों में पंजीयन तो पूरे पचास छात्रों कर लिया जाता है, लेकिन यहां निवास महज दर्जन भर ही छात्रों का रहता है, ऐसे में छात्रों की फर्जी उपस्थिति दर्शाकर बजट डकारने का खेल चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि छात्रावास अधीक्षकों की ओर से ऐसे छात्रों का पंजीयन ही किया जाता है, जो स्कूल अपने घर से ही आ जा सकें, ताकि उनके नाम पर बजट में खेल किया जा सके। जो छात्र रहते भी हैं उन्हें भी अधीक्षकों की मनमानी के चलते सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है।
छात्रावास अधीक्षकों की हो रही चांदी
ऐसा ही एक मामला विगत दिवस पत्रिका के भ्रमण के दौरान प्रकाश में आया है कुसमी जनपद के प्री-मैट्रिक छात्रावास भदौरा का। जहां शाम करीब 5.30 बजे छात्रावास में महज आठ छात्र ही पाए गए, पूंछने पर छात्रो ने अलग-अलग जवाब दिया, किसी ने कहा कि 11 लड़के ही रहते हैं तो किसी ने कहा की बाकी छात्र घर चले गए हैं। वहीं अधीक्षक सहायक अध्यापक मुनिराज शरण जायसवाल के संबंध मे पंूछने पर छात्रों ने बताया कि पड़ोस में ही गृहग्राम है। इसलिए ज्यादातर दिन वहीं से आना जाना होता है, कभी कभार रात्रि विश्राम छात्रावास में भी करते हैं। छात्रों ने छात्रावास के किचेन, बाथरूम, शौचालय आदि की खस्ता हालत दिखाते हुए कहा की चपरासी सामान्य वर्ग का होने के कारण छात्रावास के ज्यादातर काम हम लोगों से ही करवाया जाता है।
ग्रामीणों ने कलेक्टर से लगाई गुहार
वहीं छात्रावास के आसपास काफ ी गंदगी भरा आलम देखा गया। छात्रावास के मुख्य द्वार पर ही पानी जमा हुआ था, तथा कीचड़ भी था। छात्रों द्वारा बताया गया कि खाना व नास्ता आदि भी मीनू के अनुसार नहीं दिया जाता है। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि अधीक्षक छात्रावास में कम समय ही रहते हैं तथा छात्रों की संख्या भी कभी दर्जन भर से ज्यादा नहीं देखी जाती है। बताया गया कि अधीक्षक मुनिराज शरण जायसवाल शासकीय प्राथमिक शाला कतरवार मे पदस्थ हैं, लेकिन इनके द्वारा पठन-पाठन मे भी रुचि नहीं दिखाई जाती है। लिहाजा बच्चों का शैक्षणिक स्तर भी कमजोर है। ग्रामीणों ने छात्रावास का निरीक्षण कर हालत सुधारने की गुहार नवागत जिला कलेक्टर अभिषेक सिंह से लगाई है।
नहीं मिला बजट
जनपद अंतर्गत संचालित छात्रावासों में बरसात के बाद रंग रोगन नहीं हुआ है। जिसके कारण छात्रावासों का रंग फ ीका दिख रहा है। कई अधीक्षकों से रंग रोगन न करवाने का कारण पूछा गया तो इनके द्वारा बताया गया कि चालू शैक्षणिक सत्र मे आदिवासी विकास विभाग द्वारा बजट ही नहीं दिया गया है। और रंग रोगन में ज्यादा खर्च आता है। इसलिए बजट के अभाव में पुताई आदि नहीं करवाई जा सकी है।
अब पाइए अपने शहर ( Sidhi News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज