योजना लागू होने के बाद स्मार्ट पोषण गांव के रूप में जिले में परियोजनावार एक-एक गांव का चयन किया गया था। इसमें परियोजना सीधी-1 के तहत उपनी, परियोजना सीधी-2 के तहत खाम्ह, सिहावल परियोजना अंतर्गत कुचवाही, कुसमी परियोजना के तहत ग्राम ठाड़ीपाथर, रामपुर नैकिन परियोजना के तहत ग्राम झलवार, मझौली परियोजना के तहत दादर व चुरहट परियोजना के तहत टकटैया का चयन किया गया था।
विभागों को सौंपी थी ये जिम्मेदारी पीचई विभाग: चयनित किए गए गांवों में पीएचई विभाग के अधिकारी जल शुद्धीकरण और जल संरक्षण की ग्रामीणों को तकनीकि जानकारी देना। पानी के स्रोतों को साफ करने के लिए ब्लीचिंग पावडर पोटैशियम डालना आदि।
पशु पालन और मत्स्य विभाग: पशु पालन विभाग और मछली विभाग के अधिकारी मुर्गी पालन, मछली पालन, टीकाकरण और कृमिनाशक का कार्य करना था। कृषि विभाग: चयनित गांवों मे पोषण युक्त धान, चना, मसूर, अलसी, गेहूं, स्वीट कार्न के बीज उपलब्ध कराना था।
महिला बाल विकास: महिला बाल विकास विभाग द्वारा आंगनवाडिय़ों में संतुलित आहार उपलब्ध कराया जाना था, साथ ही सीजन वाले फलों का भंडारण का भी कार्य करना था। प्राइमरी हेल्थ विभाग: स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रत्येक माह इन गांवों में बच्चों का चेकअप किया जाना था। इसकी जवाबदारी प्राथमिक स्वास्थ्य विभाग की थी।
वन विभाग: वन विभाग उनके रेंज के अंतर्गत आने वाले पोषण से भरपूर फलों को एकत्र कर पहुंचाने मे मदद करना था।
कृषि विज्ञान केंद्र: कृषि विज्ञान केंद्र के बैज्ञानिकों को इन सभी विभागों के अधिकारियों को ट्रेनिंग देना था। इसके साथ ही गांवों में कैंपस के माध्यम से उत्पादन को लेकर प्रशिक्षण देने का काम करना था।
कृषि विज्ञान केंद्र: कृषि विज्ञान केंद्र के बैज्ञानिकों को इन सभी विभागों के अधिकारियों को ट्रेनिंग देना था। इसके साथ ही गांवों में कैंपस के माध्यम से उत्पादन को लेकर प्रशिक्षण देने का काम करना था।
मिलकर करना था प्रयास
चयनित गांवों को पोषण स्मार्ट गांव बनाने के लिए सात विभागों को मिलकर समन्वित प्रयाश करना था, जिसमें महिला बाल विकास, कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, पीएचई विभाग, वन विभाग, मछली पालन विभाग शामिल थे। वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के बैज्ञानिकों को इन विभागों की मदद करने की जिम्मदारी सौंपी गई थी। स्मार्ट पोषण गांव में प्रोटीन और विटामिन से युक्त फल और सब्जियों का मास्टर प्लान भी तैयार करना था, सब्जियों में सेम, बरबटी, भिंडी, लौकी, टमाटर, बैगन, मिर्च, कद्दू और तुर्रई को शामिल किया गया था। वहीं फलों मे नीबू, मुनगा, इमली, बेल, कैथा, अमरूद और पपीते को लिया गया था। सरकार की यह सोच थी कि इन फलों और सब्जियों का सेवन करने से चयनित किए गए गांवों में कोई भी बच्चा कुपोषित नहीं रहेगा।
चयनित गांवों को पोषण स्मार्ट गांव बनाने के लिए सात विभागों को मिलकर समन्वित प्रयाश करना था, जिसमें महिला बाल विकास, कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, पीएचई विभाग, वन विभाग, मछली पालन विभाग शामिल थे। वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के बैज्ञानिकों को इन विभागों की मदद करने की जिम्मदारी सौंपी गई थी। स्मार्ट पोषण गांव में प्रोटीन और विटामिन से युक्त फल और सब्जियों का मास्टर प्लान भी तैयार करना था, सब्जियों में सेम, बरबटी, भिंडी, लौकी, टमाटर, बैगन, मिर्च, कद्दू और तुर्रई को शामिल किया गया था। वहीं फलों मे नीबू, मुनगा, इमली, बेल, कैथा, अमरूद और पपीते को लिया गया था। सरकार की यह सोच थी कि इन फलों और सब्जियों का सेवन करने से चयनित किए गए गांवों में कोई भी बच्चा कुपोषित नहीं रहेगा।
चल रहा है काम
पोषण स्मार्ट गांव के रूप में चयनित जिले के सात गांवों में काम चल रहा है। वर्तमान में स्थिति क्या है, यह सीधी आकर ही बता पाऊंगा, अभी में बैठक में शामिल होने भोपाल आ गया हूं।
अवधेश सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास
पोषण स्मार्ट गांव के रूप में चयनित जिले के सात गांवों में काम चल रहा है। वर्तमान में स्थिति क्या है, यह सीधी आकर ही बता पाऊंगा, अभी में बैठक में शामिल होने भोपाल आ गया हूं।
अवधेश सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास