मालूम हो कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक सीधी में अलग-अलग समय में विभिन्न शासकीय मदों से घोटाले के 130 प्रकरण सामने आए हैं। इसमें से 2 करोड़ 39 लाख रुपए बैंक व समिति स्तर पर घोटाले किए गए हैं। इसमें से बैंक प्रशासन द्वारा बताया जा रहा कि पांच प्रकरण में किए गए घोटाले की राशि में से 5 कर्मचारियों के वेतन से वसूली मासिक किस्त बनाकर की जा रही है। शेष 125 मामले में कितनी वसूली की गई, इस प्रश्र का जवाब बैंक प्रशासक के पास नहीं है।
जिला पंचायत सहकारिता स्थाई समिति के सभापति अखिलेश कुशवाहा द्वारा बैठक में एजेंडा निर्धारित कर गवन खयानत की जानकारी मांगी गई। इस पर बैंक प्रशासक द्वारा जवाब प्रस्तुत किया गया। उसमें कहा गया कि बैंकस्तर पर दो प्रकरण जिसमें 19 लाख 78 हजार का गवन खयानत किया गया है, वहीं समिति स्तर पर 128 प्रकरण में 2 करोड़ 19 लाख 25 हजार राशि का गवन खयानत किया गया है।
बैंक सीइओ द्वारा बताया गया कि 5 कर्मचारियों से की गई गवन की राशि से मासिक वसूली वतन से की जा रही है। बैंक द्वारा प्रस्तुत सूची में 127 प्रकरण धारा 65 में दायर, 50 प्रकरणों में एफआइआर दायर और 128 प्रकरणों में बीमा क्लेम किया जाना दर्शित है, किंतु उक्त कार्रवाई सिर्फ कागजी साबित हो रही है। गवन करने वाले कर्मचारियों को न तो आर्थिक और नहीं नौकरी गवाने का ही नुकसान पहुंचा है।
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक व समितियों में घोटाले करने वाले एक सैकड़ा से ज्यादा कर्मचारी बेखौक ड्यूटी बजा रहे हैं। घोटाला करने के बाद भी किसी तरह की कार्रवाई न होने से उसी पथ पर अन्य कर्मचारी भी चलने को तैयार हैं, जिसके कारण बैंक की अर्थव्यवस्था की कमर टूट चुकी है।