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गजब, बिजली चोरी की भरपाई ईमानदार उपभोक्ताओं से

locationसीधीPublished: Sep 23, 2020 05:26:47 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-जिले में हर महीने 50 फीसद तक लाइन लॉस

बिजली चोरी (प्रतीकात्मक फोटो)

बिजली चोरी (प्रतीकात्मक फोटो)

सीधी. जिले में बिजली विभाग अपनी मनमानी पर उतारू है। अपनी खामियों को दुरुस्त करने की बजाय विभाग उसका हर्जाना उपभोक्ताओं से वसूल रहा है। इससे आम उपभोक्ता परेशान हैं।

बिजली चोरी समूचे उत्तर भारत में विद्युत वितरण कंपनियों के लिए सिरदर्द बना है। लेकिन बिजली चोरी क्यों हो रही है, कौन लोग हैं जो बिजली चोरी कर रहे हैं। इसके लिए जिम्मेदार कौन है। कहीं विभागीय अधिकारी या कर्मचारी तो बिजली चोरी को बढ़ावा तो नहीं दे रहे। इन मसलों पर गौर फरमा कर व्यवस्था दुरुस्त करने की बजाय कंपनियां आम उपभोक्ताओं पर बिजली चोरी को लाइन लॉस बता कर जबरन वसूल रही है।
बता दें कि जिले में कुल 2.40 लाख वैध बिजली उपभोक्ता हैं। अब लाइन लॉस या बिजली चोरी के चलते कंपनी के समक्ष मांग और आपूर्ति के लिहाज से संपूर्ण राजस्व की प्राप्ति नहीं हो रही। बताया जा रहा है कि हर महीने कंपनी को तकरीबन 50 फीसदी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में कंपनी इसकी भरपाई आम ईमानदार उपभोक्ताओं से वसूली करके कर रहा है। बताया जा रहा है कि हर महीने करीब 45-50 फीसद तक लाइन लॉस हो रहा है।
वैसे भी बिजली विभाग बारिश के महीने को ऑफ सीजन मानकर चलता है। लेकिन अब बारिश कम होने के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में पंप से हो रही सिंचाई को विभाग लाइन लॉस से जोड़ कर देख रहा है। तर्क यह दिया जा रहा है कि अगर उपभोक्ता 8 घंटे बिजली का उपयोग करें तो लाइन लॉस घट सकता है लेकिन बिजली रहने पर 24 घंटे मोटर पंप का चलना संदेह पैदा करता है।
सिंचाई के लिए अस्थाई कनेक्शन लेने पर विभाग यह मानकर चलता है कि 100 यूनिट तक ही बिजली महीने भर में खर्च होगी लेकिन एक हार्स पावर वाले मोटर पंप भी महीने भर में करीब 12 सौ यूनिट बिजली खपा डालते हैं। सिंचाई की बढ़ती मांग के कारण ही अक्सर बिजली आपूर्ति पर भी असर पड़ते देखा जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बीच-बीच में गुल होने वाली बिजली के पीछे लोड बढऩा प्रमुख कारण माना जाता है।
कटिया फंसाकर ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली बिजली चोरी सबसे बड़े घाटे की वजह बनी हुई है। दरअसल में ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात बिजली कर्मचारी ऊपरी कमाई के चक्कर में बिजली चोरी को नजर अंदाज करते रहते हैं। कार्रवाई उन्हीं के खिलाफ होती है जो इन कर्मचारियों के झांसे में नहीं आते।
राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत जिले के अधिकांश तारों को बदल दिया गया है। इन नंगे तारों की जगह एबीसी (एरियल बंच कंडक्टर) लगा दिया गया है जिससे कटियामारी आसान नहीं। लेकिन इसके बाद भी चोरी रुक नहीं रही। वैसे चोरी का तरीका भी विभाग से ही बताया जाता है। ऐसे में यहां भी रसूखदारों की मौज है।

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