वर्ष 2015-16 में विभिन्न समितियों के सभापतियों के प्रस्ताव पर राज्य वित्त आयोग व मनरेगा संलग्नीकरण से 2 करोड़ 5 लाख 66 हजार की लागत से निर्माण कार्यों को प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी। इनमें से राज्य वित्त आयोग मद से 1 करोड़ 19 लाख 12 हजार और मनरेगा से 13 लाख 74 हजार रुपए का बजट शामिल किया गया था। पहली किस्त के रूप में 19 लाख 2 हजार जारी भी किए गए। प्राप्त राशि से ग्राम पंचायतों ने निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया, लेकिन दूसरी किस्त न मिलने से इसे आगे नहीं बढ़ पाईं। दूसरी किस्त के लिए मांग पत्र भी प्रस्तुत किया, लेकिन दो वर्ष बाद भी खाते में राशि नहीं पहुंची।
जिला प्रशासन के आला अधिकारी राज्य शासन से बजट न मिलने की बात कर मामले से पल्ला झाड़ ले रहे हैं, लेकिन करीब एक करोड़ की लागत से कराए गए ये निर्माण पूरे नहीं हुए तो शासन का बजट बेकार ही जाएगा। भोपाल स्तर से भी कोई खास प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
2 करोड़ 5 लाख 66 हजार की लागत से 47 निर्माण कार्य स्वीकृत किए गए थे। इसमें से सीधी जनपद अंतर्गत १४, सिहावल १४, रामपुर नैकिन में १२, मझौली में ५ और कुसमी जनपद अंतर्गत 2 निर्माण कार्य यानी जिले में कुल ४७ निर्माण कार्य स्वीकृत कराए गए थे। इनमें से ज्यादातर निर्माण कार्य पंचायतों ने शुरू करा दिए हैं, लेकिन दूसरी किश्त जारी न होने से इनका निर्माण आगे नहीं बढ़ पाया। दो वर्ष से ये अस्तित्व खोते नजर आ रहे हैं।