जलसंकट की स्थिति बरकरार
पीएचई विभाग का दावा है कि जिले में 263 योजनाएं और 19 हजार 922 हैंडपंप स्थापित किए गए हैं। जिसके जरिए ग्रामीण पीने का पानी भरते हैं। सरकारी आंकड़ों में 68 नलजल योजनाएं व 184 हैंडपंप बंद बताए जा रहे हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत इसके उलट है। जिससे जलसंकट की स्थिति बरकरार है और ग्रामीणों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
पीएचई विभाग का दावा है कि जिले में 263 योजनाएं और 19 हजार 922 हैंडपंप स्थापित किए गए हैं। जिसके जरिए ग्रामीण पीने का पानी भरते हैं। सरकारी आंकड़ों में 68 नलजल योजनाएं व 184 हैंडपंप बंद बताए जा रहे हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत इसके उलट है। जिससे जलसंकट की स्थिति बरकरार है और ग्रामीणों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
यहां की हालत खराब
पहाड़ी इलाकों की ग्राम पंचायतों में जलसंकट की स्थिति अभी से निर्मित हो रही है। इसके बावजूद यहां के ज्यादातर हैंडपंप खराब पडे हैं, उन्हें सुधार कराने में लापरवाही बरती जा रही है। हैंडपंपों खराब हो जाने पर महीनों इनका सुधार न हो पाना आम बात है। विभाग ने हैंडपंपों की मरम्मत के लिए कोई पारदर्शी व्यवस्था लागू न करने के कारण संधारण की जिम्मेदारी पाने वाले मैकेनिक भी स्वेच्छाचारी बने हुए हैं। आरोप है कि सुविधा शुल्क के बिन काम करने को तैयार नहीं होते।
पहाड़ी इलाकों की ग्राम पंचायतों में जलसंकट की स्थिति अभी से निर्मित हो रही है। इसके बावजूद यहां के ज्यादातर हैंडपंप खराब पडे हैं, उन्हें सुधार कराने में लापरवाही बरती जा रही है। हैंडपंपों खराब हो जाने पर महीनों इनका सुधार न हो पाना आम बात है। विभाग ने हैंडपंपों की मरम्मत के लिए कोई पारदर्शी व्यवस्था लागू न करने के कारण संधारण की जिम्मेदारी पाने वाले मैकेनिक भी स्वेच्छाचारी बने हुए हैं। आरोप है कि सुविधा शुल्क के बिन काम करने को तैयार नहीं होते।
नहीं है पाइपलाइन
सरकारी आंकड़ों की बात करें तो 19 हजार 922 हैंडपंप विभाग ने स्थापित किए हैं। इनमें 19 हजार 738 चालू हैं और 184 खराब खराब बताए जा रहे हैं। लेकिन जमीनी स्तर का आंकड़ा कुछ अलग ही है। ग्रामीण अंचल की पेयजल व्यवस्था पर गौर किया जाए तो ग्रामीणों को अभी से पानी के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। हजारों हैंडपंप ऐसे हैं, जिनमें या तो पाइप कम हैं। या फिर उसकी चैन गायब है और इन्हें सरकारी आंकड़ों में चालू बताया जा रहा है।
सरकारी आंकड़ों की बात करें तो 19 हजार 922 हैंडपंप विभाग ने स्थापित किए हैं। इनमें 19 हजार 738 चालू हैं और 184 खराब खराब बताए जा रहे हैं। लेकिन जमीनी स्तर का आंकड़ा कुछ अलग ही है। ग्रामीण अंचल की पेयजल व्यवस्था पर गौर किया जाए तो ग्रामीणों को अभी से पानी के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। हजारों हैंडपंप ऐसे हैं, जिनमें या तो पाइप कम हैं। या फिर उसकी चैन गायब है और इन्हें सरकारी आंकड़ों में चालू बताया जा रहा है।
न हैंडपंप है न नलजल, पानी को भटकते ग्रामीण
जिले में कई गांव ऐसे हैं, जहां के लोगों को पेयजल के लिए काफी दूर जाना पड़ रहा है उन बस्तियों में न तो हैंडपंप हैं और न ही पेयजल के पूर्ति के लिए कुआं। हालंकि विभाग कुछ नलजल योजनाओं को चालू बता रहा है।
जिले में कई गांव ऐसे हैं, जहां के लोगों को पेयजल के लिए काफी दूर जाना पड़ रहा है उन बस्तियों में न तो हैंडपंप हैं और न ही पेयजल के पूर्ति के लिए कुआं। हालंकि विभाग कुछ नलजल योजनाओं को चालू बता रहा है।