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सीधी में प्रशासन की लापरवाही से गहराया जल संकट, घर छोडऩे को मजबूर रहवासियों का छलका दर्द

locationसीधीPublished: Mar 10, 2019 05:20:21 pm

Submitted by:

Anil singh kushwah

सीधी जल प्रदाय योजना छह वर्ष से पड़ी अधूरी, पांच वर्ष में हल नहीं हुई पानी की समस्या

water crisis deeply with the administration's negligence

water crisis deeply with the administration’s negligence

सीधी. शहर में पेयजल की समस्या बिकराल है। खासकर, गर्मी सीजन में पर्याप्त पानी मिल सके, इसलिए लोग अपना खुद का मकान छोड़कर दूसरे मोहल्लों में बातौर किराएदार रहने लगते हैं। वार्ड-10 स्थित करौंदिया पानी टंकी के नीचे बसी कॉलोनी में भी कुछ ऐसी ही समस्या होती है। गिरते जलस्तर के कारण यहां के ट्यूबवेल हवा उगलने लगते हैं। मोहल्ले की संकरी गलियों में नगर पालिका के टैंकर भी नहीं पहुंच पाते। ऐसे में मोहल्लेवासियों के समक्ष पानी की किल्लत शुरू हो जाती है। लिहाजा गर्मी सीजन में यहां के लोग या तो गांव चले जाते हैं, या फिर दूसरे मोहल्लों में किराया का कमरा लेकर रहने लगते हैं। कई लोगों ने तो इसी चक्कर में घर बेच दिया है।
सीधी जल प्रदाय योजना छह वर्ष से अधूरी
बताया कि नगर पालिका प्रशासन को समस्या से कई बार अवगत कराया। कलेक्टर व सीएम हेेल्पलाइन में भी शिकायत की, लेकिन समाधान नहीं हुआ। नगर पालिका के अधिकारी पांच वर्ष से एक ही जवाब दे रहे हैं कि शीघ्र ही नवीन नलजल परियोजना से पानी सप्लाई शुरू कर दी जाएगी। रहवासियों ने बताया कि पहले तो मार्च में जलसंकट शुरू होता था। निजी ट्यूबवेल मार्च तक पानी देते थे, लेकिन साल-दर-साल जलस्तर नीचे खिसकता गया और अब जनवरी से साथ छोड़ देते हैं। करीब 20 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन सीधी जल प्रदाय योजना छह वर्ष बाद भी अधूरी है। इसे दो वर्ष में पूरा करना था, लेकिन निर्माण एजेंसी ने काम में गंभीरता नहीं दिखा रही। लिहाजा शहर के कई मोहल्लों में समस्या बनी हुई है।
रहवासियों का छलका दर्द
स्थानीय निवासी शिवेंद्र द्विवेदी ने बताया कि मोहल्ले के लोगों ने समस्या को लेकर नगर पालिका, कलेक्टर जनसुनवाई व सीएम हेल्पलाइन में कई बार शिकायत दर्ज कराई, लेकिन अब तक निराकरण नहीं किया गया। नगर पालिका के अधिकारी यही कहते हैं कि शीघ्र ही नवीन जल प्रदाय योजना शुरू की दी जाएगी। इससे समस्या हल हो जाएगी। लेकिन पता नहीं कब जल प्रदाया योजना शुरू होगी। वहीं कुंती विश्वकर्मा ने कहा कि पहले तो मार्च तक समस्या नहीं होती थी, लेकिन अब दिसंबर-जनवरी से ही ट्यूबवेल हवा उगलने लगते हैं। लोग दूसरे मोहल्लों में किराया का कमरा लेकर रहने चले जाते हैं।
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