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करोड़ो रूपए से बनी नालियां दो वर्ष में ही हो गई जर्जर, खेतों तक कैसे पहुंचे पानी

locationसीधीPublished: Feb 17, 2020 12:35:38 pm

Submitted by:

Manoj Kumar Pandey

काड़ा नाली निर्माण के नाम पर जमकर की गई अनियमितता, करोड़ो की नालियां दो वर्ष में ही नहीं बची उपयोग लायक, कई बार शिकायतों के बाद भी केवल जांच तक सिमट कर रह गई कार्रवाई, जल उपभोक्ता संथा अध्यक्षों के साथ, विभागीय अधिकारी भी हुए मालामाल

Drains made from crores of rupees were dilapidated in two years, how t

Drains made from crores of rupees were dilapidated in two years, how t

सीधी। जिले में गुलाब सागर बांध के महान नहर परियोजना की मुख्य नहरों से किसानों के खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाने जाने के लिए जल उपभोक्ता संथाओं के माध्यम से करोड़ों रूपए खर्च कर काड़ा नाली का निर्माण तो कराया गया, लेकिन गुणवत्ता विहीन एवं कमीशनखोरी के कारण दो वर्ष में ही ज्यादातर नालियां धराशाई हो गई हैं। ऐसे में काड़ा नालियों के माध्यम से किसानों के खेतों में सिंचाई का पानी पहुंचाया जाना बेमानी साबित हो रहा है। घटिया नाली निर्माण के दौरान क्षेत्रीय किसानों द्वारा शिकायतों तो खूब की गईं लेकिन कमीशन के बोझ तले दबे जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा किसानों की शिकायतों को तबज्जो नहीं दिया गया, लगातार शिकायतों के बाद कुछ जगह जांच तो करवाई गई लेकिन कार्रवाई नहीं की गई।
उल्लेखनीय है कि गुलाब सागर बांध की नहरों से सिंचाई के दम भरे जा रहे हैं, लेकिन गुलाब सागर बांध की महान नहर के निर्माण में जितना भ्रष्टाचार हुआ है, शायद ही अन्य किसी निर्माण कार्य में हुआ होगा। गुलाब सागर बांध की मुख्य महान नहर हो, माइनर नहर हो या फिर हाल के दो वर्षों में जल उपभोक्ता संथाओं के माध्यम से किसानों के खेतो तक सिंचाई का पानी पहुंचाने के लिए बनाई गई काड़ा नाली का मामला हो, हर निर्माण कार्य में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। मुख्य नहर, माइनर नहर और काड़ा नालियां भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं। जिसका परिणाम अब किसानों को भुगतना पड़ रहा है। या यूं कहें कि किसानों की सुविधा के लिए बनाई गई नहरें उनके लिए अभिशाप बन रही हैं, क्योंकि नहरों के फूटने से हर वर्ष किसानों की सैकड़ो एकड़ फसलें बर्वाद हो रही हैं।
धराशाई नहरें, खेतों तक कैसे पहुंचे पानी-
किसानों को रवी की फ सल के लिए भले ही जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा जिले के सबसे बड़े बांध से फसलों की सिंचाई के लिए पानी देने का वायदा कर रहे हैं। लेकिन जर्जर नहरों व काड़ा नालियों की वजह से बांध से पानी छोडऩे के बाद भी किसानों के खेतों तक सिंचाई के लिए बांध का पानी पहुंच पाना मुस्किल लग रहा है। इसका प्रमुख और एक मात्र कारण गुलाब सागर बांध के महान, माइनरों से किसानों के खेतों तक बनाई गई नालियों का पूरी तरह जर्जर हो जाना है।
करोड़ो के कार्य में जमकर मनमानी-
जल उपभोक्ता संथाओं के माध्यम से बीते तीन वर्ष में पांच करोड़ से अधिक लागत के काड़ा नालियों का निर्माण किया गया है, लेकिन इन नालियों की स्थिति का जायजा लिया जाए तो शायद ही ऐसा कोई स्थल मिले जहां नालियों की स्थिति ठीक हो, क्योंकि ज्यादातर नालियां पूरी तरह से जर्जर और धराशाई हो चुकी हैं। गुणवत्ता विहीन नालियों का निर्माण कर जल उपभोक्ता संथाओं के अध्यक्ष, सदस्य सहित कमीशन लेकन तत्कालीन एसडीओ और उपयंत्री सहित अधिकारी भी मालामाल हुए, लेकिन जिनके लिए नालियों का निर्माण किया गया, उन्हें इन नालियों का लाभ नहीं मिल पाया।
तीन वर्ष पूर्व हुआ था संथाओं का गठन-
गुलाब सागर बांध के महान नहरों के तहत करीब एक दर्जन से अधिक जल उपभोक्ता संथाओं का गठन किया गया था, संथाओं के गठन में सदस्यों का निर्वाचन संपन्न कराया गया था, इसके बाद सदस्यों के माध्यम से अध्यक्ष का निर्वाचन हुआ था। गठन के छ: माह बाद से ही संथाओं के माध्यम से काड़ा नालियों का निर्माण शुरू हुआ और इसमें कमीशनवाजी व गुणवत्ता विहीन कार्य के साथ नाली निर्माण को कमाई का जरिया बना लिया गया।
इन संथाओं में सर्वाधिक मनमानी-
वैसे तो जिले के सभी जल उपभोक्ता संथा अंतर्गत काड़ा नाली निर्माण में जमकर भर्रेशाही की गई है, लेकिन सर्वाधिक मनमानी जल उपभोक्ता संथा कनकटी, गुजरेड़, बढ़ौरा, मनकीशर, बोकरो मे सामने आ रही है। इस क्षेत्र मेें संथाओं के माध्यम से करोड़ो रूपए के काड़ा नाली का निर्माण किसानों के खेतों में किया गया है, लेकिन दो वर्ष में ही करीब सत्तर फीसदी से अधिक काड़ा नालियां धराशाई हो चुकी हैं।

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