बता दें कि सीधी-सिंगरौली मुख्य मार्ग से माइनर नहर किनारे से बटौली की ओर जाने वाली पगडंडी लोगों की समस्या का कारण बन गई है। बारिश के मौसम में तो इस मार्ग से पैदल निकलना भी मुश्किल रहता है। कच्ची सड़क में जगह-जगह बने खाईनुमा गड्ढों में पानी भर जाने और कीचड़ होने के कारण तो गांव के लोगों का निकलना दूभर रहता है।
ग्रामीणों का कहना है कि सड़क की समस्या को लेकर बटौली और पड़ैनिया पंचायत की सीमा पर बसे लोगों ने पहले बटौली पंचायत के सरपंच- सचिव से सड़क बनाने की फरियाद की और जब बात दो पंचायत के बीच में फंसी होने की बताई गई तो पड़ैनिया सरपंच से पहल करने की अपील की गई। दर्जनों की संख्या में समस्या सुनाने पहुंचे लोगों को आश्वस्त तो किया गया पर सड़क निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो सका। बताया जाता है कि बटौली पंचायत सरपंच ने लाकडाउन के दौरान बायपास से पड़ैनिया पंचायत तक की सीमा तक मुरमीकरण तो करा दिया लेकिन पड़ैनिया सरपंच की सहमति बाद भी करीब 300 मीटर तक की सड़क नहीं बनवा सके।
यहां यह भी बता दें कि सिंचाई विभाग से सड़क निर्माण की सहमति दी जा चुकी है और लंबे समय से माइनर नहर अनुपयोगी बनी हुई है। आवागमन की असुविधा को देखते हुए ही विभाग ने सड़क निर्माण की स्वीकृति दे दी थी पर दो पंचायतों के बीच में फंसी सड़क का निर्माण नहीं हेा सका है। इसी मार्ग से बटौली हरिजन व आदिवासी बस्ती के लोग आते-जाते हैं पर इनकी समस्या की ओर भी ध्यान नहीं दिया गया है।
ऐसे में दोनों पंचायतों के सरपंच-सचिवों से फरियाद करने के बाद लोगों ने जनपद अध्यक्ष सीधी से भी सड़क की समस्या सुनाई, पर कोई नतीजा नहीं निकल सका। ऐसे में बारिश का मौसम शुरू होते देख कीचड़ भरे मार्ग से आवागमन केा लेकर डरे लोगों ने आपस में चंदा एकत्र कर सड़क निर्माण की पहल शुरू कर दी है। मार्ग में जहां-जहां बड़े-बड़े गड्ढे बने हुए हैं वहां खुद के पैसे से मुरूम गिरा दी गई है। इसके साथ ही समतलीकरण का कार्य भी कराया जा रहा है।
जिला पंचायत अध्यक्ष से भी की फरियाद, नहीं निकला नतीजा बटौली और पड़ैनिया ग्राम पंचायत के झमेले में फंसी सड़क के निर्माण को लेकर दर्जन भर लोगों ने जनपद पंचायत सीधी के अध्यक्ष के यहां जाकर फरियाद तो की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका है। जनपद अध्यक्ष पति धर्मेंद्र सिंह परिहार ने आपसी सहमति बनाकर सड़क निर्माण कराने का आश्वासन तो जरूर दिया पर वे अंत तक सीईओ जिला पंचायत तथा कलेक्टर के यहां पहल करने की सलाह ही देते रहे। पीडि़त लोगों से मुलकात के दौरान उन्होंने यह जरूर कहा कि पड़ैनिया.बटौली मार्ग सुदूर सड़क में जुड़ा हुआ है जिस कारण मुरूम की ही नहीं बल्कि मजबूत सड़क का निर्माण होगा। उधर सड़क निर्माण को लेकर बटौली सरपंच कभी सांसदए विधायक से अतिरिक्त बजट दिलाने तो कभी पंचायत की राशि से मुख्य सड़क तक मार्ग को दुरूस्त करने की बात करते रहे पर आखिर तक वे भी सार्थक पहल नहीं कर सके। हर जगह से निराश होने के बाद ही लोगों ने चंदे से सड़क बनाना शुरू कर दिया है।
“बटौली गांव से बीचों बीच माइनर नहर के किनारे से निकलने वाले ढर्रे को दुरूस्त कराने गांव के संभ्रांत लोगों ने बटौली और पड़ैनिया सरपंच-सचिव के यहां पहल की किंतु कोई नतीजा नहंीं निकल सका है। बारिश के दिनों में मार्ग में निकलना मुश्किल हो जाता है। कई बार तो दुर्घटना के शिकार भी हो चुके हैं। समस्या गंभीर रही पर जनप्रतिनिधियों ने कोई ध्यान नहीं दिया है।”- आकाशराज पांडेय, स्थानीय निवासी
“बटौली और पड़ैनिया पंचायत की ठीक सीमा में कुछ नए लोगों ने घर बना लिया है तो यहां के पुराने बासिंदे भी सड़क की समस्या से परेशान रहे हैं। बारिश के समय आवागमन की असुविधा होने के कारण ही सड़क निर्माण की पहल की जा रही थी पर कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। इसीलिए पीडि़त लोगों ने आपस में चंदा कर सड़क निर्माण की खुद पहल की है। अब यह अलग बात है कि मुरमीकरण हो जाने के बाद पंचायत उसे अपना दिखाकर सरकारी पैसा हजम कर लें, पर अभी तो जरूरतमंदों ने जेब से खर्च कर मुरूम डलवाने का काम किया है।”- राजेंद्र पांडेय, स्थानीय निवासी