जानकारी के अनुसार डीएपी पिछले साल तक 1200 में मिल रहा था, जो इस साल 1350 में दिया जाएगा। इसके अलावा यूरिया भी खरीफ की फसल में उपयोग होता है तो इसके दामों में भी वृद्धि की उम्मीद की जा रही है। किसान लगातार मौसम की मार झेल रहे हैं और कभी अतिवृष्टि तो कभी ओलावृष्टि से परेशान है। इस बीच खाद के बढ़ते दामों ने उन्हें और भी रुलाना शुरू कर दिया।
मालूम हो कि जिले में खरीफका रकबा तीन लाख से अधिक रहता आया है और मुख्य फसलों में धान, उड़द आदि की बोवनी किसान करते हैं। इन फसलों में यूरिया, डीएपी, सुपर फास्फेट की आवश्यकता किसानों को रहती है। हर वर्ष खाद के लिए किसानों को भारी मशक्कत करना पड़ती है, लेकिन इस बार ऐसी स्थिति न बने इसके लिए प्रशासन व कृषि विभाग पहले से ही किसानों को खाद की व्यवस्था करने के लिए अग्रिम भंडारण कर रहा है।
इसके तहत यूरिया एवं डीएपी की रैक लगवाई जा रही और इन्हें डबल लॉक एवं प्राइवेट में दिया जा रहा ताकि किसानो को हर वर्ष की तरह खाद के लिए परेशान न होना पड़े। इसके लिए करीब 09 हजार मैट्रिक टन डीएपी की व्यवस्था की जा चुकी वहीं 4 हजार मैट्रिक टन यूरिया का भी भंडारण किया जा चुका है।
वहीं किसान नेता ददन सिंह का कहना है कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कहती आई लेकिन डीजल, मजदूरी और अब
खाद के दाम बढ़ाकर किसानों से खेती की दूरियां बढ़ाई जा रही है। कृषि संबंधी उपयोगी वस्तुओं की कीमतें इसी तरह बढ़ाई जाती रही तो किसानों को खेती करना मुश्किल हो जाएगा। सरकार को बढ़ती महंगाई पर नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए।
डीएपी में मूल्य वृद्धि का हर स्तर पर विरोध
राष्ट्रीय महासंघ मजदूर महासंघ का कहना है कि डीएपी की मूल्य वृद्धि का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। पहले से ही सरकार ने पेट्रोल-डीजल में मूल्यवृद्धि कर किसानों को आफत में डाल रखा है और अब किसानों की पहली जरूरत खाद के दाम भी बढ़ा दिए गए। ऐसे में फसल की लागत और अधिक बढ़ जाएगी जबकि महंगाई के अनुपात में किसान की उपज के दाम नहीं बढ़ाए जाते खाद में यह मूल्य वृद्धि वापस ली जाना चाहिए नहीं तो हर स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।
खाद-बीज विक्रेता घनश्याम गुप्ता के मुताबिक गत वर्ष डीएपी की प्रति बोरी कीमत 1200 रुपए थी जो इस बार 1350 रुपए प्रति बोरी हो गई है। इस तरह प्रति बोरी पर 150 रुपए दाम बढ़ गए है और यह दाम आगामी दिनों में और भी बढ़ सकते हैं। उनका कहना है कि 45 प्रतिशत डीएपी विदेश से आती है। पेट्रोकेमिकल रा-मटेरियल के दाम अधिक बढ़ने से इसकी कीमतों में वृद्धि हुई है और यह दाम अभी और भी बढ़ने की स्थितियां हैं। इसी तरह सुपर फास्फेट में मूल्य वृद्धि हुई है जबकि यूरिया के दाम गत वर्ष स्थिर है।