बीपी सिंह ऊर्फ राजा बाबा परिचय के मोहताज नहीं हैं। इनके पास स्टेट गहरवार के नाम से 15 सौ गांवों की रियासत थी। जिनमें सात सौ गांव विंध्यक्षेत्र के थे। बाकी गांव वर्तमान उत्तरप्रदेश के थे। 70 के दशक में राजा बाबा की शादी मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह की बेटी वीणा सिंह से हुई। जानकारों की मानें तो शादी के बाद से अर्जुन सिंह ने ज्यादातर संपत्ति अपनी बेटी के नाम कर दी। इस बात को लेकर अर्जुन सिंह के छोटे बेटे अजय सिंह उर्फ राहुल के मन में कड़वाहट थी, जो आज भी बनी हुई है। जानकार बताते हैं कि अर्जुन सिंह की पत्नी सरोज सिंह का झुकाव हमेशा से बेटी वीणा सिंह और दामाद राजा बाबा की ओर रहा। संपत्ति विवाद के चलते अजय सिंह जीजा राजा बाबा व बहन वीणा सिंह से दूरी बनाकर रहे।
वर्ष 2013 के लोकसभा चुनाव में वीणा सिंह बतौर निर्दलीय प्रत्यशी चुनाव मैदान में कूद पड़ीं। चुनाव में वीणा सिंह को ६४ हजार के करीब वोट मिले थे। इसके बाद बीते विधानसभा चुनाव में बीपी सिंह बतौर कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव सिंगरौली विधानसभा क्षेत्र से लड़े। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी रामलल्लू बैस से महज छह हजार मतों से हार गये। विधानसभा चुनाव में भी राहुल सिंह का समर्थन अपने जीजा को नहीं मिला। इस तरह से घरेलू विवाद राजनीतिक मंच पर साफ देखने को मिली।
भोपाल स्थित अर्जुन सिंह की केरवा कोठी को लेकर राहुल सिंह व उनकी मां सरिता के बीच विवाद चल रहा है। मां सरिता कोठी अपने बेटी के नाम करना चाहती हैं। इस बात को लेकर राहुल सिंह अपनी मां व बहन से नाखुश हैं। इस पर बीपी सिंहका कहना था कि राहुल सिंह जी हमेशा राजनीतिक विरोध करते हैं। वे नहीं चाहते कि मैं राजनीति में कदम रखंू। उन्होंने संपत्ति जैसे विवाद को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने बताया कि दोनों परिवारों के बीच में किसी तरह का संपत्ति विवाद नहीं है।
वीणा सिंह से बातचीत
पत्रिका- मैडम आज की घटनाक्रम पर क्या कहना है।
वीणा सिंह- यह चर्चा का विषय नहीं है यह तो बहुत दुखद हुआ जो हुआ, सब कुछ मम्मा अपना दुख-दर्द कोर्ट जाकर पेश किया हैं, उन्होने न्याय मागा है, अब आगे देखिए क्या होता है।
वीणा- नहीं यह सब गलत इसमें कोई राजनीति नहीं है, पारिवारिक जो स्थिति थी, उस बजह से मम्मा को कोर्ट जाना पड़ा। पत्रिका- चुनाव के ठीक पहले इस तरह की स्थिति सामने आई है, इसे किस रूप मे देखना चाहिए।
वीणा- चुनावी सीजन से इस मामले का कोई लेना-देना नहीं है, इसके पूर्व विगत एक वर्ष से दाऊ साहब के सहयोगी रहे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, कमलनाथ सिंह सहित अन्य नेताओं को मम्मीजी द्वारा जानकारी दी थी, नेताओं द्वारा अजय सिंह को समझाइश भी दी गई थी किंतु वे नहीं समझे जिससे न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा है।