कई बार यूूपी धान कटाई के लिए जाने वाले श्रमिक वापस आने पर गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं, जहां उनको अकाल काल के गाल में समाना पड़ जाता है। इन सबके बावजूद जिला प्रशासन श्रमिकों के पलायन पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। और न ही इस दिशा में कोई ठोस कदम ही उठाया जा रहा है।
गत वर्ष हुई थी दो बच्चों की मौत
गत वर्ष धान कटाई के लिए यूपी के मिर्जापुर गए मजदूर बीमार हो गए थे। ज्यादातर मलेरिया के शिकार थे। इसमें सिहावल विकासखंड के बिलारोटोला गांव के दो बच्चों की मौत भी हो गई थी। बिलारोटोला के पड़ोसी गांव बदरखेड़ा के मजदूरों का दूसरा जत्था जब यूपी से मजदूरी कर वापस लौटा तो बीमार पड़ गया था। करीब आधा दर्जन लोगों के बीमार पडऩे पर इसकी सूचना मलेरिया विभाग को दी गई थी। सूचना मिलते ही जिला मलेरिया अधिकारी स्वास्थ्य दल के साथ प्रभावित गांव पहुंचकर शिविर लगाकर लोगों का रक्त परीक्षण कर मलेरिया की जांच के साथ ही आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराई गई थी, जहां उपचार के बाद लोगों को राहत मिली थी।
गत वर्ष धान कटाई के लिए यूपी के मिर्जापुर गए मजदूर बीमार हो गए थे। ज्यादातर मलेरिया के शिकार थे। इसमें सिहावल विकासखंड के बिलारोटोला गांव के दो बच्चों की मौत भी हो गई थी। बिलारोटोला के पड़ोसी गांव बदरखेड़ा के मजदूरों का दूसरा जत्था जब यूपी से मजदूरी कर वापस लौटा तो बीमार पड़ गया था। करीब आधा दर्जन लोगों के बीमार पडऩे पर इसकी सूचना मलेरिया विभाग को दी गई थी। सूचना मिलते ही जिला मलेरिया अधिकारी स्वास्थ्य दल के साथ प्रभावित गांव पहुंचकर शिविर लगाकर लोगों का रक्त परीक्षण कर मलेरिया की जांच के साथ ही आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराई गई थी, जहां उपचार के बाद लोगों को राहत मिली थी।
बिचौलिए सक्रिय
सिहावल विकासखंड से धान कटाई के लिए बड़ी संख्या में मजदूर यूपी सहित अन्य राज्यों के लिए जाते हैं। कुछ बिचौलिए सक्रिय हैं, जो क्षेत्र में भ्रमण कर मजदूर एकत्रित करते हैं और बाहर ले जाकर कमाई करते हैं, लेकिन वहां से लौटने के बाद बीमार पडऩे का सिलसिला जारी है। प्रशासन पलायन रोकने व रोजगार उपलब्ध कराने पहल नहीं करता।
सिहावल विकासखंड से धान कटाई के लिए बड़ी संख्या में मजदूर यूपी सहित अन्य राज्यों के लिए जाते हैं। कुछ बिचौलिए सक्रिय हैं, जो क्षेत्र में भ्रमण कर मजदूर एकत्रित करते हैं और बाहर ले जाकर कमाई करते हैं, लेकिन वहां से लौटने के बाद बीमार पडऩे का सिलसिला जारी है। प्रशासन पलायन रोकने व रोजगार उपलब्ध कराने पहल नहीं करता।
जाते हैं सपरिवार
बताया गया, श्रमिक पूरे परिवार के साथ धान कटाई के लिए दूसरे राज्य जाते हैं। छोटे-छोटे बच्चे भी उनके साथ होते हैं। इसके बावजूद उनके ठहरने व खान-पान की कोई खास व्यवस्था नहीं की जाती। खुले मैदानों मेें तंबू बनाकर रहते हैं। जहां मच्छर काटने से डेंगू-मलेरिया जैसी घातक बीमारियों होने का खतरा बना रहता है।
बताया गया, श्रमिक पूरे परिवार के साथ धान कटाई के लिए दूसरे राज्य जाते हैं। छोटे-छोटे बच्चे भी उनके साथ होते हैं। इसके बावजूद उनके ठहरने व खान-पान की कोई खास व्यवस्था नहीं की जाती। खुले मैदानों मेें तंबू बनाकर रहते हैं। जहां मच्छर काटने से डेंगू-मलेरिया जैसी घातक बीमारियों होने का खतरा बना रहता है।
बात सही है, जिले से पलायन कर यूपी सहित अन्य राज्यों में जाने वाले श्रमिक बीमार होकर लौटते हैं। गत वर्ष जैसी स्थिति न हो इसलिए विभाग ने पूर्व से ही तैयारी कर ली है। मैदानी अमले के सहयोग से ऐसे परिवारों को चिह्नित किया जा रहा है। उनके वापस आते ही पहले उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। ताकि, बीमार होने पर उनका समुचित उपचार किया जा सके।
हनुमान प्रसाद नामदेव, जिला मलेरिया अधिकारी, सीधी
हनुमान प्रसाद नामदेव, जिला मलेरिया अधिकारी, सीधी