सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि एक साथ नियुक्ति आदेश भी नहीं जारी किया जा रहा है, बल्कि आए दिन एक दो की संख्या में आदेश थमाया जा रहा है। लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल द्वारा संविदा सहायक ग्रेड-3 डाटा एंट्री आपरेटर्स की पद विरुद्ध सेवाएं लिए जाने का आदेश 10 दिसंबर 2021 को जारी किया गया था। पत्र में निर्देशित किया गया था कि संचालनालय द्वारा जारी संदर्भित पत्रों को अधिक्रमित करते हुए वर्ष 2012.13 से अद्यतन शासकीय माध्यमिक विद्यालय से शासकीय हाई स्कूल, हायर सेकेंड्री में उन्नत विद्यालयों में एवं मॉडल स्कूलों में स्वीकृत संविदा सहायक ग्रेड.3 डाटा एंट्री ऑपरेटर्स के पदों पर आउटसोर्स पर रखे जाने के लिए निर्देश जारी किए गए थे।
जिसके लिए सीधे एमपीकॉन लिमिटेड के माध्यम से नियुक्ति के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन, स्कूल शिक्षा अधिकारी सीधी द्वारा अपने आफिस से 6 जनवरी 2022 को आदेश जारी किया गया है जिसमे इनके द्वारा आवेदकों से तीन दिवस के अंदर आईटी सेल कार्यालयीन में आवेदन जमा कराने का आदेश जारी कर दिया गया है। सूत्रों द्वारा बताया गया है कि जब एमपीकॉन लिमिटेड को सीधे फार्म सबमिट करने है तो डीईओ द्वारा आखिर पत्र क्यों जारी किया गया।
मामला न्यायालय में उनकी भी नियुक्ति पूर्व में भी राज्य शासन के द्वारा जेम पोर्टल के माध्यम से आपरेटरों की नियुक्ति के आदेश जारी किए गए थे किंतु शिक्षा विभाग के अधिकारियों के द्वारा नियमों को ताक पर रखकर अपने पुत्रों व सगे संबंधियों की नियुक्ती कर दी गई थी। अनियमितता सामने आने पर तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सिंह द्वारा नियुक्ति निरस्त करते हुए की गई राशि के भुगतान के वसूली के आदेश जारी किए गए थे, किंतु आज दिनांक तक वसूली नहीं हो पाई है। यह प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन है जिन लोगों का प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। पुन: उन्हीं अधिकारियों पुत्रों की नियुक्ति कर दी गई है। जिसमें एक दो नहीं बल्कि एक दर्जन से ज्यादा अधिकारियों के परिजन शामिल हैं। यहां तक कि इस नियुक्ति को समाचार पत्रों में भी सार्वजनिक नहीं किया गया, जिसके कारण बेरोजगार आवेदन ही नहीं कर पाएए चहेतों का आवेदन लेकर नियुक्ती कर दी गई।
सिंगल आवेदन पर कर दी गई नियुक्ति
किसी भी पद के लिए नौकरी निकले जिसमें आवेदन करने के लिए दावेदारों का सैलाब उमड़ पड़ता है किंतु जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा कंप्यूटर आपरेटर पद के लिए जो नियुक्ति की जा रही है उसमें एक-एक ही आवेदन एक स्कूल के लिए मिला है। इससे शिक्षा विभाग के कारनामों का अंदाजा लगाया जा सकता है। दरअसल बेरोजगारों को इस नियुक्ति के संदर्भ में कोई जानकारी ही नहीं हो पाई जिसके कारण अपने चहेतों का आवेदन गोपनीय ढंग से मंगवाकर नियुक्ति की जा रही है।