जिले में इस तरह कोई एक नहीं, बल्कि 3 प्रकरण सामने आए हैं। माना जा रहा है कि विभाग में व्यापक पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ।
विभाग बारीकी से जांच कराए तो बड़े खुलासे हो सकते हैं। होम लोन में अनियमितता की पृष्टि होने पर जिला सहकारी बैंक सीधी के
उपयंत्री बीपी सिंगगोल को बखश्ति कर लोन वसूली के निर्देश दिए गए हैं। बैंक के सीइओ ने विभागीय जांच संस्थित कर आरएस पटेल को जांच अधिकारी नियुक्त किया है, लेकिन आरएस पटेल का स्थानांतरण हो गया। जिसके बाद लेखाधिकारी सूर्य प्रताप सिंह को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। उपयंत्री बीपी सिंगरौल ने इस पर आपत्ति जताई। लिहाजा, सूर्य प्रताप के स्थान पर चुरहट शाखा प्रबंधक योगेंद्र सिंह को जांच अधिकारी बनाया गया।
कमेटी के समक्ष जो आरोप रखे गए, उनमें बताया गया, शाखा बेढ़न के हितग्राहियों को बिना निर्माण कराए आवास ऋण की सभी किस्तें जारी कर दी गईं। हितग्राहियों ने मकान नहीं बनाया। फिर भी भुगतान जारी रहा। जांच प्रतिवेदन के मुताबिक, आरोप सिद्ध होने से बीपी सिंगरौल उपयंत्री को लापरवाही बरतने व कर्तव्य पालन न करने के साथ निरीक्षण की उपयोगिता का प्रमाण-पत्र जारी कर देने पर बैंक कर्मचारी सेवा नियम के तहत प्रमुख कदाचरण की श्रेणी में मानते हुए बखश्ति करने का आदेश दिया गया है।
जांच दल की रिपोर्ट पर हुई कार्रवाई
आरोपी उपयंत्री द्वारा होम लोन में की गई किस्तों के भुगतान व जारी किए गए प्रमाण पत्र की उपयोगिता को देखकर निरीक्षण न करने का लगाया गया आरोप भी तब स्पष्ट हो जाता है जब बैढन निवासी सत्तार खांन से जांच दल ने पूछताछ की तो उन्होने जांच टीम से यह स्वीकार किया कि उन्होने बैंक से घर बनाने के लिए लोन लिया है, लेकिन जिस आराजी का जिक्र किया गया है उसमें घर नहीं बना है।
इसी तरह जब जांच टीम ने उनसे उस स्थल को दिखाने के लिए कहा तब हितग्राही द्वारा यह कहा गया कि जब वहां घर ही नहीं बना है तब उन्हे क्या दिखाए। निरीक्षण दल ने तीनों हितग्राहियों के घरों का निरीक्षण भी किया जिसमें तीनों द्वारा कहीं भी मकान का निर्माण नहीं किया गया है। तब तो प्रशासक वर्तमान कलेक्टर के समक्ष निरीक्षण टीप को रखते हुए निर्णय की प्रत्याशा की गई तभी बैंक बोर्ड के निर्णयानुसार उपयंत्री को पद से बर्खाश्त कर राशि वसूली रुपए 16 लाख के भी निर्देश उनके स्वत्व से किए जाने हेतु दिए गए।