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आजादी के सात दशक बाद भी नहीं हो पाई पेयजल की समुचित व्यवस्था, नदी-नाले का पानी पीने को मजबूर ग्रामीण

कुसमी व मझौली विकासखंड के कई गांवों में नदी का पानी पी रहे ग्रामीण, नदी का असुद्ध पानी पीने से बढ़ा बीमारियों का खतरा, ध्यान नहीं दे रहे जिम्मेदार

सीधीFeb 16, 2020 / 12:22 pm

Manoj Kumar Pandey

Even after seven decades of independence, proper arrangement of drinki

सीधी। देश को आजाद हुए सात दशक से अधिक का समय बीत चुका है, देश के प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया बनाने में जुटे हंंै, देश में कैशलेश व्यवस्था बनाए जाने की ओर कदम बढ़ाए जा रहे हैं, लेकिन सीधी जिले के कई दूरस्थ गांव ऐसे हैं जहां मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई हैं। मूलभूत सुुविधाओं की बात तो दूर कई गांव ऐसे हैं जहां आज तक पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं हो पाई है, पेयजल की व्यवस्था न होने से ग्रामीण नदी का पानी पीने को मजबूर हैं। नदी का अशुद्ध पानी पीने से ग्रामीणों को विभिन्न प्रकार की संक्रामक बीमारी की चपेट में आने का खतरा बना हुआ है।
जी हां! हम बात कर रहे हैं जिले के दूरस्थ कुसमी एवं मझौली अंचल के कुछ ग्रामों की जहां जल स्तर नीचे जाने से कुओं का पानी सूख चुका है, बस्तियों में हैंडपंप न होने से ग्रामीण पास के ही नदियों में जाकर पीने सहित अन्य उपयोग के लिए पानी लाते हैं। ग्रामीणों द्वारा नदी से लाए गए पानी को छाना जाता है, और उबालकर उसे पीने के रूप में उपयोग किया जाता है। कुछ ग्रामीण तो बगैर उबाले ही नदी का पानी पीने के रूप में उपयोग कर रहे हैं।
इन ग्रामों में नदी का पानी पीते हैं ग्रामीण-
जिले के मझौली विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत अमहिया के ग्राम अमहा, धनौर एवं
ग्राम पंचायत नदहा के ग्राम सोनवर्षा निवासी हरिजन एवं आदिवासी करीब बीस से अधिक परिवार गांव के पास बहने वाली नदी से पानी पीने को मजबूर हैं। इनमे से कुछ परिवार नहर व बावली का भी पानी पी रहे हैं। इन ग्रामीणों को नदी से पानी लेने जाने के लिए करीब एक से दो किमी का सफर भी तय करना पड़ता है।
सुबह से लग जाते हंै पानी की व्यवस्था में-
बताया गया कि यहां के रहवासियों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती पानी की व्यवस्था करना रहता है। परिवार के सभी सदस्य नहाने व कपड़ा धोने के लिए नदी में ही जाते हैं, जबकि पीने के लिए पानी घर तक सिर में टंकी या बाल्टी रखकर लाना पड़ता है, घर की महिलाएं सुबह से ही इस कार्य में जुट जाती हैं।
चुनाव के समय नेता वायदा कर भूल जाते हैं-
नदियों का पानी पीने वाले परिवारों ने बताया कि हमारी बस्ती में नेता चुनाव के समय ही आते हैं, उनके सामने हम लोगों द्वारा पेयजल की समस्या रखी जाती है तो वह हैंडपंप आदि का आश्वासन देकर चले जाते हैं, दुबारा वह चुनाव के समय ही आते हैं, बीच में उनके दर्शन नहीं होते।
ग्रामीणों ने सुनाया दर्द-
……पिछले करीब बीस वर्ष से पानी की समस्या बनी हुई है, नदी, नाले का पानी पीने के रूप में उपयोग करना मजबूरी बनी हुई है, कई सरकारें आई गई लेकिन हमारे यहां पानी की समस्या का समाधान नहीं हो पाया।
शिवकली साकेत, अमहिया
……..हमारी बस्ती में पेयजल के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है, बीस वर्ष से समस्या बनी हुई है, नदी नाले का दूषित पानी पीने से लोग बीमार पड़ जाते हैं, हैजा कालरा सहित अन्य प्रकार की बीमारी से परिवार के सदस्य ग्रसित होते रहते हैं।
बाबूलाल कोल, अमहिया
………यहां चुनाव के समय नेता आते हैं तो वादा करके चले जाते हैं, लेकिन आज तक हमारी बस्ती में एक हैंडपंप तक की व्यवस्था नहीं हो पाई। बस्ती के करीब दस से अधिक परिवार नदी नाले व नहर का पानी पीने को मजबूर हैं।
संतोष केवट, अमहा
तत्काल बनाई जाएगी पेयजल की व्यवस्था-
उक्त ग्राम में कल ही अधिकारियों को भेजा जाएगा, पहले तो यह दिखवाया जाएगा कि वहां हैंडपंप सफल हैं या नहीं, यदि हैंडपंप सफल हैं तो हैंडपंप उत्खनन कराया जाएगा, यदि हैंडपंप सफल नहीं है तो अन्य व्यस्था के तहत पेयजल की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी।
रवींद्र कुमार चौधरी, कलेक्टर सीधी

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