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मकान मालिकों का कहरः विकलांग, कुपोषित बच्ची पर भी नहीं खाया रहम, कर दिया बेघर

locationसीधीPublished: Jun 01, 2020 04:22:19 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

कोई सड़क की पटरी तो किसी ने पानी टंकी पर बनाया ठिकाना

लॉकडाउन में बेहाल मजदूर

लॉकडाउन में बेहाल मजदूर

सीधी. वैश्विक महामारी कोरोना का कहर केवल बीमारी नहीं। बेगारी ही नहीं, लाचारी भी है। इस महामारी में भी मानवता तार-तार हो रही है। इंसानियत नाम की चीज नहीं रही। अब कल तो जो घर में झाड़ू-पोछा लगाती थी, बच्चे ठेला-खोमचा लगात थे। लॉकडाउन में जब उनका काम छिन गया तो दो वक्त का खाना भी दुश्वार हो गया और सिर से छत भी छीन ली गई। ये मजदूर जहां किराये का कमरा ले कर रहते थे, किराया न चुकाने पर मकान मालिक ने बेघर कर दिया। सारा सामान सड़क पर निकाल दिया। अब ये परिवार जहां-तहां, जैसे-तैसे दिन काटने को विवश हैं।
अब सीधी के रामसुमिरन के परिवार को ही लें तो इस परिवार में पत्नी और चार छोटे बच्चे हैं, जिसमें एक वर्ष का कुपोषि बच्चा भी शामिल है। लॉकडाउन में काम छूट गया तो जेब भी खाली हो गई। ऐसे में मकान का किराया कहां से दे। लिहाजा मकान मालिक ने पूरे परिवार को बेघर कर दिया। अब ये संजय गांधी कॉलेज के पास पानी की टंकी के चबूतरे पर दिन गुजारने को मजबूर हैं।
उधर सीधी के पटेलपुल मोहल्ले में एक किराये के मकान में रह रहे एक अन्य परिवार के साथ भी ऐसा ही हुआ। यहां तो मकान मालिक ने एक ऐसे परिवार को रात में मय सामान बाहर कर दिया जिसका मुखिया विकलांग है। परिवार की महिला शीला बताती हैं कि उनके पति का साल भर पहले एक दुर्घटना में दोनों पैर बेकाम हो गया। अब वो चल ही नहीं पाते। ऐसे में शीला ही घरों में झाड़ू पोछा कर घर खर्च चलाती हैं। आमदनी कम होने के कारण उनके बच्चे ठेला लगाते थे। लेकिन लॉकडाउन में सब बंद हो गया। जो पास में था उससे राशन पानी खरीद लिया। अब किराया देने को पैसा ही नहीं था।
शीला बताती हैं कि लॉकडाउन के चलते काम बंद हो गया तो मकान का किराया कहां से दे पाते। मालिक से मोहलत मांगे, पर उन्होंने एक न सुनी और रात के आठ बजे मकान खाली करा लिया।
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