उल्लेखनीय कि इस वर्ष वन विभाग द्वारा बिना लाइसेंस के व्यापारियों द्वारा महुआ फूल खरीदने पर रोक लगा दी गई थी तथा गांव में फ ड़ संचालित कर महुआ फू ल की खरीदी वन विभाग द्वारा वन समितियों के माध्यम से शुरू की गई थी। विभाग द्वारा महुआ फू ल खरीदने की न्यूनतम दर 35 रुपए प्रति किलो निर्धारित किया गया था, जबकि शुरुआत के दिनों में महुआ फूल का रेट 50 से 55 रुपए प्रति किलो था, लेकिन वन समितियों द्वारा महुआ फूल की खरीदी पूर्ण रूप से नहीं की गई है।
सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि औपचारिकता पूरी करने के लिहाज से एक किसान से महज 50 किलो महुआ फू ल की खरीदी की गई है। इस तरह से एक फ ड़ में महज 10 क्विंटल महुआ फू ल की खरीदी की गई है, जबकि देखा जाए तो करीब 10 क्विंटल महुआ फूल एक ही परिवार के लोग चुनते हैं, लेकिन किसी भी किसान का पूरा महुआ फूल नहीं खरीदा गया है। शेष महुआ फूल किसानों के गले की फ ांस बना हुआ है। इसी का फायदा उठाते हुए बिचौलिए सक्रिय हो गए हैं और जिन किसानों के पास बरसात के दिनों में महुआ फू ल सुरक्षित बचा लेने के इंतजाम नहीं है वह किसान अब बिचौलियों के हाथों लुटने को मजबूर हो गए हैं।
संग्राहक को फूटी कौड़ी भी नहीं मिली
वन विभाग द्वारा ग्रामीण किसानों से महुआ फूल की खरीदी की गई एवं प्लास्टिक की मोटी बोरियों में भरकर इन बोरियों को चद्दर के बड़े-बड़े ट्रंकों में रख कर वन विभाग के गोदामों में रखा गया था। जिसके पीछे का उद्देश्य यह था कि महुआ फूल में हवा नहीं लगेगी तो उच्च क्वालिटी का होने के कारण अच्छे दामों बिक्री होगा। जिसमें से किसानों को बोनस देने के बाद भी विभाग को फायदा होगा। किंतु वह महुआ मंहगे दामों में तो बिक नहीं पाया। बल्कि गोदामों में ही रखा सड़ गया और किसानों को बोनस देने का वादा भी टूट गया। इतना ही नहीं बोनस के नाम पर महुआ फूल संग्राहक को फू टी कौड़ी नहीं मिली। किसानों द्वारा बताया जा रहा है कि तब से इसी वर्ष महुआ फूल की खरीदी वन विभाग द्वारा की गई है। इसलिए बोनस से भरोसा टूट चुका है।
बिचौलियों पर नहीं हो रही कार्रवाई
वन विभाग के अधिकारियों द्वारा दावा किया गया था कि इस वर्ष महुआ फूल का संग्रहण शासन द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य से कम में नहीं होने दिया जाएगा। बिचौलियों पर लगाम कसी जाएगी और बिना लाइसेंस व्यापारी खरीदी नहीं कर सकेंगे, लेकिन वन विभाग के दावों की हवा निकल गई है। जिले आदिवासी अंचल कुसमी में सक्रिय बिचौलियए बिना लाइसेंस के निर्धारित समर्थन मूल्य से कम दाम पर खरीदी कर रहे हैं और उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
मजबूरी का उठा रहे फायदा
इस समय महुआ फू ल का रेट 20 से 25 रुपए प्रति किलोग्राम है। इसी भाव से बिचौलियों द्वारा महुआ फू ल खरीद कर कृषि उपज मंडी के अधिकारियों से सांठ-गांठ करके प्रदेश के बाहर छत्तीसगढ़ के कोल्ड स्टोरेज में रखा जा रहा है। बरसात बाद आदिवासी परिवारों के लोग कच्ची शराब बनाने के लिए इसी महुआ के फू ल को 80 से 100 रुपए प्रति किलो इन्हीं बिचौलियों से खरीदने के लिए बाध्य होंगे।
बोनस से उठ चुका है भरोसा
विदित हो कि वन विभाग द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य 35 रुपए प्रति किलो महुआ फूल की खरीदी की गई है एवं 15 रुपए प्रति किलो बोनस देने का आश्वासन दिया गया है। किंतु ग्रामीणों का भरोसा बोनस की राशि से टूट चुका है। बता दें कि वर्ष 2012-13 में महुआ फूल संग्राहकों को वन विभाग द्वारा मच्छरदानी नुमा बड़ी बड़ी जालियां उपलब्ध कराई गई थी। इन जालियों को पेड़ के चारों तरफ लकड़ी अथवा पेड़ की डाल के सहारे बांधना था। जिससे महुआ फूल इसी जाली के माध्यम से एकत्रित हो और साफ-सुथरा फूल रहे। जमीन पर महुआ फूल गिरने से मिट्टी आदि के कारण फूल खराब हो जाता है। ऐसा विभागीय अधिकारियों का मानना था।
वनांचल क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए महुआ फू ल एक प्रमुख आय का स्रोत है। इसी की आय से बेटी की शादी, पक्का मकान में छत, ट्यूबवेल, बाइक, बच्चों की पढ़ाई आदि जैसे सपने पूरे होते हैं। लेकिन इस वर्ष महुआ फूल की खरीदी वन विभाग द्वारा किए जाने से उचित दाम नहीं मिलने के कारण ग्रामीणों के सपने अधूरे रह गए हैं और अब बरसात सामने है। इसलिए औने-पौने दाम पर महुआ फू ल बिक्री करने की मजबूरी है। वर्तमान में महुआ फूल की खरीदी 20 से 25 रुपए प्रति किलो चल रही है।