सिर्फ खास मौकों पर आती है महापुरूषों की याद
सीधीPublished: Oct 12, 2019 07:25:15 pm
सिर्फ खास मौकों पर आती है महापुरूषों की याद , परतिमाओं का नहीं रख-रखाव, जमी रहती है धूल
सीधी। शहीदों की चिताओं पर लगेगें हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा, शायर की यह पक्तियां आज पूरी तरह बेमानी साबित हो रही है। शहर में जगह-जगह लगी शहीदों महापुरूषों व समाजसेवियो की प्रतिमाएं का ठीक से रखरखाव न होने से कमोवेश यही संदेश जा रहा है। हाल यह है कि इन प्रतिमाओं के साफ-सफाई तक का इंतजाम नहीं हो रहा है। कुछ प्रतिमाएं टूटी-फुटी सी हो गई हैं। कई प्रतिमाएं धूल खा रही हैं, जिनकी नियमित सफाई तक नहीं होती। उन्हें केवल पुण्य तिथि व जयंती समारोह पर याद किया जाता है।
प्रतिमाओं की स्थापना के समय उनके सिद्धातों पर चलने की कसम खाई गई लेकिन हकीकत यह है कि अब वही प्रतिमाएं साल भर सफाई के लिए तरसती है। खास अवसरों पर लोगों व नगर पालिका को उनकी याद आती है और उस दौरान साफ-सफाई कर माला पहना दिए जाते हैं, अवसर बीतने के बाद फिर उनकी हालत बदतर हो जाती है। शहर मे लगभग आधा दर्जन प्रतिमाएं ऐसी हैं, जो धूल से सनी हुई हैं।
दो मर्तवा आती है महापुरूषों की याद-
बताते चलें कि देश का नाम रोशन करने वाले, देश के लिए मर मिटने वालो महापुरूषों की याद राजनीतिक दलो व नगर पालिका को वर्ष भर मे इनकी याद सिर्फ दो मर्तवा आती है। पहली बार इन महापुरूषों के जयंती पर तो दूसरी बार पुण्य तिथि पर, इस अवसर पर प्रतिमा की साफ-सफाई की जाती है, व माला पहनाने के बाद फिर लोग भुला देते हैं। बड़ा सवाल यह है कि देश के महापुरूषों के साथ ऐसा कब तक होता रहेगा।
इन स्थानो पर स्थापित हैं प्रतिमा-
शहर में करीब एक दर्जन से ज्यादा स्थानो पर महापुरूषो की प्रतिमाएं स्थापित की गई है। जिसमें सम्राट चौक पर सम्राट पृथ्वीराज चौहान, कलेक्ट्रेट चौक पर डॉ. भीमराव अंबेडकर, गांधी चौक पर महात्मा गांधी, मानस भवन के सामने पूर्व मंत्री चंद्रप्रताप तिवारी, पूजा पार्क मे जवाहरलाल नेहरू, दीनदयाल पार्क मे दीनदयाल उपाध्याय सहित अन्य स्थानो पर महापुरूषो की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, किंतु उनकी साफ-सफाई व रख-रखाव का ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस पर पर होती है सफाई-
शहर मे स्थापित महापुरूषों की प्रतिमाओं की सफाई व रंग रोदन कार्य विशेष अवसरो पर किया जाता है। स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर प्रतिमाओं की साफ-सफाई कर रात्रि मे लाइटिंग की ब्यवस्था की जाती है, अगले दिन से उन्हे भुला दिया जाता है।