scriptसोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में रूकी घडिय़ालों की वंशबृद्धि | Generation of stopped watches at Son Gharial Sanctuary | Patrika News

सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में रूकी घडिय़ालों की वंशबृद्धि

locationसीधीPublished: Oct 13, 2019 09:13:32 pm

Submitted by:

Manoj Kumar Pandey

एनजीटी ने सरकार से मांगा जवाब, सरकार ने कहा मंगाए जा रहे पांच वयस्क नर घडिय़ाल, ऐसे में तो खत्म हो जाएगा सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य का अस्तित्व

Generation of stopped watches at Son Gharial Sanctuary

Generation of stopped watches at Son Gharial Sanctuary

सीधी। सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में बीते करीब पांच वर्ष से घडिय़ालों की वंशवृृद्धि रुकी हुई है। इसके पीछे बड़ी वजह अभ्यारण्य में नर घडिय़ाल की कमी बताई जा रही है। हालांकि विभागीय अफसर यह दावा करते आ रहे थे कि अभ्यारण्य में नर घडिय़ाल हंै लेकिन लगातार मादा घडिय़ालों के अंडे न देने से यह स्पष्ट हो गया कि नर घडिय़ाल नहीं है। इधर सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य मेें रूकी घडिय़ालों की वंशवृद्धि को लेकर अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा एवं अंबुज पांडेय द्वारा एनजीटी की भोपाल बेंच में दायर किए गए याचिका में सरकार की ओर से विगत दिवस जवाब प्रस्तुत किया गया है कि गत फरवरी माह में सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में 27 घडिय़ाल चंबल राष्ट्रीय उद्यान से मंगाकर सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य के जोगदह घाट में छोड़े जा चुके हैं, जिसमें 24 मादा घडिय़ाल तथा तीन नर घडिय़ाल शामिल हैं, लेकिन ये सभी नर घडिय़ाल वयस्क का न होने से घडिय़ालों की वंशवृद्धि पर कोई असर नहीं पड़ा ऐसी स्थिति मेें सरकार द्वारा अपने जवाब में कहा गया है कि घडिय़ालों की वंशबृद्धि के लिए पांच वयस्क नर घडिय़ाल लाए जाने का प्रस्ताव भेजा गया है। वयस्क घडिय़ाल आने से सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में घडिय़ालों की वंशबृद्धि शुरू हो जाएगी।
करोड़ो खर्च के बाद भी नहीं सुधर रही स्थिति-
जिले से प्रवाहित होने वाली सोन नदी के साथ ही सहायक नदियों में गोपद व बनास नदी का भी कुछ क्षेत्र घडिय़ाल अभ्यारण्य में शामिल किया गया है। जिससे यहां किसी भी प्रकार उत्खनन, परिवहन प्रतिबंधित किया गया है। घडिय़ालों की सुरक्षा व विकास के लिए शासन स्तर से हर वर्ष करोड़ो रुपए का बजट भी उपलब्ध कराया जाता रहा है, बावजूद इसके यहां अवैध रेत निकासी व स्थानीय अफसरों की अनदेखी के चलते बीते करीब पांच साल से घडिय़ाालों की वंशवृद्धि अटकी हुई है। पूर्व से मौजूद घडिय़ाल भी यहां असुरक्षित महसूस करते हैं। यही वजह है कि वे अभयारण्य से निकलकर रिहाइशी इलाकों तक पहुंच जाते हैं।
पांच साल में आधा दर्जन की मौत-
गत कुछ वर्ष से घडिय़ालों की लगातार हो रही मौत से अभ्यारण्य में एक भी नर घडिय़ाल नहीं बचे। पांच वर्ष में करीब आधा दर्जन नर घडिय़ालों की मौत विभिन्न कारणों से हो चुकी है। लिहाजा करीब तीन वर्ष से अभ्यारण्य क्षेत्र पूरी तरह से नर घडिय़ाल विहीन हो गया है। नर घडिय़ाल न होने से यहां वंशवृद्धि संभव नहीं हो पा रही।
लाए गए घडिय़ालों की सुरक्षा पर भी सवाल-
गत फरवरी माह में सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में चंबल राष्ट्रीय उद्यान से 27 घडिय़ाल लाए गए थे, जिसमे 24 मादा व 3 नर घडिय़ाल शामिल थे, ये घडिय़ाल के बच्चे थे जिनकी उम्र महज करीब सात से आठ माह की थी, जिन्हे विशेषज्ञों की टीम द्वारा सोन नदी के जोगदह घाट में छोड़ा गया था। इस बारिश के मौसम में सीधी जिले के साथ ही पड़ोसी जिलों में हुई अतिवृष्टि से सोन नदी के बाणसागर बांध में ज्यादा जल भराव होने से बांध के आठ गेट खोले गए थे, जिससे सोन नदी में जल बहाव काफी तेज हो गया था, ऐसे में यह संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं कि चंबल राष्ट्रीय उद्यान से सोन नदी में छोड़े गए घडिय़ाल सुरक्षित बच पाए हैं या नहीं। हालांकि विभागीय अधिकारियों द्वारा यह दावे किए जा रहे हैं कि सभी घडिय़ाल सुरक्षित हैं।
पांच वयस्क नर घडिय़ाल मंगाने भेजा गया है प्रस्ताव-
यह सही है कि सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में वयस्क नर घडिय़ाल न होने से घडिय़ालों की वंशबृद्धि प्रभावित हो रही है। विगत फरवरी माह में २७ घडिय़ाल चंबल राष्ट्रीय उद्यान से लाए गए थे, जिसमें 3 नर घडिय़ाल भी शामिल थे, लेकिन वो सभी अवयस्क थे, इसलिए पांच नर घडिय़ाल उपलब्ध कराने के लिए वरिष्ठ कार्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है, अब कब तक वयस्क नर घडिय़ाल उपलब्ध हो पाते हैं कहा नहीं जा सकता।
अशोक मिश्रा
क्षेत्र संचालक, संजय टाईगर रिजर्व सीधी
सरकार ने प्रस्तुत किया है जवाब-
सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य में घडिय़ालों की सुरक्षा एवं रूकी वंशबृद्धि को लेकर एनजीटी की भोपाल बेंच में याचिका दायर की गई है, जिसमें विगत दिवस सरकार की ओर से जो जवाब प्रस्तुत किया गया है, उसमें जलसंसाधन की ओर से नदी में पानी की निरंतरा की बात की गई है, वहीं घडिय़ालों की रूकी वंशबृद्धि को निरंतर करने के लिए पांच नर घडिय़ाल प्रस्ताव भेजने की बात कही गई है।
नित्यानंद मिश्रा, अधिवक्ता एनजीटी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो