– शिक्षा- एमए (अर्थशास्त्र गोल्ड मेडलिस्ट)
– उम्र- 62 वर्ष
– प्रोफेशन- राजनीति
– अब तक- 6 बार विधायक, एक बार मंत्री, 2 बार नेता प्रतिपक्ष
– राजनीतिक कनेक्शन- दादा विंध्य प्रदेश में मंत्री, पिता तीन बार मप्र के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, पंजाब के राज्यपाल
1. सभी वर्ग साथ
2. पैतृक विरासत ऋणात्मक पहलू
1. क्षेत्र में सक्रियता का अभाव
2. हाल के विधानसभा चुनाव में हार सोशल मीडिया-
ट्विटर अकाउंट है
फेसबुक पर भी सक्रिय
1985 से राजनीति में कदम रखा। चुरहट से पहली बार विधायक बने। 1985, 1991, 1998, 2003, 2008, 2013 में विधायक चुने गए। 2018 विधानसभा चुनाव मे हार का सामना करना पड़ा। 1993 में सुंदरलाल पटवा के खिलाफ भोजपुर से चुनाव लड़े पर हार गए।
सीधी तक रेल लाना, उद्योग स्थापित कर रोजगार दिलाना, सिंगरौली में विस्थापन व कंपनियों में स्थानीय लोगों को रोजगार की सुविधा उपलब्ध कराना। सीधी शहर में मेडिकल व एग्रीकल्चर महाविद्यालय की स्थापना, भुमका मूसामूड़ी में किसानों की जमीन अधिग्रहण पर वाजिब हक दिलाना प्रमुख मुद्दे हैं।
20 साल से कांग्रेस में, प्रदेश के शीर्षस्थ नेताओ की श्रेणी मे शामिल। मुकाबले का क ख ग
अजय सिंह व रीति पाठक का चुनावी मैदान में पहली बार आमना-सामना हो रहा है। अजय सिंह 2009 व 2014 में सीधी संसदीय सीट से टिकट की चाहत रखते थे किंतु उन्हें टिकट नहीं नसीब हो पाया, गत चुनाव मे सतना से टिकट मिला, जहां बहुत कम मतों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। रीति पाठक के मुकाबले अजय अनुभवी व सियासी मैदान के मझे खिलाड़ी माने जा रहे हैं।
– 2014 बीजेपी 27.66 प्रतिशत
– कांग्रेस 21.37 प्रतिशत
– विजेता- रीति पाठक भाजपा 2018 भाजपा 38.36 प्रतिशत
– कांग्रेस 33.74 प्रतिशत
– भाजपा सात सीट, कांग्रेस एक सीट 2009 भाजपा 56.61 प्रतिशत
– कांग्रेस 45.38 प्रतिशत
– विजेता- गोविंद मिश्रा भाजपा
– गोंड़- 37 प्रतिशत
– ओबीसी 28 प्रतिशत
– एससी 13 प्रतिशत
– ब्राह्मण 09 प्रतिशत
– क्षत्रिय 07 प्रतिशत
– अल्पसंख्यक 3.2 प्रतिशत
– सीधी-रीति पाठक
– रीति पाठक…..भाजपा
– शिक्षा-एमए, एलएलबी
– उम्र- 41 वर्ष
– प्रोफेशन- राजनीति
राजनीतिक कनेक्शन- सांसद रीति पाठक का परिवार राजनीति से दूर रहा है, वह पहली बार पंचायती चुनाव में आईं और पहली बार वह जिला पंचायत अध्यक्ष के रास्ते लोकसभा के सदन तक पहुंचने में कामयाब रहीं।
1-ब्राह्मण मतों पर प्रभाव
2-सीधी जिले को रेल लाइन से जोडऩे का प्रयास नकारात्मक पक्ष
1-भाजपा कार्यकर्ताओं एवं जनप्रतिनिधियों की नाराजगी।
2-कुछ लोगों को खास तबज्जो देना। सोशल मीडिया-
ट्यूटर पर सक्रियता
फेशबुक पर लगातार सक्रिय
रीति पाठक को वर्ष 2014 में भाजपा द्वारा सीधी संसदीय क्षेत्र में पहली बार बतौर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा गया था। जिसमें वे एक लाख आठ हजार से ज्यादा मतों से कांग्रेस प्रत्याशी इंद्रजीत कुमार को पराजित कर सांसद निर्वाचित हुईं। यही कारण है कि भाजपा ने दूसरी बार भी इन पर विश्वास जताया है। रीति पाठक की स्वयं की मेहतन व पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच पैठ का लाभ टिकट दिलवाने में मिला है।
वर्ष 2014- भाजपा- 27.66 प्रतिशत
कांग्रेस- 21.37 प्रतिशत
विजेता- भाजपा रीति पाठक 2018 विधानसभा चुनाव-आठों विधानसभा यानि संसदीय क्षेत्र
भाजपा-38.36 प्रतिशत
कांग्रेस-33.74 प्रतिशत 2009 लोकसभा चुनाव
भाजपा-54.61 प्रतिशत
कांग्रेस-45.38 प्रतिशत सांसद से पांच सवाल-
1-सांसद निर्वाचित होने के बाद विकास के लिए क्या करेंगे-
उत्तर-अधूरे कार्यों को पूर्ण करने के साथ ही, स्वास्थ्य, शिक्षा की दिशा में सार्थक प्रयास किए जाएंगे।
2-पार्टी ने फिर से दोबारा भरोसा जताया है, जिसका आधार क्या है।
उत्तर-पार्टी का विश्वास था, इसलिए दुबारा मौका दिया है।
3-आप पर विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के विरोध में निर्दलीय प्रत्याशी को चुनाव मैदान मे उतारने का आरोप है।
उत्तर-सभी आरोप निराधार हैं।
4-प्रत्याशी केे बदलाव की मांग थी इसका क्या कारण मानती हैं।
उत्तर-पार्टी का मुझ पर विश्वास था, अफवाहें उड़ाई गई थी।
5-असंतुष्टों को साधने के लिए क्या प्रयास करेंगी।
उत्तर-असंतुष्ट कोई नहीं है, घर की बात है, जो रूठे हैं, उन्हें मना लिया जाएगा।