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स्वच्छता अभियान की खुली पोल: स्कूलों में लाखों की लागत से बने शौचालय बिन पानी सून, करोड़ों रुपए हो गए वारे-न्यारे

locationसीधीPublished: Mar 10, 2019 05:30:00 pm

Submitted by:

Anil singh kushwah

साफ-सफाई के इंतजाम नहीं, बच्चे ख्ुाले में जाने को मजबूर

Open pole of sanitation campaign

Open pole of sanitation campaign

सीधी. स्वच्छ भारत अभियान के तहत सरकारी स्कूलों में बनाए गए शौचालय उपयोग विहीन पड़े हुए हैं। विभागीय जानकारी के अनुसार, यहां तीन वर्ष के भीतर यहां करीब १० करोड़ से अधिक खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन बच्चों के लिए ये उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। स्थिति ये है कि करीब एक लाख की लागत से बने शौचालयों में ताला जड़ दिया गया है। बच्चे खुले में जाने को मजबूर हैं। जिम्मेदार अफसर साफ-सफाई की समस्या को इसका प्रमुख कारण बता रहे हैं।
रनिंग वाटर की समस्या
बताया गया, ज्यादातर स्कूलों में रनिंग वाटर की समस्या है। शौचालय में टंकी व पाइनलाइन व नल की टोंटी लगवा दी गई है, लेकिन ट्यूबवेल न होने से रनिंग वाटर उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। पानी न होने से शौचालय की प्रापर सफाई नहीं हो पा रही है। ग्रामीण अंचल में स्वीपर भी नहीं मिलते। ऐसे में विद्यालय प्रबंधन इनमें ताला जड़ देते हैं। जिला प्रशासन भी इस समस्या के निदान के लिए कोई पहल नहीं कर रहा। लिहाजा करोड़ों की लागत से स्कूलों में बनवाए गए शौचालय निरर्थक साबित हो रहे हैं।
महज दो सैकड़ा स्कूलों में रनिंग वाटर की सुविधा
जिले मेें 2300 शासकीय प्राथमिक व माध्यमिक शाला संचालित हैं। स्वच्छ भारत अभियान के तहत गत तीन वर्ष में एक हजार स्कूलों में शौचालय निर्माण कराए गए थे, लेकिन रनिंग वाटर की सुविधा दो सैकड़ा स्कूलों में ही है। यानी अन्य स्कूलों में हैंडपंप ही उपलब्ध है।
तीन वर्ष में दस करोड़ से अधिक राशि खर्च की
विभागीय सूत्रों के अनुसार, स्वच्छ भारत अभियान के तहत वर्ष 2015-16, वर्ष 2016-17 एवं वर्ष 2017-18 में जिले की प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में 415 बालिका एवं 577 बालक शौचालयों का निर्माण कराया गया है। इसमें बालिका शौचालयों के लिए 4 करोड़ 94 लाख 68 हजार एवं बालक शौंचालय के लिए 6 करोड़ 89 लाख 47 हजार रुपए स्वीकृत किए गए थे। स्वीकृत राशि शौचालय निर्माण में खर्च भी कर दी गई, शौचालयों का निर्माण भी हो गया लेकिन उनका उपयोग सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है।
समस्या की जड़
शिक्षकों ने बताया कि बच्चे शौचालय गंदा कर देते हैं। सफाई के इंतजाम न होने के कारण इन पर ताला बंद करना पड़ता है। स्वीपर भी नहीं मिलते। हालांकि, छात्राओं को चाभी दे दी जाती है। कहा जाता है कि वह शौचालय का उपयोग करते समय हैंडपंप से पानी लेकर जाएं। वहीं एसडीओ जिला शिक्षा केंद्र एसपी तिवारी ने बताया कि निर्मित शौचालयों का शत-प्रतिशत उपयोग तभी सुनिश्चित हो पाएगा, शौचालयों में रनिंग वाटर की सुविधा मुहैया हो पाएगी। रनिंग वाटर की सुविधा न होने से शौचालयों की सफाई व्यवस्था को लेकर स्कूल प्रबंधन परेशान हो रहे हैं।
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