scriptलॉकडाउन का असरः सरकारें बेपरवाह, श्रमिक बेहाल | Jharkhand workers trapped in Sidhi MP due to lockdown | Patrika News

लॉकडाउन का असरः सरकारें बेपरवाह, श्रमिक बेहाल

locationसीधीPublished: Apr 29, 2020 07:43:44 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-लॉकडाउन के चलते MP में फंसे झारखंड के श्रमिक-25 दिन बीते क्वारंटीन में, झारखंड सरकार की पहल का इंतजार

गैर प्रांत के श्रमिक घर वापसी की जुगाड़ में प्रतीकात्मक फोटो

गैर प्रांत के श्रमिक घर वापसी की जुगाड़ में प्रतीकात्मक फोटो

सीधी. कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन ने श्रमिकों के समक्ष मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर दिया है। प्रधानमंत्री हों या केंद्र व अन्य सरकारें मुखिया केवल इतना कह कर शांत कराने की कोशिश कर रहे हैं कि जो जहां है वहीं रहे। सरकार सारी सुविधा मुहैया कराएगी। लेकिन मजदूरों का हाल ये है कि न उनकी जेब में पैसा न उनके पास राशन है। काम-धंधा बंद हुए महीना गुजर गया। ऐसे में हर कोई अपने घर जाने को बेताब है। लेकिन जाए तो जाए कैसे। कुछ राज्यों ने मजदूरों की घरवापसी का ऐलान किया जरूर है पर कई ऐसे राज्य भी हैं जिन्हें इन मजदूरों से कोई सरोकार ही नहीं। वो चाहे बिहार हो या झारखंड। ऐसे ही ये श्रमिक मध्य प्रदेश के सीधी जिले में अंटके हैं।
इन श्रमिकों को पीएम नरेंद्र मोदी के आह्वान पर जहां वो थे वहीं रोक दिया गया था। सीधी में तो मध्य प्रदेश के ही विभिन्न जिलों के श्रमिकों को रोक कर क्वारंटन सेंटर में भर्ती कर दिया गया था। भले ही क्वारंटीन सेंटर्स में रहने की मियाद 14 दिन की हो पर उससे कोई मतलब नहीं जो जहां है वहां से उसे निकलने नहीं दिया जा रहा। यहां बता दें कि सीधी में कुल 25 क्वारंटीन सेंटर हैं। इन सेंटर्स में भर्ती श्रमिको का ऐसा बड़ा जत्था है तो 14 दिन बिता चुके हैं। इसमें से मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों के निवासियों के लिए तो प्रशासन आगे आया, उनके लिए विशेष इंतजाम किए गए पर दूसरे राज्य के श्रमिकों के लिए अभी तक कोई इंतजाम नहीं हो पाया है।
अब अगर सीधी के एसाईटी कॉलेज में बने क्वारंटीन सेंटर में रहने वाले श्रमिक किसी भी कीमत पर यहां रुकना नहीं चाहते। ये सभी झारखंड के निवासी है। इनका गुस्सा झारखंड सरकार पर है। कहते हैं कि अन्य प्रदेशों की सरकारों ने अपने श्रमिकों की सुधि ले ली है पर हमारी सरकार को मानों कोई चिंता ही नहीं है। न हमारी सरकार हमें वापस लाने का इंतजाम कर रही है न आर्थिकी पर कोई विचार कर रही।
ये श्रमिक भुसावल में ट्रक चलाते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद सारा काम बंद हो गया। ऐसे में वो अपने गांव की ओर कूच किए और किसी तरह से सीधी जिला मुख्यालय तक पहुंच पाए। लेकिन यहां पहुंचते ही स्थानीय पुलिस ने उन्हें आगे जाने से रोक दिया और सभी को सीधे क्वारंटीन सेंटर में पहुंचा दिया। तब से ये वहीं हैं। धीरे-धीरे 25 दिन बीत गए। अब उनके सब्र का बांध टूट रहा है। लेकिन करें तो क्या करें।
“राज्य के बाहर के ऐले श्रमिक जो वाहन का इंतजाम कर सकते हैं उनके लिए ई-पास का इंतजाम किया जा रहा है। लेकिन जिनके पाल यह सुविधा नहीं है उनकी खातिर संबंधित राज्य प्रशासन से वार्ता की जा रही है। कई राज्य सहमत भी हुए हैं। लेकिन झारखंड सरकार की ओर से अभी तक ऐसी कोई पहल नहीं की गई है। बावजूद इसके उनसे लगातार संपर्क साधा जा रहा है। जैसे ही झारखंड सरकार तैयार हो जाती है अपने श्रमिकों की वापसी के लिए हम मध्य प्रदेश की सीमा तक इन्हें अपने संसाधन से छोड़ देंगे।” रवींद्र कुमार चौधरी, डीएम सीधी
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