जिले में जीवनदायिनी नदियां अनदेखी के चलते दम तोड़ रही हैं। अवैध उत्खनन और बढ़ते अतिक्रमण के चलते सेहरा नदी का अस्तित्व ही समाप्त होने लगा है। नदी के मुहाने पर जगह-जगह कब्जा कर लोगों ने खेती करना प्रारंभ कर दिया है। खनिज कारोबारी अवैध उत्खनन कर नदी को खोखला कर रहे हैं।
सेहरा नदी धौहनी विधानसभा क्षेत्र के दो दर्जन गांवों से होकर गुजरती है। अब कई जगह नदी इस कदर सीमट गई है कि उसका अस्तित्व ही नजर नहीं आता। नदी के दोनों किनारे पर लोग अतिक्रमण कर खेती कर रहे हैं।
कई जगह अवैध रूप से मिट्टी निकालकर ईंट भट्टों का संचालन किया जा रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि दो दशक पूर्व तक हर साल सेहरा नदी का पानी बारिश में पुलिया के ऊपर से गुजरता था, जिस कारण कई मुख्य सड़क मार्ग बंद हो जाते थे लेकिन बढ़ते अतिक्रमण के कारण अब इसमें पानी ही नजर नहीं आता है।
धीरे-धीरे नदी से नाला बन गई
सेहरा नदी में फैले अतिक्रमण को हटाने के लिए आज तक किसी भी प्रकार पहल नहीं की गई। न तो प्रशासनिक स्तर पर और न ही जनप्रतिनिधियों ने इस दिशा में कोई प्रयास किया। जिसके चलते नदी का अस्तित्व ही मिटने लगा है। बीते दो दशक में नदी अतिक्रमण की वजह से सिकुड़कर नाला बनकर रह गई है।
सेहरा नदी पर बना है बांध-
सेहरा नदी सेहरा गांव से होकर निकलती है। नदी पर ही सेहरा बांध बना है। नदी दो दर्जन गांवों से गुजरती है। बारिश के अगले 6 माह तक पानी रहता है, लेकिन जल संसाधन विभाग के अधिकारी सेहरा बांध को पूरा भरने के पूर्व ही उसके गेट खोल देते हैं। भले ही किसानों को पानी की जरूरत न हो। सेहरा नदी का पानी बांध के रपटे से ओवर फ्लो होने पर ही नदी आगे बढ़ती है।
जानिए इस नदी के बारे में
– छिरौला गांव के जंगल से उद्गम होती है नदी।
– नदी पर बनाया गया है बांध।
– बांध से 20 गांवों की फसलों की होती है सिचाई।