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6 माह से 250 अप्रशिक्षित डॉक्टरों की सूची तैयार, जनवरी में सर्वे कर भूल गया स्वास्थ्य महकमा

locationसीधीPublished: Jul 21, 2018 01:47:39 pm

Submitted by:

suresh mishra

कार्रवाई से बच रहा विभाग, शहर से गांवों तक अवैध रूप से संचालित क्लीनिक

jhola chhap doctor news in sidhi

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सीधी। जिले में ढाई सौ से ज्यादा अप्रशिक्षित डॉक्टरों को 6 माह पहले चिह्नित कर स्वास्थ्य विभाग भूल गया। शहर से गांवों तक अवैध रूप से संचालित इन क्लीनिक की अब तक न तो जांच की गई न ही इनके संचालकों पर कार्रवाई की रूपरेखा तैयार की गई। इसके लिए जिला व विकासखंड स्तर पर कलेक्टर ने टीम गठित भी कर दी। पर यह काम कागजी खानापूर्ति से आगे नहीं बढ़ पाया।
इससे जिले में सक्रिय अप्रशिक्षित चिकित्सक कम पढ़े लिखे लोगों को दवाई देकर उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। साथ ही दवा और परामर्श के नाम पर उनसे मोटी रकम भी वूसल रहे हैं। एसे में विभाग की लापरवाही गरीब और आम जनता पर भारी पड़ रही है।
आदेश को तवज्जो नहीं
ऐसे अप्रिशिक्षित चिकित्सकों के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से 14 नवंबर 2017 को विस्तृत दिशा निर्देश प्रसारित कर निर्देशित किया था कि ऐसे चिकित्सकों के खिलाफ जांच दल कर गठन कर 15 नवंबर से 31 दिसंबर 2017 तक अभियान चलाकर फर्जी चिकित्सक की पहचान कर प्रावधानों के अंतर्गत प्रभावी कार्रवाई करें। इस दौरान अपात्र चिकित्सकों द्वारा किए जा रहे व्यवसाय पर अंकुश लगाने की कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे।
10 जनवरी 2018 तक मांगा
कार्रवाई का प्रतिवेदन नियत प्रारूप में 10 जनवरी 2018 तक मांगा भी गया था। सीधी जिले में विभाग के इस निर्र्देश की पालना के लिए कलेक्टर दिलीप कुमार ने टीम गठित कर जांच कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसकी पालना में जिले में विकासखंड चिकित्सा अधिकारियों ने अभियान के तहत सर्वे कर जिले में 256 अप्रशिक्षित चिकित्सकों को चिह्नित कर लिया। पर इसके बाद से छह माह से यह सूची धूल फांक रही, अभी तक किसी भी डॉक्टर या क्लिनिक पर जांच की कार्रवाई नहीं की जा सकी।
चिकित्सकों की कमी बढ़ा रही सक्रियता
स्वास्थ्य विभाग में जिला स्तर से सीएचसी स्तर तक बड़ी संख्या मेेंं चिकित्सकों सहित स्वास्थ्य अमले के पद रिक्त पड़े हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केेंद्रों में चिकित्सकों सहित अन्य स्वास्थ्य अमले की कमी से मरीजों को ऐसे अप्रिशिक्षित चिकित्सकों के पास इलाज के लिए जाना मजबूरी बन जाती है, और यदि कोई मरीज एक बार इनके पास पहुंच गया तो वो जल्द और सस्ते इलाज के झांसे में आ जाता है। यहां दवाओं एवं शुल्क के नाम पर उससे धीरे-धीरे मोटी रकम वसूल ली जाती है। खांसी, जुकाम, बुखार के मामलों में वो इलाज भले कर लें, पर अन्य गंभीर मामलों में अंतत: मरीजों को जिला अस्पताल या अन्य शहर जाना पड़ता है।
वैध क्लीनिक सिर्फ 19
जिले में वर्तमान समय में सिर्फ 19 वैध क्लीनिक संचालित हैं। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में क्लीनिकों के पंजीयन हेतु 50 ऑनलाइन आवेदन किए गए थे, जिसमें अभी तक 19 का ही पंजीयन हो पाया है, शेष में कुछ कमियों के कारण पंजीयन अभी लंबित पड़ा हुआ है।
बीएमओ की भूमिका संदिग्ध
सूत्रों के अनुसार, झोलाछाप की सक्रियता में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ बीएमओ की बड़ी भूमिका है। ग्रामीण अंचलों में जितने भी अवैध रूप से क्लीनिक संचालित होते हैं उनकी जानकारी संबंधित बीएमओ के पास रहती है। इसके बावजूद बीएमओ द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
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