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फर्जीवाड़े की राशि वापस करने को तैयार नहीं पंचायतें, नोटिस देकर भूल गए जिम्मेदार, जाने इन अधिकारियों की लापरवाही से नहीं हो पा रही जिले का विकास

किचन शेड निर्माण के नाम पर हुई डेढ़ करोड़ की गड़बड़ी
 

सीधीJan 20, 2019 / 02:31 am

Anil singh kushwah

Panchayats not ready to return the amount of forgery, forgot to notice

सीधी. सरकारी स्कूलों में किचन शेड सह गोदाम निर्माण के नाम पर हुए लगभग डेढ़ करोड़ के फर्जीवाड़े पर प्रशासन वूसली के निर्देश देकर भूल गया। पत्रिका द्वारा प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेेकर जिपं सीइओ ने जांच कराई थी। अनियमितता की पुष्टि होने पर पंचायतों से एक करोड़ ४४ लाख रुपए वसूली के आदेश दिए गए थे, पर पंचायतों ने आज तक जिला पंचायत के खाते में फूटी कौड़ी वापस नहीं की।
पत्रिका ने उजागर किया मामला
बताया गया कि यह राशि पंचायतों को तत्कालीन जिला पंचायत सीइओ के हस्ताक्षर पर जारी की थी। जिन स्कूलों में किचन शेड पहले से बने थे और उनमें भोजन पकाया जा रहा हैं, वहां के लिए भी पंचायतों को राशि जारी कर दी गई थी। वहीं जिन पंचायतों में गत वर्ष ही राशि जारी हुई थी, उनको भी दोबारा राशि जारी कर दी गई थी। इसके पहले बीआरसी व बीइओ से प्रतिवेदन लेना भी उचित नहीं समझा गया था। किंतु यहां प्रत्यक्ष रूप से पंचायत सचिवों व सरपंचों से साठगांठ कर राशि जारी कर दी गई थी। पत्रिका ने मामला उजागर किया तो मामले की जांच कराई गई। जांच प्रतिवेदन के बाद प्रशासन ने वसूली के आदेश जारी किए थे, किंतु सरपंच-सचिवों ने राशि वापस करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
इन पंचायतों से होनी है राशि की वसूली
जिले की 21 पंचायतों को एक करोड़ 44 लाख रुपए जारी किए गए थे। इसमें से गाजर पंचायत में 11 लाख 20 हजार रुपए, रौहाल 8 लाख, जूरी 8 लाख, कोड़ार 6 लाख 40 हजार रुपए, शंकरपुर 6 लाख 40 हजार, भगवार एक लाख 60 हजार, ठाडीपाथर 9 लाख 60 हजार, बमुरी 12 लाख 80 हजार, डोल 8 लाख, ददरीकला 6 लाख 40 हजार, तरका 9 लाख 60 हजार, गुडुआधार 4 लाख 80 हजार, रामपुर 4 लाख 80 हजार, बड़ेसर 4 लाख 80 हजार, लौआर पैपखार 4 लाख 80 हजार, रघुनाथपुर 3 लाख 20 हजार, भरूही 4 लाख 80 हजार, खजुरिहा 5 लाख 40 हजार, टमसार 9 लाख, कतरवार 7 लाख 20 हजार, तितिराशुकुलान 7 लाख 20 हजार कुल एक करोड़ ४४ लाख रुपए की वसूली प्रस्तावित की गई है।
शासन को भी नुकसान
एक करोड़ 44 लाख की राशि बहुत ज्यादा होती है, यह यदि शासन के खाते या पंचायत के खाते मे राशि जमा रहती तो उसे लंबा ब्याज मिलता किंतु पंचायतो के खाते मे राशि चले जाने के बाद वर्षों बाद उतनी ही राशि वसूली की जा रही है जितनी राशि जारी की गई थी, ब्याज की राशि का शासन को नुकसान उठाना पड़ा।
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