यही बजह है कि जो लोग लोन लेकर अपना मकान बनाने की सोच रहे थे, उन्होंने फिलहाल यह इरादा टाल दिया है। क्योंकि भवन बनाने के लिए जरूरी सामान की कीमतों में इतना ज्यादा इजाफा हो गया है कि वह उसके बजट के बाहर जाने लगा है। बिल्डिंग मटेरियल व्यवसाय से जुड़े दुकानदारों के मुताबिक भवन निर्माण सामग्री की कीमतों में यह इजाफा कोरोना काल के प्रारंभ से शुरू हुआ है, जो अब तक जारी है।
भवन निर्माण के लिए जरूरी सामान के रेट की बात करें तो कोरोना काल से पहले ईट 4,700 रुपए प्रति हजार थी लेकिन अब इसके दाम 6 हजार रुपए तक हो गए हैं। आरसीसी भवन निर्माण के लिए जरूरी सरिया की पहले कीमत 4,500 रुपए क्रिंटल था, जो बढ़कर सात हजार रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। इसी तरह सीमेंट के भाव 280 रुपए प्रति कट्टा था जो बढ़कर 320 रुपए तक पहुंच गया है। 16 हजार में आने वाली गिट्टी 20 हजार हजार रुपए तक पहुंच गई है। बिल्डिंग मटेरियल से जुड़े व्यवसायियों के मुताबिक कोरोना काल व लॉकडाउन का बाजार पर जो असर पड़ा है, उससेअभी भी वह उबर नहीं पाया है। हालांकि शासन-प्रशासन द्वारा दी गई रियायतों के कारण धीरे-धीरे चीजें सामान्य होने लगी हैं। लेकिन फिर भी अन्य कारणों के चलते दामों में तेजी बनी हुई है। ईंट, गिट्टी रेत, सरिया के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
कैसे पूरा होगा पीएम आवास
निर्माण सामग्री के दामों में बढ़ोत्तरी के चलते अब प्रधानमंत्री आवास बनाना भी मुश्किल हो गया है। सरकार ऐसे लोगों को योजना का लाभ देती है, जिनके पास खुद की जमीन है और वह भवन का निर्माण कराना चाहते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक 1 लाख 20 हजार रुपए तथा शहरी क्षेत्र में ढाई लाख रुपए प्रति हितग्राही दिया जाता है। उक्त राशि से दो कमरा, लेट्रिन बाथरूम व टैंक का निर्माण करना आवश्यक है। शासन द्वारा यह राशि किश्तों में दी जाती है। अब जब दाम काफी ज्यादा बढ़ गए हैं तो ऐसे में प्रधानमंत्री आवास योजना के अधूरे भवन कैसे पूरे हो पाएंगे, इस संबंध में अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
जमोड़ी लाला पांडेय ने कहा कि निर्माण कोरोना काल से पहले शुरू किया था। बीच में लॉकडाउन लग गया। जिससे कई माह काम रुका रहा। निर्माण की अनुमति मिली तो बिल्डिंग मटेरियल मुश्किल हो गया। इस समय काफी महंगे रेट पर मिल रहा है। पड़ैनिया मेवालाल ने कहा कि जितने पैसे सरकार दे रही है इस महंगाई के दौर में उस पर मकान बनाना मुश्किल है। इसलिए फिलहाल, मैंने मकान का निर्माण बीच में ही छोड़ दिया है।