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छात्रावासों में हो रही मनमानी: पचास सीटर छात्रावास में मिले महज छह छात्र, बजट में हो रहा बंदरबाट

locationसीधीPublished: Aug 20, 2019 06:39:03 pm

Submitted by:

Anil singh kushwah

जूनियर आदिवासी बालक छात्रावास मेडऱा का मामला

Only six students found 50-seater hostel, Bandarbat happening budget

Only six students found 50-seater hostel, Bandarbat happening budget

पथरौला/सीधी. जिले के आदिवासी विकास विभाग द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए संचालित किए जाने वाले 50 व 100 बिस्तरा का छात्रावास विभाग के आला अधिकारियों सहित छात्रावासों में पदस्थ अधीक्षकों के कमाई का जरिया बन गया है। लिहाजा अधीक्षकों के द्वारा कोरम पूरा करने के लिहाज से रजिस्टर में तो पूरे 50 अथवा 100 छात्रों का नाम दर्ज कर लिया जाता है। लेकिन हकीकत में अधिकांश छात्रावासों का आलम यह है कि दर्जनभर से ज्यादा छात्र भी नहीं रहते हैं, और अधीक्षकों के द्वारा फर्जी छात्रों के नाम पर बजट का जमकर बंदरबांट किया जाता है।
छात्रों ने सुनाया दर्द
विगत दिवस पत्रिका के भ्रमण के दौरान ऐसा ही एक मामला आदिवासी जनपद पंचायत कुसमी अंतर्गत संचालित शासकीय जूनियर आदिवासी बालक छात्रावास मेडऱा का प्रकाश में आया है। जहां शाम तकरीबन 6 बजे पहुंची टीम को छात्रावास मे महज छह छात्र ही धमाचौकड़ी करते मिले। पूंछने पर छात्रों द्वारा बताया गया कि छात्रावास में सिर्फ 6 लोग ही हैं। बताया कि रजिस्टर में नाम भले ही 50 छात्रों का दर्ज है। किंतु छात्रावास में कभी कभार अधिकतम 10 छात्र ही रहते हैं। इससे ज्यादा संख्या कभी भी नहीं रहती है।
22 माह से नहीं मिला मानदेय
छात्रावास की देखभाल करने वाले भृत्यों को सालों मानदेय तक नहीं दिया जाता है। मेडऱा में पदस्थ भृत्य गंगा बैगा द्वारा बताया गया कि दो हजार रुपए मात्र महीने में मानदेय दिया जाता है। किंतु 22 माह बीत गए हंै और मानदेय आज तक नहीं दिया गया है। बताया गया कि मानदेय नहीं मिलने से परिवार के भरण पोषण में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
नहीं रहते अधीक्षक
छात्रों ने बताया गया कि अधीक्षक अनिल जायसवाल छात्रावास में निवास नहीं करते हैं। बताया कि वे पूर्व माध्यमिक शाला ददरी में पदस्थ हैं। और उन्हें अन्य स्कूलों के प्रधानाध्यापक का प्रभार भी दिया गया है। ददरी से मेडऱा की दूरी तकरीबन 50 किलोमीटर है। तथा पोड़ी में अधीक्षक का घर भी है। अत: अधीक्षक 4-6 दिन में ही छात्रावास में आते हंै। छात्रों ने बताया कि इस दौरान छात्रावास की देखभाल महज एक भृत्य के द्वारा किया जाता है, और छात्रावास की साफ -सफाई भी हम लोगों के द्वारा ही की जाती है।
खाने और नास्ते में भी कटौती
छात्रों द्वारा बताया गया की नास्ता सप्ताह मे 1-2 दिन ही दिया जाता है। और जब भी दिया जाता है तो नास्ता के नाम पर महज एक एक बिस्किट दिया जाता है। बताया कि खाना भी मीनू के अनुसार नहीं दिया जाता है। खाना में दोनों टाइम अधिकांश दिनों में पानी युक्त दाल व चावल के साथ कभी-कभी आलू प्याज की सब्जी दी जाती है। छात्रों ने बताया की छात्रावास मे एक ही भृत्य होने के कारण खाना बनाने में भी हम लोगों को सहायता करनी पड़ती है। अन्यथा समय पर खाना नहीं मिल पाता और स्कूल के लिए लेट हो जाते हैं।
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