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जिस नाले मे पसीना बहाए थे कलेक्टर उसे भूल गया प्रशासन

locationसीधीPublished: Jan 23, 2020 04:43:28 pm

Submitted by:

op pathak

जिस नाले मे पसीना बहाए थे कलेक्टर उसे भूल गया प्रशासन, सूखा नाला को बचाने आगे नहीं आ रहा है प्रशासन, अधर मे लटका ड्रीम प्रोजेक्ट का सपना

सीधी। शहर के मध्य से बहने वाला सूखा नाला बढ़ती आबादी के साथ अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। सूखा नाला में फैले भारी अतिक्रमण एवं गंदगी के चलते इसका वजूद खतरे में पड़ा है। नाला के जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण को लेकर सालों से बैठकों का दौर जारी है। बैठकों में लंबे चौड़े प्रस्ताव रखे जाते हैं, इसे स्मार्ट सिटी मे भी शामिल किया गया है। लेकिन इन पर अमल न होने से सूखा नाला को बचाने को लेकर प्रबुद्ध लोगों की चिंताएं बढ़ रही हैं। सूखा नाला की सुंदरता पर लगे ग्रहण को दूर करने के लिए न तो प्रशासनिक अधिकारी आगे आ रहे हैं और न ही जनप्रतिनिधि एवं समाजसेवी। पूर्व मे तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सिंह के द्वारा सूखा नाले का वजूद बचाने के लिए न तो सिर्फ इसे स्मार्ट सिटी मे शामिल कराया गया बल्कि वे खुद नाले मे उतरकर अपने हांथो मे जेसीबी वाहन की स्टेयरिंग पकड़कर सफाई कार्य मे जुट गए थे, करीब एक माह तक लगातार इस नाले का वे सफाई कार्य मे जनसहयोग से जुटे रहे। किंतु इनके तवादले के बाद फिर इस नाले के ड्रीम प्रोजेक्ट को खटाई मे डाल दिया गया।
बताते चलें कि सूखा नाला के वजूद पर खतरा मंडराने का दौर 1980 के दशक से शुरू हो चुका है। प्रशासनिक लापरवाही के चलते नाला के दोनों तरफ अतिक्रमण करने की होड़ मची हुई है। जिसके चलते सूखा नाला की चौड़ाई सिमटने का क्रम अनवरत रूप से चल रहा है। रही सही कसर यहां पर फेंके जाने वाली गंदगी ने पूरी कर दी है। सूखा नाला में भारी मात्रा में कचरा फेंके जाने के चलते इसकी गहराई पूरी तरह से घट चुकी है। सूखा नाला में पडऱा से लेकर कलेक्ट्रेट मार्ग तक सबसे ज्यादा अतिक्रमण किया गया हैै। पूर्व मे करीब दो सैकड़ा लोगों के द्वारा इस नाले पर अतिक्रमण कर लिया गया था, जिसे कलेक्टर के द्वारा धराशाई करवाए थे किंतु फिर से इस नाले के किनारे अतिक्रमण का दौर शुरू हो चुका है। अवर्षा का दौर कई सालों से चलने के कारण सूखा नाला के अंदर मकान बनाने वालों को अब भारी बारिश के दौरान होने वाले खतरे से भी पूरी तरह से मुक्ति मिल चुकी है। यदि यही हालात सूखा नाला की उपेक्षा को लेकर चलता रहा तो कुछ सालों के अंदर ही यह अतीत बनकर रह जाएगा।
नालियों का पानी सूखा नाला में-
शहर के मध्य से सूखा नाला के बहने के कारण कई क्षेत्रों के नालियों का पानी भी इसमें पहुंच रहा है। बाजार क्षेत्र से संबद्ध नालियों का पानी कई दशकों से नाला में समा रहा है। नालियों का गंदा पानी यहां आने के कारण सूखा नाला के करीब 4 दशक पहले से ही भारी प्रदूषित होने का सिलसिला शुरू हो चुका था। वर्तमान में भी यह स्थिति दूर होने के बजाय बनी हुई है। गोपालदास मंदिर, आजाद नगर, कलेक्ट्रेट मार्ग के समीप से कई नालियों का गंदा पानी यहां पहुंच रहा है। शासन द्वारा नदी-नालों की सफाई के लिए देश भर में अभियान चलाया जा रहा है। किंतु शहर के सूखा नाला में सभी अभियान पूरी तरह से बेअसर साबित हो रहे हैं।
अनुदान लेने तक सीमित एनजीओ-
जिले में कई स्वयंसेवी संस्थाएं सामाजिक कार्यों से जुड़ी हुई हैं। इसके एवज में उन्हें शासन की ओर से अपनी सहभागिता प्रदर्शित करने के लिए समय-समय पर अनुदान भी प्राप्त हो रहा है। किंतु जन अभियान परिषद द्वारा संबद्ध एनजीओ से नदी-नालों के सफाई अभियान में सहभागी बनाने के लिए कोई भी सक्रियता प्रदर्शित नहीं की जा रही है। गत वर्ष जन अभियान परिषद द्वारा नदी-नालों के सफाई के लिए एनजीओ के माध्यम से अभियान चलाया गया था किंतु शहर के हृदय स्थल में स्थित सूखा नाला के जीर्णाेद्धार एवं सफाई कराने के लिए अभी तक आवश्यकता नहीं समझी गई है।
कार्ययोजना बनाने में लापरवाह नपा-
सूखा नाला के जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण के लिए नगरपालिका सीधी द्वारा कई बार कार्ययोजना तैयार की गई किंतु उनमें सालों बाद भी अमल करने की जरूरत नहीं समझी जा रही है। जानकारों के अनुसार सूखा नाला के सफाई एवं सौंदर्यीकरण के लिए जिम्मेदार लोगों को शासन की ओर से भारी भरकम बजट की आवश्यकता है। यदि सालों बाद भी शासन की ओर से सूखा नाला के जीर्णोद्धार के लिए कोई मदद नहीं मिली तो इसके लिए जनसहयोग से भी अभियान शुरू करने की पहल हो सकती है। एक बार शुरूआत हो जाने पर सूखा नाला के जीर्णोद्धार के लिए हजारों लोगों से मदद भी सहर्ष ही मिलने लगेगी।
मिनी स्मार्ट सिटी मे किया गया है शामिल-
सूखा नाले का सौंदर्यीकरण का कार्य मिनी स्मार्ट सिटी मे शामिल किया गया है, धीरे-धीरे अन्य कार्य शुरू हो चुके हैं, सूखा नाले का भी कार्य प्रारंभ कराया जाएगा।
अमर सिंह परिहार
सीएमओ, नगर पालिका सीधी

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