टमसार की सुमित्रा ने तकरीबन आधा दर्जन आदिवासी महिलाओं का समूह बनाया और नई तकनीक से कोदो-कुटकी का कारोबार करने का निर्णय लिया। प्रशासनिक की मदद से उन्होंने कोदो से चावल बनाने की मशीन खरीदी। अन्य महिलाओं की मदद से वह आसपास से कोदो खरीदकर उसका चावल बनाती हैं और बेहतर तरीके से पैकजिंग कर दिल्ली-मुंबई सहित बड़े महानगरों के होटलों में सप्लाई करती हैं। सोनांचल ब्रांड का उनका यह कोदो चावल काफी पसंद किया जा रहा है।

सुमित्रा ने बताया कि सीधी में कोदो चावल 100 रुपए किलो मिल जाता है, जबकि, दिल्ली-मुंबई में यह 150 से 180 रुपए किलो तक बिकता है। डिमांड भी अच्छी खासी है। उन्होंने बताया कि हर 10 दिन के अंतराल में 5 क्विंटल कोदो चावल तैयार कर आपूर्ति करती हैं। 3 महीने पहले ही शुरुआत किया है। सरकार की मदद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी आपूर्ति करना चाहती हैं।
सरकार करती है मदद
सीधी जिल में कोदो कुटकी को एक जिला, एक उत्पाद योजना के तहत शामिल किया गया है। यही वजह है कि प्रशासन इसके उत्पादन से लेकर पैके जिंंग, ब्रांडिग व मार्केटिंग तक मदद करती है। शुगर-फ्री होने के कारण यह चावल खाने के लिए चिकित्सक भी सुझाव देते हैं। यही वजह है कि बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है।
सीधी जिल में कोदो कुटकी को एक जिला, एक उत्पाद योजना के तहत शामिल किया गया है। यही वजह है कि प्रशासन इसके उत्पादन से लेकर पैके जिंंग, ब्रांडिग व मार्केटिंग तक मदद करती है। शुगर-फ्री होने के कारण यह चावल खाने के लिए चिकित्सक भी सुझाव देते हैं। यही वजह है कि बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है।
पोषक तत्वों से भरपूर है कोदो
कोदो-कुटकी से बने उत्पाद डायबिटीज व अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए उत्तम आहार है। चिकित्सक भी इसके सेवन की सलाह देते हैं। यही वजह है कि शहरों में यह खासा लोकप्रिय है। कम लागत व खाद, दवा कम पानी में भी यह हो जाता है।
कोदो-कुटकी से बने उत्पाद डायबिटीज व अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए उत्तम आहार है। चिकित्सक भी इसके सेवन की सलाह देते हैं। यही वजह है कि शहरों में यह खासा लोकप्रिय है। कम लागत व खाद, दवा कम पानी में भी यह हो जाता है।
कोदो में औषधीय गुण
कोदो भारत का एक प्राचीन अन्न है। इसे ऋ षि अन्न भी कहते हैं। इसके दाने में 8.3 प्रतिशत प्रोटीन, 1.4 प्रतिशत वसा व 65.9 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट होता है। कोदो का चावल मधुमेह नियंत्रण, गुर्दों व मूत्राशय संबंधी बीमारी के लिहाज से लाभकारी होता है। कोदो-कुटकी हाई ब्लडप्रेशर के रोगियों के लिए रामबाण है। इसमें चावल के मुकाबले कैल्शियम भी 12 गुना अधिक होता है। शरीर में आयरन की कमी दूर करता है। रासायनिक उर्वरक व कीटनाशक से मुक्त इस चावल में सभी पोषक तत्वों होते हैं, जो आयुर्वेदिक दवाओं का भी काम करते हैं।
कोदो भारत का एक प्राचीन अन्न है। इसे ऋ षि अन्न भी कहते हैं। इसके दाने में 8.3 प्रतिशत प्रोटीन, 1.4 प्रतिशत वसा व 65.9 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट होता है। कोदो का चावल मधुमेह नियंत्रण, गुर्दों व मूत्राशय संबंधी बीमारी के लिहाज से लाभकारी होता है। कोदो-कुटकी हाई ब्लडप्रेशर के रोगियों के लिए रामबाण है। इसमें चावल के मुकाबले कैल्शियम भी 12 गुना अधिक होता है। शरीर में आयरन की कमी दूर करता है। रासायनिक उर्वरक व कीटनाशक से मुक्त इस चावल में सभी पोषक तत्वों होते हैं, जो आयुर्वेदिक दवाओं का भी काम करते हैं।