सीधी

दुनिया में अभी तक नहीं देखी गई होंगी इस तरह की रोटी, दंग रह जायेंगे आप इस रोटी को देखकर

ये है बापू व भरतबहादुर नाम के हाथियों की कहानी, रोजाना 13-13 रोटियां खा जाते हैं बापू व भरतबहादुर, कर्मचारी सा रूटीन

सीधीJan 14, 2018 / 04:54 pm

suresh mishra

world big roti in sidhi madhya pradesh

मनोज पांडेय @ सीधी। संजय दुबरी अभयारण्य में बाघों की निगरानी के लिए तैनात हाथियों (बापू और भरतबहादुर) की दिनचर्या किसी कर्मचारी से कम नहीं है। रोजाना सुबह-शाम स्नान, नास्ता और फिर निर्धारित 8 घंटे की ड्यूटी। सप्ताह में एक दिन अवकाश व भोजन के बाद आराम सब कुछ एक कर्मचारी की तरह उनकी भी दिनचर्या में शामिल हैं।
उनके देखरेख के लिए तैनात महवात ने बताया कि बापू और भरतबहादुर (दोनों हाथियों) को रोजाना 13-13 रोटियां खिलाई जाती हैं। दो रोटियां सुबह ड्यूटी में जाने के पहले नाश्ते के रूप में और 11 रोटियां ड्यूटी से लौटने के बाद शाम को दी जाती हैं। रोटियों का वजन करीब डेढ़ किलो रहता है, इन्हें देखकर पर्यटक भी रोमांचित हो उठते हैं। सेल्फी लेने से नहीं चूकते।
ऐसे तैयार होती हैं रोटियां
हांथियों के एक रोटी डेढ़ किलो आटे से बनाई जाती है। इनमें गेहूूं का आटा, बेसन, गुड़, सोयाबीन तेल व नमक की निर्धारित मात्रा शामिल होती है। पर्यटक इन रोटियों को देखकर काफी रोमांचित होते हैं और सेल्फी लेने से नहीं चूकते। मौसम के अनुसार इन्हे गन्ना भी खिलाया जाता है। सर्कोफेरवाल भी रोटियों में लेप लगाकर दिया जाता है। यह जेम की तरह होता है।
हाथी महोत्सव पर नहीं लिया जाता काम
गणेश चतुर्थी पर दुबरी अभ्यारण्य में 7 दिवसीय हाथी महोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान हाथियों से कोई काम नहीं लिया जाता है और इनकी पूजा की जाती है। पूरे सात दिनों तक हांथियों की मालिस करवाई जाती है और जितने मौसमी फल होते हैं उसका सेवन कराया जाता है। इसके साथ ही जबलपुर विटनरी कॉलेज से चिकित्सकों की टीम आती है जो हांथियों का संपूर्ण चेकअप करती है, किसी प्रकार की कमी पाए जाने पर उनका उपचार किया जाता है। गत वर्ष से इस महोत्सव में आम लोगों को भी शामिल किए जाने की छूट दी गई थी, जिसमे अभ्यारण्य के आस-पास के लोगों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया था। साथ ही दूर-दूर से पर्यटक भी हाथी महोत्सव को देखने के लिए पहुंचे थे।
वीकली ऑफ भी
ऐसा नहीं है कि बाघों की निगरानी के लिए तैनात हांथियों से प्रतिदिन ड्यूटी ली जाती है। किसी शासकीय व निजी अधिकारियों-कर्मचारियों की तरह ही इन हांथियों को भी सप्ताह मेें एक दिन अवकाश मिलता है। इनका वीकली ऑफ मंगलवार को निर्धारित है, इस दिन इनसे कोई काम नहीं लिया जाता, ये दिन इनकी मौज-मस्ती व आराम का दिन होता है।
2014 में आए थे हाथी
बाघों की निगरानी करने के लिए कान्हा नेशलन पार्क से वर्ष 2014 में संजय टाइगर रिजर्व में बापू एवं भरतबहादुर दो हाथियों को लाया गया था। तब से ये संजय दुबरी अभ्यारण्य में ही तैनात हैं। महावत सोनू उइके व रामप्रताप मरावी भी उनके साथ ही यहां आए थे। हाथियों की देखभाल करने एवं भोजन की समुचित व्यवस्था के लिए लाल प्रताप यादव व हीरेंद्र यादव तैनात हैं।
ये है दिनचर्या
बाघों की निगरानी के लिए तैनात हाथी बापू और भरतबहादुर को महावत रोजाना सुबह पांच बजे उठने के बाद स्नान कराते हैं। सुबह ७ बजे नाश्ते के रूप में दो-रोटियां खिलाई जाती हैं। फिर वे ड्यूटी के लिए जंगल की ओर रवाना हो जाते हैं। यहां बाघों की निगरानी की जाती है। जंगल से लौटने के बाद सुबह 11 बजे उन्हें एक-एक किलो गुड़ व नारियल के दो-दो भेले खिलाए जाते हैं। इसके बाद जंजीर से उनके पैर बांधकर खुला छोड़ दिया जाता है। अपराह्न करीब 3.30 बजे तक महावत उन्हें तलाश कर लाते हैं और पुन: स्नान कराते हैं। फिर भोजन में 11-11 रोटियां खिलाईं जाती हैं। इसके बाद पुन: जंगल की ओर छोड़ दिया जाता है।
सप्ताह में एक दिन हेल्थ चेकअप
हांथियों को किसी प्रकार की बीमारी न हो इसके लिए प्रति सप्ताह उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी करवाया जाता है। संजय टाइगर रिजर्व में पदस्थ चिकित्सक डॉ. अभय सेंगर द्वारा हाथियों द्वारा प्रति सप्ताह स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है।
हांथियों को जो भोजन दिया जाता है उससे हांथियों का पेट नहीं भरता, भोजन की आपूर्ति के लिए उन्हे जंगल में पत्तियां खाने के लिए छोड़ा जाता है। यह भोजन तो हांथी और महावत के बीच प्रेम संबंध बनाने की एक कड़ी है, और यही इस भोजन का प्रमुख उद्देश्य भी है।
बीरभद्र सिंह, वनपरिक्षेत्राधिकारी, संजय दुबरी अभयारण्य
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.