प्रशासन की घोर लापरवाही
जिला मुख्यालय में टैक्सी स्टैंड की समस्या अनवरत बनी हुई है। पार्किंग एवं स्टैंड की समुचित व्यवस्था न हो पाने के कारण जहां आम लोगों को समस्या का सामना तो करना पड़ रहा है, वहीं यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करने में यातायात पुलिस को भी मसक्कत करनी पड़ रही है। इसके बावजूद भी प्रशासन सार्थक दिशा में कदम उठाने की बजाय हवा-हवाई में व्यवस्था दुरूस्त होने के दावे करता है। शहर में दो स्थानों पर अघोषित टैक्सी स्टैंड बना हुआ है। जहां मर्चुरी के सामने राष्ट्रीय राजमार्ग ७५ के किनारे जगह न होने के कारण चुरहट, बढ़ौरा, सेमरिया की तरफ जाने वाली टैक्सी जमा रहती हैं। वहीं बहरी, कुबरी, पटेहरा, कुचवाही की तरफ जाने वाली टैक्सी जल संसाधन कार्यालय के सामने जुटती हैं। इन दोनों स्थानों पर स्टंैड की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां तक कि पेयजल के लिए अन्य सुविधा तो दूर शासकीय हैंडपंप भी नहीं हैं। फिर भी मजबूरी में व्यवस्थित टैक्सी स्टैंड निर्धारित न हो पाने से टैक्सी चालक दोनों स्थानों पर टैक्सियां खड़ा कर यात्री बैठाते हैं। सड़क किनारे यात्री प्रतीक्षालय गांवों में भी बने हैं, किंतु शहर में इसके लिए व्यवस्था नहीं है।
जिला मुख्यालय में टैक्सी स्टैंड की समस्या अनवरत बनी हुई है। पार्किंग एवं स्टैंड की समुचित व्यवस्था न हो पाने के कारण जहां आम लोगों को समस्या का सामना तो करना पड़ रहा है, वहीं यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करने में यातायात पुलिस को भी मसक्कत करनी पड़ रही है। इसके बावजूद भी प्रशासन सार्थक दिशा में कदम उठाने की बजाय हवा-हवाई में व्यवस्था दुरूस्त होने के दावे करता है। शहर में दो स्थानों पर अघोषित टैक्सी स्टैंड बना हुआ है। जहां मर्चुरी के सामने राष्ट्रीय राजमार्ग ७५ के किनारे जगह न होने के कारण चुरहट, बढ़ौरा, सेमरिया की तरफ जाने वाली टैक्सी जमा रहती हैं। वहीं बहरी, कुबरी, पटेहरा, कुचवाही की तरफ जाने वाली टैक्सी जल संसाधन कार्यालय के सामने जुटती हैं। इन दोनों स्थानों पर स्टंैड की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां तक कि पेयजल के लिए अन्य सुविधा तो दूर शासकीय हैंडपंप भी नहीं हैं। फिर भी मजबूरी में व्यवस्थित टैक्सी स्टैंड निर्धारित न हो पाने से टैक्सी चालक दोनों स्थानों पर टैक्सियां खड़ा कर यात्री बैठाते हैं। सड़क किनारे यात्री प्रतीक्षालय गांवों में भी बने हैं, किंतु शहर में इसके लिए व्यवस्था नहीं है।
ये होती हैं समस्याएं
शहर में मर्चुरी के सामने अघोषित टैक्सी स्टैंड बना है। जिससे यहां शव लेकर आने वाले वाहन खड़े करने की जगह नहीं बचती। राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे टैक्सियां खड़ी करने से यात्रियों की भी भीड़ जमा हो जाती है। इधर, राष्ट्रीय राजमार्ग से बड़े वाहन अपनी रफ्तार में गुजरते हैं। सड़क इतनी संकीर्ण हैं कि बड़ी मुस्किल से दूसरा वाहन निकल पाता है।
शहर में मर्चुरी के सामने अघोषित टैक्सी स्टैंड बना है। जिससे यहां शव लेकर आने वाले वाहन खड़े करने की जगह नहीं बचती। राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे टैक्सियां खड़ी करने से यात्रियों की भी भीड़ जमा हो जाती है। इधर, राष्ट्रीय राजमार्ग से बड़े वाहन अपनी रफ्तार में गुजरते हैं। सड़क इतनी संकीर्ण हैं कि बड़ी मुस्किल से दूसरा वाहन निकल पाता है।
ऐेसे व्यवस्थित किया जा सकता है टैक्सी स्टैंड
शहर के भानू कॉम्पलेक्स व हाउसिंग बोर्ड के बीच पर्याप्त खाली शासकीय जमीन है। वहीं दूसरी तरफ हिरन नाले के किनारे शासकीय जमीन रिक्त पड़ी हुई है जो धीरे-धीरे अतिक्रमण का शिकार हो रही है। यदि प्रशासन प्रयास करें तो इन दोनों स्थानों को टैक्सी स्टैंड के रूप में विकसित किया जा सकता है। सुविधाएं भी व्यवस्थित करने में इन स्थानों पर समस्याएं नहीं आएंगी। थोड़ी सी मेहनत से टैक्सी स्टैंड की समस्या से निजात पाया जा सकता है। आवश्यकता है सार्थक पहल की एवं प्रशासनिक क्रियान्वयन की। किंतु इस दिशा में जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया।
शहर के भानू कॉम्पलेक्स व हाउसिंग बोर्ड के बीच पर्याप्त खाली शासकीय जमीन है। वहीं दूसरी तरफ हिरन नाले के किनारे शासकीय जमीन रिक्त पड़ी हुई है जो धीरे-धीरे अतिक्रमण का शिकार हो रही है। यदि प्रशासन प्रयास करें तो इन दोनों स्थानों को टैक्सी स्टैंड के रूप में विकसित किया जा सकता है। सुविधाएं भी व्यवस्थित करने में इन स्थानों पर समस्याएं नहीं आएंगी। थोड़ी सी मेहनत से टैक्सी स्टैंड की समस्या से निजात पाया जा सकता है। आवश्यकता है सार्थक पहल की एवं प्रशासनिक क्रियान्वयन की। किंतु इस दिशा में जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया।