सीधी

सरकार और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते यहां नहीं हो पा रहा पर्यटन उद्योग का विकास

-पत्रिका नया भारत अभियान… -पर्यटन संवर्धन की बैठक में चिन्हित पर्यटक स्थलों का नहीं हुआ विकास -बीरबल की जन्मस्थली और बाणभट्ट की तपोस्थली विकास के लिए सरकार की उपेक्षा का झेल रही दंश -पर्यटन उद्योग के विकास में निहित है जिले का चहुमुखी विकास-सीधी जिले में पर्यटन स्थल की हैं अपार संभावनाएं

सीधीJun 15, 2020 / 05:21 pm

Ajay Chaturvedi

चंदरेह शिवमंदिर जहां हुआ था पहली गद्य रचना का सृजन

सीधी. एक जिला जिसमें पर्यटन उद्योग के विकास की असीम क्षमता है। लेकिन सरकार और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते सब रहते हुए भी उसका विकास अवरुद्ध है। बात सीधी की हो रही है जो ऐतिहासिक महत्व व गौरवशाली इतिहास को समेटे है। मध्य प्रदेश के उत्तर पूर्व में प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण बीरबल की जन्मस्थली और बाणभट्ट की तपोस्थली तो विश्व में सफेद शेरों की जनक रही है यह सिद्धभूमि सीधी। लेकिन यहां के पर्यटन उद्योग को सरकार और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के दंश झेलना पड़ रहाहै। यही वजह है कि विकास के पंख नहीं लग रहे।
जिले की पर्यटन संवर्धन की बैठक में चिन्हित हुए आधा दर्जन से अधिक पर्यटक स्थलों का आज तक विकास नहीं हुआ। इस कोरोना काल में यदि जिले के चिन्हित पर्यटन स्थलों का विकास किया जाए तो जिले में ही कई रोजगार के अवसर सृजित होंगे, जिसके कारण जिले से रोजगार के लिए लोगों को औद्योगिक नगरों के लिए पलायन नहीं करना पड़ेगा।
बता दें कि तीन वर्ष पूर्व जिले के तत्कालीन प्रभारी मंत्री हर्ष सिंह की अध्यक्षता में जिला पर्यटन संवर्धन परिषद की बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें निर्णय लिया गया था कि जिले के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों को चिन्हित कर सूचीकरण किया जाए तथा उसके उपरांत पर्यटन स्थलों का चहुमुंखी विकास हो सके। जिससे जिले की ही नहीं बल्कि देश-विदेश के भी पर्यटक उन्हें देखने आ सकंे, और बड़ी संख्या में रोजगार सृजित हों। लेकिन इस दिशा में आगे कोई सार्थक पहल नहीं होने से जिले के पर्यटन विकास को जो पंख लगना था वह नहीं लग सका।
विकास के लिए चिन्हित हुए थे ये पर्यटक स्थल

जिला पर्यटन संवर्धन की बैठक में विकास के लिए चिन्हित हुए पर्यटक स्थलों में बीरबल की जन्मस्थली घोघरा और बाणभट्ट की तपोस्थली चंदरेह, शिकारगंज, नौढिय़ा कठ बंगला, जोगदहा सोन घाट, भंवरखोह, गोरियरा बांध, गोपालदास बांध शामिल किया गया था। इसके अलावा जिले में अन्य पर्यटन स्थल भी चिन्हाकिंत किए जाने के लिए प्रस्तावित थे। लेकिन आज तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई।
विकास और प्रचार-प्रसार के आभाव में नही आते विदेशी पर्यटक

जिले के पर्यटन स्थलों के विकास और प्रचार-प्रसार के अभाव में विदेशी पर्यटकों का यहां आना न के बराबर है। एक आंकड़े के अनुसार जिले में स्थित संजय टाइगर रिजर्व में बीते 5 वर्ष में जहां सिर्फ 11 विदेशी पर्यटक आए हैं। वहीं देशी पर्यटकों की संख्या दो हजार से अधिक रही है। जबकि समीपी बांधवगढ़ नेशनल पार्क में देशी-विदेशी पर्यटकों की भरमार रहती है। यदि बांधवगढ़ आने वाले पर्यटकों को सीधी जिले के ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों की जानकारी दी जाए और उन्हें विकसित किया जाए तो सीधी जिले की सीमा से लगे मध्य प्रदेश के अमरकंटक, चित्रकूट, मैहर एवं उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, बनारस आने वाले पर्यटकों को लाया जा सकता है। पर्यटकों की संख्या बढऩे से यहां रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।

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