सिंधी समाज द्वारा लॉकडाउन के दौरान जहां भोजन के लंच पैकेट तैयार कर उसका जरूरतमंदों को वितरण किया जाता रहा, वहीं शहर के ऐसे गरीब परिवार जिनके यहां राशन की समस्या थी, उनकी जानकारी एकत्रित कर उनके राशन के पैकेट मुहैया कराए जाते थे। लॉक डाउन के दौरान सिंधी समाज द्वारा शहर के सैकड़ो गरीब परिवारों को राशन के पैकेट उपलब्ध कराए गए, राशन के इस पैकेट में पांच किलो चावल, डेढ़ किलो दाल, एक लीटर तेल के साथ ही एक अन्य सामग्री क्रय करने के लिए 100 रुपये नकद भी उपलब्ध कराए जाते थे।
रोज बांटे जाते थे दो हजार पैकेट
बताया गया कि लॉक डाउन के पहले चरण में सिंधी समाज द्वारा शहर के गुरूद्वारे में 27 मार्च से भोजन बनाने के साथ भोजन के पैकेट तैयार कर वितरण का कार्य शुरू कर दिया गया था। 21 दिन तक चले लॉक डाउन के पहले चरण में प्रतिदिन सिंधी समाज द्वारा भोजन के दो हजार पैकेट तैयार कर जरूरतमंदों को वितरण किया जाता था। वहीं लॉकडाउन के दूसरे चरण में जब प्रवासी श्रमिकों का आना कम हो गया तो 15 दिवस तक 1200 पैकेट प्रतिदिन तैयार कर वितरण किया जाने लगा। वहीं लॉक डाउन के तीसरे चरण में जरूरत के हिसाब से प्रतिदिवस तक 600 भोजन के पैकेट तैयार कर वितरित किए गए। तीसरे चरण के लॉक डाउन में आठ दिन तक यह कार्यक्रम जारी रखा गया, इसके बाद बंद कर दिया गया।
कोरोना कर्मवीरों को उपलब्ध कराए जाते थे नास्ता के पैकेट
सिंधी समाज द्वारा जरूरतमंदों को भोजन के पैकेट उपलब्ध कराए जाने के साथ ही कोरोनाकाल में लोगों की सेवा करने के लिए तैनात स्वास्थकर्मी, पुलिसकर्मी सहित अन्य प्रशासनिक अमले को प्रतिदिन नास्ते के पैकैट तैयार कर भी वितरित किए जाते थे, ताकि होटल बंद होने से ऐसे लोगों को नास्ता व चाय के लिए परेशान न होना पड़े।
इन लोगों का रहा विशेष सहयोग पूज्य सिंधी पंचायत के संरक्षण में कोरोना काल में किए गए इस सामाजिक कार्य में वैसे तो समाज के हर व्यक्ति ने अपनी हैसियत के अनुरूप सहयोग किया। लेकिन कमल कामदार, राजू आहूजा, राकू कामदार, गुड्डू आहूजा, अजय हरवानी, भीम कामदार, सुशील अग्रवानी, आनंद परियानी, हरीश हरवानी, संजय हरवानी, अशोक हरवानी, सुशील मोटवानी, पिंकू चुगवानी, बिन्नू, मनोज कारा, सेवाराम, अमित लालवानी, मयंक बत्रा, सुरेश छत्तानी, ओम प्रकाश, विजय, संजय आहूजा, रोहित, राहुल आदि का योगदान खास रहा। खाना बनाने का कार्य गुरूद्वारे में किया जाता था, जिसमे सात मजदूर लगाए गए थे, जहां सुबह-शाम नास्ता चाय, दोपहर एवं रात्रि का भोजन पैकेट के साथ ही जरूरत पडऩे पर सिंधी परिवारों से रोटियां बनवाकर वितरित की जाती थी। यहां सहयोग के रूप में शहर के कुछ समाजसेवियों ने दानदाता की भूमिका निर्वहन की थी।