आरटीओ विभाग दावे करता है कि किराया ज्यादा लेने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन न तो जांच की जाती है और न कभी पूछताछ होती। हैरानी की बात तो यह है कि परिवहन विभाग द्वारा यहां ना यात्री बस का बीमा, परमिट, फिटनेस चेक किया जा रहा है, न किराया सूची चस्पा है। अधिकांश बसों में आपातकालीन द्वार, फर्स्ट एड बॉक्स, स्पीड गवर्नर और फायर किट भी नहीं है। आरटीओ बस संचालकों की मनमानी को रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई भी नहीं कर रहा है।
जिले में करीब एक दर्जन से ज्यादा यात्री बसें रीवा, सिंगरौली, सतना, प्रयागराज, बनारस, रायपुर, मनेंद्रगढ़ व बिलासपुर के लिए चलती हैं। रात में चलने वाली इन बसों में मनमाना किराया वसूला जा रहा है। संचालकों द्वारा नियुक्त एजेंट मनमानी किराया वसूलते हैं, विरोध करने पर यात्रियों के साथ दुर्व्यहार भी किया जाता है।
मप्र में 20 अप्रैल 2021 को 25 प्रतिशत किराया बढ़ोतरी के साथ गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इसमें पहले 5 किमी के साथ 10 रुपए व उसके बाद प्रति किमी 1.25 रुपए के हिसाब से किराया तय है, लेकिन यहां दोगना किराया वसूला जा रहा है। 15 किमी की यात्रा पर 30 रुपए किराया बस संचालक वसूल रहे हैं। आरटीओ की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार सत्यापित किराया सूची हर बस पर चश्पा होनी चाहिए। इसी आधार पर ही किराया वसूला जाना चाहिए। लेकिन इन नियमों की अनदेखी हो रही है। विकलांग व महिलाओं की आरक्षित सीटों पर जगह नहीं दी जाती। बस मालिकों ने बस स्टैंड में एजेंट व सुपरवाइजर नियुक्त कर रखे हैं। जो अक्सर यात्रियों से दुर्व्यवहार करते हैं। शिकायतें भी मिलती हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता।