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महाशिवरात्रि पर भक्तों ने निकाली बाबा महाकाल की बारात

locationसीधीPublished: Mar 05, 2019 03:32:18 am

Submitted by:

Sonelal kushwaha

आभा आर्ट सोसायटी व साइलेंट थिएटर आर्ट सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम

mahaashivaraatri par bhakton ne nikaalee bholabaaba kee baaraat

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सीधी. महाशिवरात्रि पर इस वर्ष भी बाबा महाकाल की बारात शहर में धूमधाम से निकाली गई। आभा आर्ट सोसायटी व साइलेंट थिएटर आर्ट सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम आयोजित किया गया। राघवेंद्र सिंह, अंकुश सिंह व शरद गौतम ने बताया कि मानस भवन में सुबह १० बजे रूद्राभिषेक करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। जिसमें शिव तांडव सहित अन्य भक्ति गीतों की प्रस्तुति हुई। शिवा गु्रप रीवा की प्रस्तुति शानदार रही। अपरान्ह 5 बजे मानस भवन से गाजे बाजे के साथ बाबा धिराज महाकाल की बारात रवाना हुई, जो अस्पताल चौराहा, सम्राट चौराहा, कोतवाली रोड, पुराना हनुमान मंदिर, तिलक टाकीज, लालता चौक, सोनांचल बस स्टैंड व गांधी चौराहा होते हुए पुन: मानस भवन पहुंची। यहां महा आरती के बाद भव्य भंडारा हुआ। इससे पहले रास्ते में लोगों ने जगह-जगह पुष्प वर्षाकर बारात का स्वागत किया।
मां काली की झांकी

भगवान भोलेनाथ बग्घी पर सवार थे तो भक्त ढोल नगाड़े एवं डीजे की धुन पर नाचते-गाते रहे। मां काली की झांकी भी सजाई गई थी। कार्यक्रम में पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल, सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ल, आरबी ङ्क्षसह, उत्तरा वर्मा, डॉ. अनूप मिश्रा, विनय सिंह, डॉ.विक्रम सिंह, एएसपी सूर्यकांत शर्मा, इंद्रवती नाट्य समिति से नीरज कुंदेर, रोशनी प्रसाद मिश्रा, राहुल वर्मा सहित सैकड़ों लोग शामिल हुए। कार्यक्रम में इंद्रवती नाट्य समिति, ब्राइट कलर लैब, जनज्योति सेवा समिति, मिश्रा नर्सिंग होम, टाटा कॉलेज जमोड़ी, गंगोत्री रेस्टोरेंट और मधुसूदन पैलेस का विशेष योगदान रहा।

भुइमाड़ में भजन कीर्तन के साथ हुआ भंडारा
कुसमी विकासखंड के भुइमाड़ हनुमान मंदिर में भजन कीर्तन के साथ भंडारा किया गया। यहां सुबह से ही पूजा अर्चना शुरू हो गई थी। पूरे दिन कीर्तन भजन व भंडारा चला। कन्याभोज भी कराया गया। भंडारे में हजारों लोग शामिल हुए।
महत्व

महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रूद्र के रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की बेला मे इसी दिन प्रदोश के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्राह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते है। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया है। इस दिन शिव भक्त शिवमंदिरों में जाकर शिवलिंग पर बेल पत्र आदि चढ़ाते, पूजन करते, उपवास करते रात्रि को जागरण करते हैं। इसी दिन शिव की शादी हुई थी इसलिए रात्रि में शिव जी की बरात भी निकाली जाती है। वास्तव में शिवरात्रि का परम पर्व स्वयं परम पिता परमात्मा के सृष्टि पर अवतरित होने की स्मृति दिलाता है। शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि भगवान शंकर का सबसे पवित्र दिन है।
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