एक साल से तीन शावक रात में गांवों में दस्तक दे रहे
हैं। मवेशियों-बकरियों के शिकार भी कर रहे हैं। ग्रामीणों ने सूझबूझ और
सतर्कता पूर्वक न केवल जनहानि टाली, बल्कि क्षेत्र की शान और जंगल के राजा
के लिए गांव शिफ्टिंग को तैयार है।
सीधी। जिले के तीन गांव के लोगों ने वन्य प्राणी प्रेम की मिसाल पेश की है। एक साल से तीन शावक रात में गांवों में दस्तक दे रहे हैं। मवेशियों-बकरियों के शिकार भी कर रहे हैं। ग्रामीणों ने सूझबूझ और सतर्कता पूर्वक न केवल जनहानि टाली, बल्कि क्षेत्र की शान और जंगल के राजा के लिए गांव शिफ्टिंग को तैयार है। एक साल से बाघों के बीच रह रहे ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से गांव की शिफ्टिंग का विकल्प दिया है।
तीनों गांव कुना, कटहन और बिलहा है, जो संजय टाइकर रिजर्व के ब्यौहारी बफर जोन में है।
टाइगर रिजर्व के कोर एरिया के गांवों को शिफ्ट करने के नियम है और बफर जोन में शिफ्टिंग नहीं चल रही है। ग्रामीणों के प्रस्ताव को देखते हुए अधिकारियों ने वन्य प्राणी मुख्यालय भोपाल में शिफ्टिंग का प्रस्ताव भेजा है। तीनों गांव में लगभग 250 परिवार हैं। जबकि कोर एरिया के नौ गांवों के शिफ्टिंग का प्रस्ताव स्वीकृत हो गया है।समूह में करते हैं शिकारटाइगर रिजर्व की बाघिन टी-001 के चार शावक 18 माह के हो गए हैं। मादा शावक मां के साथ है, जबकि नर शावक कोर एरिया के दुबरी और बफर के ब्योहारी रेंज में रहते हैं। अक्सर वे समूह में भी शिकार करते हैं। सूत्रों के अनुसार, एक ही दिन में चार बकरियों को मार दिया। ये भी पढ़ें: चंबल की घाटी का दो करोड़ का ईनामी डाकू पंचम सिंह अब कर रहा ओम शांति का जाप
दो दिन पूर्व शाम को लगभग 20 लोग खड़े थे और उनसे थोड़ी दूरी पर गांव में चारा खा रही बकरी को बाघ उठा ले गया। ग्रामीणों ने बैठक कर वन अधिकारियों से प्रस्ताव रखा है। टाइगर रिजर्व ने एक साल के भीतर 71 लाख रुपए पशुहानि का कुल मुआवजा दिया है। बनास नदी कोर और बफर एरिया की सीमा रेखा है, जिसे पार कर बाघ गांव में आ रहे हैं।संजय टाइगर रिजर्व1674 वर्ग किमी एरिया13 (कुल) बाघ05 शावक