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मप्र: कर्जमाफी की घोषणा से पहले आपात्रों को बांटे गए ऋण, समिति अध्यक्ष ने कलेक्टर को पत्र लिखकर किया खुलासा

सीधी जिले के भरतपुर सहकारी समिति में सामने आए आधा सैकड़ा फर्जी ऋण वितरण के मामले

सीधीFeb 12, 2019 / 04:32 am

Sonelal kushwaha

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सीधी. जिले की भरतपुर सहकारी समिति में करीब आधा सैकड़ा किसानों के नाम पर फर्जी ऋण वितरण का मामला प्रकाश में आया है। आरोप है कि यहां पदस्थ अमले और समिति प्रबंधक ने फसल ऋणमाफी का लाभ लेने के लिए यह पूरा खेल किया है। समिति अध्यक्ष ने मामले की शिकायत कलेक्टर अभिषेक सिंह से की है। उन्होंने मामले की जांच कराते हुए दोषी अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है।
पंचायतों में चस्पा की सूची
शिकायत में बताया गया कि इस फर्जीवाड़े में समिति में कई ऐसे किसानों के नाम शामिल किए गए हैं। जिन्होंने इससे पहले कभी कर्ज के लिए आवेदन नहीं किया। पंचायतों में चस्पा सूची के आधार पर जबरन ऋणी बने किसानों द्वारा इस बात का पुरजोर विरोध किया जा रहा है। सेवा सहकारी समिति भरतपुर मे भूमिहीन किसानों को भी काफी ऋण का वितरण किया गया है। जिन व्यक्तियों के नाम एक इंच जमीन भी नही है उन्हें भी लाखों का कर्ज वितरण किए जाने के मामले भी प्रकाश में आ रहे हैं। ऋण घोटालों के नाम पर सबसे ज्यादा चर्चित सेवा सहकारी समिति भरतपुर की अगर ऋणी किसानों की जांच की जाय तो करोड़ों का घोटाला सामने आ सकता है। समिति प्रबंधक व अध्यक्ष मिलकर किसानों के नाम पर ऋण स्वीकृत कर करोड़ों का घोटाला किया है।
इन किसानों को बनाया मोहरा
उक्त समिति ने खरहना निवासी जमुना पांडेय पिता रामविशाल के नाम 15 हजार 362, संतोष ङ्क्षसह बरगाही पिता रामाधार सिंह के नाम 10 हजार 312 रुपए, संपत गुप्ता पिता बृजवासीलाल ग्राम रैदुअरिया कला के नाम 30 हजार 477 रुपए, अशोक कुमार पिता श्रीनिवास तिवारी अमिलई के नाम 1 लाख 17 हजार रुपए, लक्ष्मण गुप्ता पिता बृजवासी रैदुअरिया के नाम 10 हजार 99 रुपए के नाम फर्जी तरीके से ऋण जारी किया है। जबकि, इन किसानों ने कभी न तो कर्ज लिया था न ही कभी कर्ज के लिए आवेदन किया था। ग्राम पंचायत में ऋणमाफी के लिए किसानों की सूची चस्पा होने के बाद कई किसानों को यह जानकारी मिली कि उनके नाम भी फर्जी तौर पर कर्ज निकल चुका है। यह जानकारी मिलते ही शिकायतों का दौर शुरू हो गया है।
जेब भरने की जुगत
दरअसल, प्रदेश सरकार ने किसानों को कर्जमुक्त करने के लिए जय किसान फसल ऋणमाफी योजना शुरू की है। इसके तहत उनके दो लाख तक का कर्ज माफ करने की घोषणा की है। लेकिन सेवा सहकारी समितियां फर्जी ऋण वितरण दिखा अपनी समिति जेब भरने में जुट गई हैं। समितियों के इस खेल से वे किसान खासे नाराज हैं, जिन्होंने कभी कर्ज नहीं ही लिया और उन्हें कर्जदार सूची पंचायत में चस्पा करा दी गई। समितियों के इस फर्जीवाड़े से जहां सरकारी राजस्व क्षति हो रही है, वहीं सूची में शामिल किसानों की बदनामी भी हो रही है।
जांच की मांग की है
समिति में किसान क्रेडिट के नाम पर व्यापक पैमाने पर बंदरबांट किया गया है। जिन किसानों ने कभी कर्ज नहीं लिया था उनके नाम लाखों रुपए निकाल लिए गए हैं। मैंने फर्जीवाड़े की जांच के लिए कलेक्टर को आवेदन दिया है।
अर्जुन ङ्क्षसह, अध्यक्ष, सेवा सहकारी समिति भरतपुर

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