बंदूक की नाल शुभम की ओर थी। सीने में गोली लगने से शुभम वहीं गिर पड़ा। तेज धमाके की आवाज सुनकर परिवार के लोग पीछे की ओर भाग कर गए। वे तुरंत शुभम को एसके अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां पर शुभम की मौत हो गई। बच्चे की मौत की सूचना मिलने पर सदर थानाधिकारी विजय सिंह गांव में पहुंचे। उन्होंने परिवार के लोगों से घटना के बारे में पूछताछ की। वहीं एसके अस्पताल में मेडिकल बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम करवाया गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
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दीवाली पर घर आया था राधेश्याम
गणपत ने बताया कि बड़े भाई रामलाल के साथ वह खेतीबाड़ी का काम करते हैं। दो भाई प्रहलाद व राधेश्याम दोनों ही सेना में है। प्रहलाद अभी इलाहाबाद में है और राधेश्याम जैसलमेर में है। उन्होंने बताया कि चारों भाई एक साथ ही रहते हैं। राधेश्याम दो महीने पहले दीवाली पर छुट्टियों पर घर आया था। 10 दिन रुकने के बाद वह चला गया था।
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लापरवाही : रात को लोड कर बंदूक रख गए बावरिया
गणपतलाल ने बताया कि रात को बिना किसी को बताए बावरिया बंदूक घर के पीछे बाड़े में रख कर चले गए। इसका उन्हें पता ही नहीं चला। बंदूक बारूद से भरी हुई थी। बावरिया खेतों में जंगली जानवरों को भगाने के लिए टोपीदार बंदूक का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने बताया कि पास में ही बावरियों का परिवार रहता है। लोग उन्हें खेतों की रखवाली के लिए रखते हैं। पहले कभी उनके घर पर बंदूक नहीं रखी थी। बावरिया की तलाश हो रही है।