मझौली की स्थिति सबसे भयावह
कुपोषण को लेकर मझौली इलाके की तस्वीर सबसे भयावह है। रिपोर्ट के अनुसार यहां 332 बच्चे अति कुपोषित पाए गए हैं। जबकि कुपोषित बच्चों की सख्या छह हजार है। इस परियोजना अंतर्गत 18 हजार 548 बच्चों का वजन कराया गया था, जबकि सर्वे में 21 हजार 119 बच्चे शामिल किए थे।
कुपोषण को लेकर मझौली इलाके की तस्वीर सबसे भयावह है। रिपोर्ट के अनुसार यहां 332 बच्चे अति कुपोषित पाए गए हैं। जबकि कुपोषित बच्चों की सख्या छह हजार है। इस परियोजना अंतर्गत 18 हजार 548 बच्चों का वजन कराया गया था, जबकि सर्वे में 21 हजार 119 बच्चे शामिल किए थे।
हाई बर्डन जिले में सीधी शामिल
भारत सरकार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा देश के 112 हाई बर्डन जिलों की हाल ही में एक सूची तैयार की गई है, उसमें प्रदेश के 12 जिले शामिल हैं। सूची में सीधी जिला भी शामिल है। प्रदेश के जो 12 जिले अब हाईबर्डन श्रेणी में शामिल हैं उनमें सिंगरौली, सीधी, बड़वानी, दमोह, विदिशा, बुरहानपुर, टीकमगढ़, दतिया, अलीराजपुर, राजगढ़, श्योपुर और शिवपुरी शामिल है। अब इन्हें कुपोषणमुक्त भारत मिशन 2022 के तहत वृहद कार्ययोजना बनाकर कुपोषण से मुक्ति दिलाई जाएगी।
भारत सरकार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा देश के 112 हाई बर्डन जिलों की हाल ही में एक सूची तैयार की गई है, उसमें प्रदेश के 12 जिले शामिल हैं। सूची में सीधी जिला भी शामिल है। प्रदेश के जो 12 जिले अब हाईबर्डन श्रेणी में शामिल हैं उनमें सिंगरौली, सीधी, बड़वानी, दमोह, विदिशा, बुरहानपुर, टीकमगढ़, दतिया, अलीराजपुर, राजगढ़, श्योपुर और शिवपुरी शामिल है। अब इन्हें कुपोषणमुक्त भारत मिशन 2022 के तहत वृहद कार्ययोजना बनाकर कुपोषण से मुक्ति दिलाई जाएगी।
ऐसे हुई गणना
पूरे देश में कुपोषण की स्थिति का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के परिणामों में बच्चों की स्टनिंग, अतिकम वजन तथा वेस्टिंग के आधार पर कुपोषितों की संख्या का आकलन किया गया। इससे मिले परिणामों के आधार पर हाईबर्डन जिले चिह्नित किए गए। इसमें देश के 112 जिले शामिल किए गए हैं।
पूरे देश में कुपोषण की स्थिति का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के परिणामों में बच्चों की स्टनिंग, अतिकम वजन तथा वेस्टिंग के आधार पर कुपोषितों की संख्या का आकलन किया गया। इससे मिले परिणामों के आधार पर हाईबर्डन जिले चिह्नित किए गए। इसमें देश के 112 जिले शामिल किए गए हैं।
यह होगा प्रयास
अब हाईबर्डन में शामिल प्रदेश के 12 जिलों को कुपोषण से मुक्ति के लिए शिशु एवं बाल आहार-व्यवहार, टीकाकरण, संस्थागत प्रसव, बचपन का विकास, फूड फोर्टिफिकेशन, स्वच्छ पेयजल की व्यवस्थाए व्यक्तिगत स्वच्छता तथा खाद्य विविधता की दिशा में व्यापक पैमाने पर काम किया जाएगा। इन घटकों के आधार पर संबंधित जिलों में वृहद कार्ययोजना बनाई जाएगी। 2022 तक इन जिलों को कुपोषण मुक्त करना होगा।
अब हाईबर्डन में शामिल प्रदेश के 12 जिलों को कुपोषण से मुक्ति के लिए शिशु एवं बाल आहार-व्यवहार, टीकाकरण, संस्थागत प्रसव, बचपन का विकास, फूड फोर्टिफिकेशन, स्वच्छ पेयजल की व्यवस्थाए व्यक्तिगत स्वच्छता तथा खाद्य विविधता की दिशा में व्यापक पैमाने पर काम किया जाएगा। इन घटकों के आधार पर संबंधित जिलों में वृहद कार्ययोजना बनाई जाएगी। 2022 तक इन जिलों को कुपोषण मुक्त करना होगा।
कुपोषण मिटाने का किया जा रहा है प्रयास
महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी अवधेश सिंह ने बताया कि जिले में लगातार कुपोषण मिटाने का प्रयास जारी है, जागरुकता की कमी के कारण लोगों को समुचित आहार की जानकारी ही नहीं है, जिसके कारण बच्चे के गर्भ में आने के बाद उसे आवश्यक पोषक तत्व नहीं दिया जाता है, जिसके कारण कुपोषण का दंश झेलना पड़ता है। सर्वे के बारे में मैं रिपोर्ट देखकर ही कुछ कह पाउंगा।
महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी अवधेश सिंह ने बताया कि जिले में लगातार कुपोषण मिटाने का प्रयास जारी है, जागरुकता की कमी के कारण लोगों को समुचित आहार की जानकारी ही नहीं है, जिसके कारण बच्चे के गर्भ में आने के बाद उसे आवश्यक पोषक तत्व नहीं दिया जाता है, जिसके कारण कुपोषण का दंश झेलना पड़ता है। सर्वे के बारे में मैं रिपोर्ट देखकर ही कुछ कह पाउंगा।