Group operators are robbing in favor of navigators, mute spectators be
सीधी/पथरौला। आदिवासी बाहुल्य जनपद पंचायत कुसमी अंतर्गत संचालित शासकीय स्कूलों सहित आंगनबाड़ी कंेद्रों मे आने वाले नौनिहालों के हक मे समूह संचालकों द्वारा डाका डाला जा रहा है। किंतु जिम्मेदार अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी मूक दर्शक बने हुए हैं। लिहाजा जहां आंगनबाड़ी कंेद्रों मे आने वाले बच्चों को नास्ता मे सड़ी गली थोड़ी सी नमकीन अथवा मुरमुरा दिया जाता है। वहीं रूचिकर भोजन के नाम पर मीनू को दरकिनार कर पानी युक्त उड़द व मटरे की दाल के साथ चावल परोसा जा रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि संस्था प्रमुख के द्वारा जिम्मेदार अधिकारियों को प्रतिदिन नास्ता सहित मध्यान्ह भोजन की जानकारी दी जाती है। किंतु जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा कोई ठोस कार्रवाई के लिए हिम्मत न कर पाना अपने आप मे कई सवाल पैदा करता है। विगत दिवश भ्रमण के दौरान ऐसा ही एक मामला जनपद अंतर्गत पूर्व माध्यमिक शाला गिजोहर तथा आंगनबाड़ी कंेद्र गिजोहर का प्रकाश मे आया है। जहां दोपहर 12 बजे पहुंची टीम को आंगनबाड़ी के बच्चे दो-दो चम्मच नमकीन थाली मे रखकर नास्ता करते मिले। पूंछने पर कार्यकर्ता ने बताया कि समूह संचालक द्वारा जो नास्ता दिया जाता है वही बच्चों को खिलाते हैं। दोपहर मे बच्चों को परोसा गया रूचिकर भोजन मे भी पानी युक्त उड़द की दाल के साथ चावल व नाम मात्र के लिए आलू की सब्जी देखने को मिली। पूंछने पर बच्चों ने बताया कि मध्यान्ह भोजन नियमित नहीं मिलता है। जब मिलता है तो हमेशा दाल चावल ही मिलता है। मंगलवार को मीनू अनुसार खीर पूड़ी के संबंध पूंछने पर बच्चों ने बताया कि हम लोगों को आज तक दाल चावल के अलावा भोजन मे और कुछ भी नहीं मिला है। जैसा खाना थाली मे है उसी तरह का खाना हमेशा मिलता है। बताया गया कि मध्यान्ह भोजन की जिम्मेदारी ममता स्व-सहायता समूह द्वारा संभाली जा रही है। जिसकी अध्यक्ष सीता यादव तथा सचिव केशकली यादव है। पढ़ाई भी भगवान भरोसे- विद्यालय मे उपस्थित अतिथि शिक्षकों सहित ग्रामीणों ने बताया कि संस्था मे एक शिक्षक पदस्थ जिन्हें दो स्कूलों का प्रभार दिया गया। अत: इस विद्यालय में वह कभी कभार ही आते हैं। और तीन अतिथि शिक्षक भी पदस्थ हैं उन्ही के द्वारा बच्चों को पठन-पाठन कराया जाता है। बताया गया कि संस्था मे कुल 53 छात्र दर्ज हैं। लेकिन उपस्थित मात्र 23 छात्र ही मिले। जिनका शैक्षणिक स्तर काफ ी कमजोर है। ठंड होने के कारण बच्चों को बाहर बैठना पड़ता है। जिससे धूल और धूप दोनों मिलती है। संस्था के परिसर मे साफ -सफ ाई का काफ ी अभाव देखा गया। बच्चे धूल मे बैठकर पढ़ाई करते हैं। परिसर मे चबूतरे आदि का अभाव है।
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