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कोरोना के बाद तूफान का कहर, गरीबों को सिर छिपाने को छप्पर तक नहीं, अधिकारी दे गए आश्वासन

locationसीधीPublished: Jun 07, 2020 04:28:55 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-तूफान के चौथे दिन भी नहीं हो सका कोई इंतजाम

तूफान से तहस नहस ग्रामीण परिवार, रहने का ठिकाना तक नहीं

तूफान से तहस नहस ग्रामीण परिवार, रहने का ठिकाना तक नहीं

सीधी. कोरोना वायरस ने पहले ही सेहत से लेकर जेब तक ढीली कर रखी थी अब बचा-खुचा निसर्ग तूफान ने पूरा कर दिया। अब तो गांव के गरीबों के सिर से छप्पर तक छिन गया। उधर प्रशासनिक अमला है कि लोगों के आपदा प्रबंधऩ के तहत मदद करने का आश्वासन दे कर निकल लिया। ऐसे में अब गरीब जाएं तो कहां जाएं, किससे करें फरियाद।
बता दें कि महाराष्ट्र व गुजरात में आए निसर्ग तूफान का असर मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी पड़ा। गुरुवार की शाम 7 बजे के करीब आए तूफान ने गांव के गांव उजाड़ दिए। न रहने को घर बचा न फसल न मवेसियों का ही कुछ अता-पता है। इस तूफान का सर्वाधिक कहर टूटा मझौली पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत महखोर, टिकरी और भुमका में। यहां कुछ भी शेष नहीं बचा है। न खाने का ठिकाना न रहने का।
उधर महखोर गांव में आए चक्रवाती तूफान के बाद क्षति का आंकलन करने पहुंचा प्रशासनिक अमला। अधिकारियों ने गांव वालों को समझाया कि नुकसान का आंकलन कर आपदा प्रबंघन के तहत सहायता राशि दी जाएगी। फिलहाल आप लोगो के लिए पॉलीथिन का इंतजाम किया जा रहा है ताकि आप लोग अपने घरों, झोपड़ों को रहने लायक बना लें। लेकिन इतना कह कर अफसर गए तो फिर लौट कर नहीं आए। न ही कुछ राहत सामग्री ही भिजवाई। ग्रामीणों का कहना है कि अब तो मानसूनी मौसम भी आ ही गया है, ऐसे में बारिश हुई तो बीवी-बच्चों को सिर छिपाने की भी जगह नहीं बची है। वो कहते हैं कि शासन-प्रशासन से कुछ राहत मिल जाती तो कम से कम छान-छप्पर तो लगा लेते ताकि कोई बारिश में भींगता नहीं।
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