1983 से राजनीति में कदम रखा। चुरहट उपचुनाव में पहली बार 1985 में विधायक बने। फिर 1990, 1998, 2003, 2008, 2013 में विधायक चुने गए। 2018 विधानसभा चुनाव मे हार का सामना करना पड़ा। 1993 में सुंदरलाल पटवा के खिलाफ भोजपुर से चुनाव लड़े पर हार गए। अजय सिंह के दादा विंध्य प्रदेश में मंत्री, पिता स्वर्गीय अर्जुन सिंह तीन बार मप्र के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, पंजाब के राज्यपाल रह चुके है।
रीति पाठक को वर्ष 2014 में भाजपा द्वारा सीधी संसदीय क्षेत्र में पहली बार बतौर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा गया था। जिसमें वे एक लाख आठ हजार से ज्यादा मतों से कांग्रेस प्रत्याशी इंद्रजीत कुमार को पराजित कर सांसद निर्वाचित हुईं। यही कारण है कि भाजपा ने दूसरी बार भी इन पर विश्वास जताया है। रीति पाठक की स्वयं की मेहतन व पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच पैठ का लाभ टिकट दिलवाने में मिला है। सांसद रीति पाठक का परिवार राजनीति से दूर रहा है, वह पहली बार पंचायती चुनाव में आईं और पहली बार वह जिला पंचायत अध्यक्ष के रास्ते लोकसभा के सदन तक पहुंचने में कामयाब रहीं।
– गोंड़- 37 प्रतिशत
– ओबीसी 28 प्रतिशत
– एससी 13 प्रतिशत
– ब्राह्मण 09 प्रतिशत
– क्षत्रिय 07 प्रतिशत
– अल्पसंख्यक 3.2 प्रतिशत