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MP के इस टाइगर रिजर्व के बाघ असुरक्षित, महीनों तक नहीं मिलती लोकेशन

locationसीधीPublished: Apr 16, 2018 01:26:24 pm

Submitted by:

suresh mishra

MP के इस टाइगर रिजर्व के बाघ असुरक्षित, महीनों तक नहीं मिलती लोकेशन

Sidhi sanjay national park tiger project news in hindi

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सीधी। संजय टाइगर रिजर्व में बाघों का लोकेशन पता करने के लिए कालर आइडी नहीं लगाई गई है। जिससे उनकी नियमित रूप से निगरानी नहीं हो पा रही। वन क्षेत्र में लगे कैमरे भी खराब हैं, जिससे महीनों तक बाघों की लोकेशन ट्रैस नहीं हो पाती। अर्थात यूं कहें कि टाइगर रिजर्व में बाघ असुरक्षित हैं।
आपसी लड़ाई अथवा बीमार होने पर तुरंत उपचार भी नहीं दिया जा सकता। शिकारी भी जंगल की अव्यवस्था से वाकिफ होते हैं और इस अव्यवस्था का फायदा उठाते हुए बाघों को निशाना बना लेते हैं।
घट गई बाघों की संख्या
एक समय संजय टाइगर रिजर्व में 16 से ज्यादा बाघ थे, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती जा रही है। अब यहां 12 बाघ ही बचे हैं। गत वर्ष एक बाघिन का शिकार हो गया। इसके बाद उसके तीन शावक भी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व शिफ्ट कर दिए गए थे। अधिकारियों के ने दावा किया था कि इन शावकों को जल्द ही वापस बुला लिया जाएगा, लेकिन उनकी मौत हो गई।
बफर जोन के बाहर करते मिले थे अठखेलियां
विभागीय सूत्रों के अनुसार, संजय टाइगर रिजर्व में डेवा बाघिन के चार नर व मादा शावक बाघों की कालरिंग किया जाना आवश्यक है। क्योंकि ये अक्सर अठखेलियां करते हुए बफर जोन से बाहर चले जाते है। जहां मानव द्वंद की आशंका बनी रहती है।
शिकार करते हुए देखा गया था

हाल ही में इन्हें छत्तीसगढ़ स्थित बैकुंठपुर के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान व उत्तर वनमंडल शहडोल में शिकार करते हुए देखा गया था। कालर आइडी होती तो इनके विचरण की लोकेशन अफसरों को मिल जाती और उन्हें बफर जोन से बाहर जाने से रोका जा सकता है।
अब तक नहीं मिला पत्र का जवाब
शावकों को व्हीएचएफ रेडियो कालर कराने के लिए वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 12 बी के तहत आवश्यक अनुमति मांगी है। संजय टाइगर रिजर्व के तत्कालीन संचालक डॉ. दिलीप कुमार ने मुख्य वन संरक्षक भोपाल को इस संबंध में पत्र लिखा था। जहां से अनुमति मिलने के बाद रेडियो कालर लगाने की बात कही जा रही थी, लेकिन आज तक पत्र का जवाब नहीं आया, जिससे मामला ठंडे बस्ते में है।
उम्र दराज बाघ की हो चुकी है मौत
संजय टाइगर रिजर्व में नर बाघ टी-005 सबसे उम्र दराज था। वर्ष 2015 में हुई एक टेरिटोरियल फाइट में वह घायल हो गया और बाद में मौत हो गई। एक बाघिन का नामकरण हो पाया है न उसे अब तक कालर आइडी लगाई।

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