सूत्रों के अनुसार, इसके लिए कलेक्टर ने आराजी नंबर 2110 का, आराजी नंबर 2112 में नक्शा सुधार (भूमि विनिमय) का आदेश जारी किया है, जबकि आराजी नंबर 2110 रेलवे के सर्वे में नहीं थी। इसमें आराजी नंबर 2112 का जुज रकवा 1.0 हेक्टेयर ही शामिल था। आराजी नंबर 2110 शंकर्षण सिंह पिता बंश बहादुर सिंह के नाम दर्ज थी, जिसे उन्होंने पहले वारिसों के नाम हस्तांतरित किया फिर दिसंबर 2015 में 28 लोगों के नाम रजिस्ट्री करा दी। इनमें ज्यादातर लोग बाहरी हैं। भू-अर्जन की प्रारंभिक व अवार्ड पारित होने की अधिसूचना में आराजी नंबर 2010 का जिक्र तक नहीं था। 28 खातेदार होने के बाद भी शंकर्षण सिंह ने 28 मार्च 16 को कलेक्टर के यहां संपूर्ण आराजी में नक्शा सुधार के लिए आवेदन किया। जबकि, आवेदन दिनांक को वह आराजी-2110 के अंश भाग के ही भू-स्वामी थे। कलेक्टर ने 21 मार्च को पारित आदेश में आराजी नंबर 2110 के सभी 28 खातेदारों के नाम भू-अभिलेख में सुधार करने का आदेश दिया। जिसके बाद नए नक्शे में बीच का हिस्सा तो आराजी नंबर 2110 ही है। दोनों किनारों की जमीन आराजी नंबर 2112 में दर्ज कर दी गई। जिस पर रेलवे लाइन प्रस्तावित है।
हो गए २8 खातेदार
सूत्रों की मानें तो नए सिरे से आराजी नंबर 2110 के अधिग्रहण की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। यहां पहले मुआवजे के रूप में शासन या रेलवे को आराजी नंबर 2112 का करीब 10 लाख रुपए देना पड़ा था, लेकिन आराजी नंबर 2110 के 28 खातेदार हो जाने के बाद 1 करोड़ 87 लाख रुपए का भुगतान करना पड़ेगा
कब-क्या हुआ