शहर व गांवों के ज्यादा कुपोषित बच्चों को जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र मे भर्ती रखकर इलाज दिया जाता है। किंतु हड़ताल के दिन से ही इस पर ताला लटका हुआ है। ऐसे बच्चों को स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा इन बच्चों को चिह्नित करने के बाद एनआरसी में लाया जाता है, लेकिन वर्तमान मे यह बंद पड़ा हुआ है। बच्चों को अस्पताल की बजाय उन्हें आंगनबाडिय़ों में पोषण आहार देकर काम चलाया जा रहा है।
संविदा स्वास्थ्यकर्मिंयो की हड़ताल को लेकर सीएमएचओ के ने नोटिस जारी कर १२ मार्च तक जवाब मांगा है। बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत संविदा चिकित्सा अधिकारी, कर्मचारी डीपीएम, डीसीएम, एएनएम, स्टाफ नर्स, संविदा लेखापाल, डाटा इंट्री आपरेटर, सर्पोट स्टाफ , एसएनसीयू यूनिट, एनआरसी के सभी कर्मचारी 19 फरवरी से अनुपस्थित हैं। जो कि संविदा सेवा अनुबंध पत्र निष्पादित की कंडिका-7 के अनुसार, सेवा शर्तों का उल्लंघन है। मैनुअल की कंडिका 13 में संविदाकर्मी द्वारा हड़ताल में भाग लेना एवं हड़ताल के लिए प्रेरित करना कदाचरण की श्रेणी में रखा गया है।
ऐसा करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान है। पूर्व में सभी संविदा स्वास्थ्य कर्मियों 3 मार्च 2018 से पूर्व अनिवार्यत: अपने कार्यस्थल पर उपस्थित होने के लिए सूचना पत्र जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के उक्त कृत्य से राष्टीय स्वास्थ्य मिशन की छवि को ठेस पहुंची हैं। अत: मानव संसाधन मेनुअल की कंडिका क्रमांक 11.2 के अंतर्गत संबंधित स्वास्थ्यकर्मी द्वारा 12 मार्च तक सूचना पत्र का उत्तर प्रस्तुत न करने पर यह माना जाकर कि उन्हे अपने पक्ष में कुछ नही कहना है, एक पक्षीय कार्रवाई की जाएगी।