सुविधा शुल्क मिलने के बाद मापदंडों पर खरी न उतरने वाली स्कूलों का भी नवीनीकरण जारी किया जा रहा है। जिसको लेकर पूर्व में निजी स्कूल संघ द्वारा कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर शिकायत भी की थी, किंतु कलेक्टर स्तर से किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई, जिससे इस काम में जुटे लिपिको के हौसले बुलंद हैं।
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पारदर्शिता के लिए नाम का पोर्टल
उल्लेखनीय है कि विगत दो वर्षों से कोरोना संक्रमण के कारण निजी स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण का काम नहीं हो पाया था, अब इस सत्र में नवीनीकरण का काम प्रारंभ किया गया है। शासन के द्वारा इस कार्य में पारदर्शिता बरतने के लिए सब काम पोर्टल के माध्यम से कर दिया गया है। जिसमें संचालकों को कार्यालय का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है।
सिर्फ ऑनलाइन आवेदन कर देना है, जिस पर बीआरसी की जिम्मेदारी होती है कि वह स्कूल में जाकर आरटीई के तहत जारी किए गए मापदंडाें की पूर्ति की गई है या नहीं उसके आधार पर पोर्टल पर ही अनुमोदन देना है, यदि मान्यता के लिए अनुमोदित कर दी जाती है तो जिला शिक्षा अधिकारी को मान्यता जारी कर देनी चाहिए, किंतु यहां यह नहीं हो रहा है, बल्कि स्कूल संचालकों को शिक्षा अधिकारी कार्यालय बुलाकर सौदेबाजी की जा रही है। जिससे कई संचालक परेशान हैं किंतु मान्यता में दिक्कत डालने के भय से अपना नाम प्रकाशित कराने से गुरेज बरत रहे हैं।