जी हां, हम बात कर रहे हैं सिहावल जनपद अंतर्गत जिला पंचायत के वार्ड कुबरी की व नगर पालिका सीधी के वार्ड क्रमांक 03 की। इस पंचायत से जिला पंचायत सदस्य पद की प्रत्याशी में महिलाएं शामिल हैं। अनारक्षित महिला वर्ग की इस पंचायत से कई दिग्गज अपनी बहू व पत्नी को चुनाव में तो उतार दिए, लेकिन मैदान से दूर रखा है। घूंघट की आड़ में घर में ही चौका-चूल्हा संभाल रही हैं, जबकि क्षेत्र के विकास के लिए उनको वोट देकर जिताने की अपील पति व ससुर कर रहे हैं।
यही हाल नगर पालिका के वार्ड क्रमांक 03 में देखा जा रहा है। खुद की सीट आरक्षित होने के कारण एक प्रत्याशी दूसरे वार्ड से अपनी बहू को प्रत्याशी बनाकर उतार तो दिए किंतु बहू की जगह ससुर खुद चुनाव प्रचार का मोर्चा संभाले हुए हैं। पर्दा भी इतना कि प्रचार के बैनर, पोस्टर पर भी प्रत्याशी का फोटो घूंघट में खिंचवाई गई है। चुनाव और उसके लिए आरक्षण के अधिकार का इस तरह का दुरुपयोग मतदाताओं के अधिकार और संविधान के साथ भी खिलवाड़ है।
पोस्टर पर प्रत्याशी की फोटो छापने से गुरेज
स्पष्ट है कि जो व्यक्ति चुनाव प्रचार के पोस्टर पर भी प्रत्याशी का फोटो छपाने से गुरेज कर रहा है, यदि उसकी पत्नी सरपंच, पार्षद या जिला, जनपद पंचायत सदस्य बनती है तो पंचायत का संचालन कैसे होगा। युवा नेता सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन सीट महिला के लिए रिजर्व हो गई। ऐसे में उन्होंने अपनी पत्नी को मैदान में उतार तो दिया लेकिन पोस्टर में केवल प्रत्याशी का नाम नहीं है बल्कि उसके साथ पति अपना नाम भी लिखवाए हुए हैं। यहां आज भी घूंघट, पर्दा प्रथा है। ऐसे में बढ़े-बूढ़ों को चेहरा कैसे दिखाएं।