छात्रों ने सुनाया दर्द
विगत दिवस पत्रिका के भ्रमण के दौरान ऐसा ही एक मामला आदिवासी जनपद पंचायत कुसमी अंतर्गत संचालित शासकीय जूनियर आदिवासी बालक छात्रावास मेडऱा का प्रकाश में आया है। जहां शाम तकरीबन 6 बजे पहुंची टीम को छात्रावास मे महज छह छात्र ही धमाचौकड़ी करते मिले। पूंछने पर छात्रों द्वारा बताया गया कि छात्रावास में सिर्फ 6 लोग ही हैं। बताया कि रजिस्टर में नाम भले ही 50 छात्रों का दर्ज है। किंतु छात्रावास में कभी कभार अधिकतम 10 छात्र ही रहते हैं। इससे ज्यादा संख्या कभी भी नहीं रहती है।
विगत दिवस पत्रिका के भ्रमण के दौरान ऐसा ही एक मामला आदिवासी जनपद पंचायत कुसमी अंतर्गत संचालित शासकीय जूनियर आदिवासी बालक छात्रावास मेडऱा का प्रकाश में आया है। जहां शाम तकरीबन 6 बजे पहुंची टीम को छात्रावास मे महज छह छात्र ही धमाचौकड़ी करते मिले। पूंछने पर छात्रों द्वारा बताया गया कि छात्रावास में सिर्फ 6 लोग ही हैं। बताया कि रजिस्टर में नाम भले ही 50 छात्रों का दर्ज है। किंतु छात्रावास में कभी कभार अधिकतम 10 छात्र ही रहते हैं। इससे ज्यादा संख्या कभी भी नहीं रहती है।
22 माह से नहीं मिला मानदेय
छात्रावास की देखभाल करने वाले भृत्यों को सालों मानदेय तक नहीं दिया जाता है। मेडऱा में पदस्थ भृत्य गंगा बैगा द्वारा बताया गया कि दो हजार रुपए मात्र महीने में मानदेय दिया जाता है। किंतु 22 माह बीत गए हंै और मानदेय आज तक नहीं दिया गया है। बताया गया कि मानदेय नहीं मिलने से परिवार के भरण पोषण में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
छात्रावास की देखभाल करने वाले भृत्यों को सालों मानदेय तक नहीं दिया जाता है। मेडऱा में पदस्थ भृत्य गंगा बैगा द्वारा बताया गया कि दो हजार रुपए मात्र महीने में मानदेय दिया जाता है। किंतु 22 माह बीत गए हंै और मानदेय आज तक नहीं दिया गया है। बताया गया कि मानदेय नहीं मिलने से परिवार के भरण पोषण में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
नहीं रहते अधीक्षक
छात्रों ने बताया गया कि अधीक्षक अनिल जायसवाल छात्रावास में निवास नहीं करते हैं। बताया कि वे पूर्व माध्यमिक शाला ददरी में पदस्थ हैं। और उन्हें अन्य स्कूलों के प्रधानाध्यापक का प्रभार भी दिया गया है। ददरी से मेडऱा की दूरी तकरीबन 50 किलोमीटर है। तथा पोड़ी में अधीक्षक का घर भी है। अत: अधीक्षक 4-6 दिन में ही छात्रावास में आते हंै। छात्रों ने बताया कि इस दौरान छात्रावास की देखभाल महज एक भृत्य के द्वारा किया जाता है, और छात्रावास की साफ -सफाई भी हम लोगों के द्वारा ही की जाती है।
छात्रों ने बताया गया कि अधीक्षक अनिल जायसवाल छात्रावास में निवास नहीं करते हैं। बताया कि वे पूर्व माध्यमिक शाला ददरी में पदस्थ हैं। और उन्हें अन्य स्कूलों के प्रधानाध्यापक का प्रभार भी दिया गया है। ददरी से मेडऱा की दूरी तकरीबन 50 किलोमीटर है। तथा पोड़ी में अधीक्षक का घर भी है। अत: अधीक्षक 4-6 दिन में ही छात्रावास में आते हंै। छात्रों ने बताया कि इस दौरान छात्रावास की देखभाल महज एक भृत्य के द्वारा किया जाता है, और छात्रावास की साफ -सफाई भी हम लोगों के द्वारा ही की जाती है।
खाने और नास्ते में भी कटौती
छात्रों द्वारा बताया गया की नास्ता सप्ताह मे 1-2 दिन ही दिया जाता है। और जब भी दिया जाता है तो नास्ता के नाम पर महज एक एक बिस्किट दिया जाता है। बताया कि खाना भी मीनू के अनुसार नहीं दिया जाता है। खाना में दोनों टाइम अधिकांश दिनों में पानी युक्त दाल व चावल के साथ कभी-कभी आलू प्याज की सब्जी दी जाती है। छात्रों ने बताया की छात्रावास मे एक ही भृत्य होने के कारण खाना बनाने में भी हम लोगों को सहायता करनी पड़ती है। अन्यथा समय पर खाना नहीं मिल पाता और स्कूल के लिए लेट हो जाते हैं।
छात्रों द्वारा बताया गया की नास्ता सप्ताह मे 1-2 दिन ही दिया जाता है। और जब भी दिया जाता है तो नास्ता के नाम पर महज एक एक बिस्किट दिया जाता है। बताया कि खाना भी मीनू के अनुसार नहीं दिया जाता है। खाना में दोनों टाइम अधिकांश दिनों में पानी युक्त दाल व चावल के साथ कभी-कभी आलू प्याज की सब्जी दी जाती है। छात्रों ने बताया की छात्रावास मे एक ही भृत्य होने के कारण खाना बनाने में भी हम लोगों को सहायता करनी पड़ती है। अन्यथा समय पर खाना नहीं मिल पाता और स्कूल के लिए लेट हो जाते हैं।