ये है मामला
बताया गया कि जिस उद्देश्य से कलेक्ट्रेट के सामने वीथिका भवन का निर्माण कराया गया था, उसमें प्रशासनिक उपेक्षा के चलते पानी फिरता नजर आ रहा है। इसके बड़े भाग को प्रशासन ने कार्यालय संचालित करने के लिए दे दिया है और करीब एक सैकड़ा पौराणिक प्रतिमाएं व पुरातत्व अवशेष छोटे से कक्ष में कैद हैं। जिलेभर से एकत्र पौराणिक प्रतिमाएं व पुरावशेषों को व्यवस्थित करने पुरातत्व विभाग ने 1988 में वीथिका भवन का निर्माण कराया था, लेकिन स्टाफ का अभाव और प्रशासनिक उपेक्षा के चलते यह अराजक तत्वों का अड्डा बन गया है। सुरक्षा एक चौकीदार के भरोसे थीं, लेकिन अब वह भी नहीं है। पहले दो चौकीदार थे, लेकिन हटा दिया।
बताया गया कि जिस उद्देश्य से कलेक्ट्रेट के सामने वीथिका भवन का निर्माण कराया गया था, उसमें प्रशासनिक उपेक्षा के चलते पानी फिरता नजर आ रहा है। इसके बड़े भाग को प्रशासन ने कार्यालय संचालित करने के लिए दे दिया है और करीब एक सैकड़ा पौराणिक प्रतिमाएं व पुरातत्व अवशेष छोटे से कक्ष में कैद हैं। जिलेभर से एकत्र पौराणिक प्रतिमाएं व पुरावशेषों को व्यवस्थित करने पुरातत्व विभाग ने 1988 में वीथिका भवन का निर्माण कराया था, लेकिन स्टाफ का अभाव और प्रशासनिक उपेक्षा के चलते यह अराजक तत्वों का अड्डा बन गया है। सुरक्षा एक चौकीदार के भरोसे थीं, लेकिन अब वह भी नहीं है। पहले दो चौकीदार थे, लेकिन हटा दिया।
54 प्रतिमाएं संग्रहित
वीथिका भवन में चतुर्भुजी, नवगृह, चतुर्भुजी सूर्य , द्विभुजी कार्तिदेव, द्विभुजी सूर्य, लक्ष्मीनारायण, खंडित विष्णु, खंडित नंदी, विष्णुमस्तक, मालाधारी गंधर्व, विष्णुमस्तक, कृष्णजन्म, देव आवक्ष, गणेश मस्तक, सनाल पद्म, देवी आवक्ष, स्थापत्य खंड, ध्यान मुद्रा मे देव, नायिका, चतुर्भुज देवता, गणेश, शिला लेख, चतुर्भुजी देव, अलंकृत स्थापत्य खंड, गजमुख, कमल फुल्ला सहित 54 प्रतिमाएं संग्रहित की गई हैं।
वीथिका भवन में चतुर्भुजी, नवगृह, चतुर्भुजी सूर्य , द्विभुजी कार्तिदेव, द्विभुजी सूर्य, लक्ष्मीनारायण, खंडित विष्णु, खंडित नंदी, विष्णुमस्तक, मालाधारी गंधर्व, विष्णुमस्तक, कृष्णजन्म, देव आवक्ष, गणेश मस्तक, सनाल पद्म, देवी आवक्ष, स्थापत्य खंड, ध्यान मुद्रा मे देव, नायिका, चतुर्भुज देवता, गणेश, शिला लेख, चतुर्भुजी देव, अलंकृत स्थापत्य खंड, गजमुख, कमल फुल्ला सहित 54 प्रतिमाएं संग्रहित की गई हैं।
वीथिका भवन में संग्रहित पुरावशेष
वीथिका भवन में 10वीं से 19वीं शताब्दी तक के करीब 40 पुरावशेष संग्रहित हैं। इनमें सती स्तंभ, योद्धा, सती स्तंभ अश्व सहित पंचायतन शिवलिंग, हनुमान उध्र्वभाग, रत्नपुष्प पत्रिका, सिरदल, उमा महेश्वर, द्वादसा खंड, स्तंभ पत्रिका, महिशासुर मर्दनी, देव प्रतिमा, नंदी खंडित, अलंकृत द्वार, अमल सारिका, गणेश उद्र्धभाग, देवी प्रतिमा, नंदी, आमलक, नायिका का उद्र्धभाग, देव प्रतिमा पैर, विष्णुप्रतिमा खंड, युगल प्रतिमा खंड, देव प्रतिमा उद्र्धभाग, उमामहेश्वर प्रतिमा, जलहली, पूजा, शिवलिंग, अमल सारिका शामिल हैं।
वीथिका भवन में 10वीं से 19वीं शताब्दी तक के करीब 40 पुरावशेष संग्रहित हैं। इनमें सती स्तंभ, योद्धा, सती स्तंभ अश्व सहित पंचायतन शिवलिंग, हनुमान उध्र्वभाग, रत्नपुष्प पत्रिका, सिरदल, उमा महेश्वर, द्वादसा खंड, स्तंभ पत्रिका, महिशासुर मर्दनी, देव प्रतिमा, नंदी खंडित, अलंकृत द्वार, अमल सारिका, गणेश उद्र्धभाग, देवी प्रतिमा, नंदी, आमलक, नायिका का उद्र्धभाग, देव प्रतिमा पैर, विष्णुप्रतिमा खंड, युगल प्रतिमा खंड, देव प्रतिमा उद्र्धभाग, उमामहेश्वर प्रतिमा, जलहली, पूजा, शिवलिंग, अमल सारिका शामिल हैं।