संजय गांधी कॉलेज में किए गए आंदोलन में मुख्य रूप से अभाविप के विभाग संगठन मंत्री मुकेश अहिरवार, जिला संगठन मंत्री रामाधार सिंह, पूर्व जिला संयोजक कौशलेश सिंह, नगर मंत्री अभिनव सिंह, शिवम सिंह, चंदन मिश्रा, अभिषेक शुक्ला, जीतेंद्र सिंह, विकासनारायण, रियेश सिंह परिहार, विक्रमादित्य मिश्रा, आशीष चौबे, अविनाश सिंह, कपिल मिश्रा, अमितेश मिश्रा, शिवकुमार सिंह, कामिनी सिंह, आरजू चतुर्वेदी, श्रद्धा चतुर्वेदी, कीर्ति शुक्ला, मोनिका पांडेय उपस्थित रहे।
आंदोलन के दौरान कालेज का मुख्य गेट बंद कर दिया गया। प्रवेश का समय होने के कारण ज्यादा संख्या में छात्र-छात्राएं कॉलेज पहुंचे थे। किंतु गेट बंद होने के कारण जो छात्र कालेज के अंदर थे उन्हें बाहर नहीं निकलने दिया वहीं जो बाहर थे उन्हें बंदर नहीं जाने दिया गया। जिससे प्रवेश के लिए शुल्क जमा करने व दस्तावेज प्रमाणित कराने कॉलेज आने वाले छात्र-छात्राएं अपना कार्य नहीं कर पाए। उन्हें बैरंग अपने घर वापस लौटना पड़ा।
आंदोलन की पूर्व में प्रशासन को सूचना नहीं दी गई थी। जिससे पुलिसकर्मिंयों को आंदोलन के संदर्भ मे कोई जानकारी नहीं थी। स्थानीय लोगों से कोतवाली पुलिस को आंदोलन की जानकारी हो पाई। तब कोतवाली नगर निरीक्षक अपनी टीम के साथ कॉलेज पहुंचकर मोर्चा संभाला गया।
छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा शहर के शासकीय कन्या महाविद्यालय में भी प्रवेश सीट बढ़ाए जाने को लेकर आंदोलन किया गया था, जिस पर कॉलेज प्राचार्य द्वारा बीस प्रतिशत प्रतिशत प्रवेश सीट बढ़ा दी गई हैं। यह सीट बढऩे प्रवेश से वंचित हो रही छात्राओं को लाभ मिलेगा।
ज्ञापन लेने के बाद छात्रों के प्रतिनिधिमंडल को प्राचार्य ने अपने कक्ष में बुलाया। चर्चा के दौरान छात्रों ने आरोप लगाया कि कॉपी चेकिंग के दौरान प्राध्यापकों द्वारा मनमानी की जाती है। सिफारिश के आधार पर कुछ छात्र-छात्राओं को ज्यादा अंक दिए जाते हैं। इस आरोप को सुनने के बाद परीक्षा प्रभारी आरपी सिंह गुस्से में आ गए। उनके द्वारा कहा गया कि मैं चैलेंज देता हूं, पूरी कॉपी फिर से जांच करा ली जाए, एक मे भी अनियमितता मिल गई तो मै नौकरी छोड़ दूंगा। इसी बात को लेकर परीक्षा प्रभारी व छात्रों के बीच प्राचार्य कक्ष मे बहसबाजी की गई।