scriptबसों में सत्यापित किराया सूची नहीं, यात्रियों से मनमानी वसूली | No verified fare list in buses, arbitrary recovery from passengers | Patrika News

बसों में सत्यापित किराया सूची नहीं, यात्रियों से मनमानी वसूली

locationसीधीPublished: May 11, 2022 08:41:58 pm

Submitted by:

Hitendra Sharma

रात्रिकालीन बसों में ज्यादा मनमानी, 20 अप्रैल 2021 को 25 प्रतिशत किराया बढ़ोतरी के साथ गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया

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सीधी. जिलों एवं राज्यों के लिए गुजरने वाली यात्री बसों में आरटीओ द्वारा सत्यापित किराया सूची नहीं चस्पा है। निजी बस संचालकों की मनमानी के आगे आम यात्री बेबस हैं। दोगुना किराया देने के बावजूद यात्रियों को अपमानित होना पड़ता है। बस मालिकों ने सुपर वीजन के लिए एजेंटों को रखा है, ये लोग यात्रियों से अभद्र व्यवहार करते हैं। बेबस यात्री अपमान का घूंट पीकर सफर करने को मजबूर हो रहे हैं। यहां दिव्यांगों और स्कूली विद्यार्थियों को भी रियायत नहीं दी जा रही है। बस मालिकों ने अपनी इच्छा अनुसार किराए में वृद्धि का कर वसूली में लगे हैं।

आरटीओ विभाग दावे करता है कि किराया ज्यादा लेने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन न तो जांच की जाती है और न कभी पूछताछ होती। हैरानी की बात तो यह है कि परिवहन विभाग द्वारा यहां ना यात्री बस का बीमा, परमिट, फिटनेस चेक किया जा रहा है, न किराया सूची चस्पा है। अधिकांश बसों में आपातकालीन द्वार, फर्स्ट एड बॉक्स, स्पीड गवर्नर और फायर किट भी नहीं है। आरटीओ बस संचालकों की मनमानी को रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई भी नहीं कर रहा है।

जिले में करीब एक दर्जन से ज्यादा यात्री बसें रीवा, सिंगरौली, सतना, प्रयागराज, बनारस, रायपुर, मनेंद्रगढ़ व बिलासपुर के लिए चलती हैं। रात में चलने वाली इन बसों में मनमाना किराया वसूला जा रहा है। संचालकों द्वारा नियुक्त एजेंट मनमानी किराया वसूलते हैं, विरोध करने पर यात्रियों के साथ दुर्व्यहार भी किया जाता है।

मप्र में 20 अप्रैल 2021 को 25 प्रतिशत किराया बढ़ोतरी के साथ गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इसमें पहले 5 किमी के साथ 10 रुपए व उसके बाद प्रति किमी 1.25 रुपए के हिसाब से किराया तय है, लेकिन यहां दोगना किराया वसूला जा रहा है। 15 किमी की यात्रा पर 30 रुपए किराया बस संचालक वसूल रहे हैं। आरटीओ की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार सत्यापित किराया सूची हर बस पर चश्पा होनी चाहिए। इसी आधार पर ही किराया वसूला जाना चाहिए। लेकिन इन नियमों की अनदेखी हो रही है। विकलांग व महिलाओं की आरक्षित सीटों पर जगह नहीं दी जाती। बस मालिकों ने बस स्टैंड में एजेंट व सुपरवाइजर नियुक्त कर रखे हैं। जो अक्सर यात्रियों से दुर्व्यवहार करते हैं। शिकायतें भी मिलती हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता।

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