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बंदूक से खेलते वक्त दबा ट्रिगर, जवान के इकलौते बेटे की गोली लगने से मौत

locationसीकरPublished: Jan 13, 2020 11:27:41 am

Submitted by:

Naveen

सिहोटी छोटी में रविवार सुबह टोपीदार बंदूक से खेल रहे बच्चे ( Boy Died Due to Shot by Gun ) की सीने में गोली लगने से मौत ( Boy Died in Sikar ) हो गई। बच्चे के पिता सेना में जैसलमेर में नियुक्त हैं।

बंदूक से खेलते वक्त दबा ट्रिगर, जवान के इकलौते बेटे की गोली लगने से मौत

बंदूक से खेलते वक्त दबा ट्रिगर, जवान के इकलौते बेटे की गोली लगने से मौत

सीकर.

सिहोटी छोटी में रविवार सुबह टोपीदार बंदूक से खेल रहे बच्चे ( Boy Died Due to Shot by Gun ) की सीने में गोली लगने से मौत ( Boy Died in Sikar ) हो गई। बच्चे के पिता सेना में जैसलमेर में नियुक्त हैं। मासूम परिवार में इकलौता बेटा था। सदर पुलिस ने मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया। बच्चे के चाचा गणपतलाल की शिकायत पर सदर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। उन्होंने बताया कि शुभम (11) पुत्र राधेश्याम दादा हरदेवाराम के घर पर सुबह चला गया था। करीब नौ बजे वह घर के पीछे बने बाड़े में अन्य बच्चों के साथ खेलने लग गया। तभी उन्हें टोपीदार बंदूक रखी हुई मिल गई। इसके बाद बंदूक से बच्चे खेलने लग गए। खेलने के दौरान ही बंदूक का ट्रिगर दब गया।

बंदूक की नाल शुभम की ओर थी। सीने में गोली लगने से शुभम वहीं गिर पड़ा। तेज धमाके की आवाज सुनकर परिवार के लोग पीछे की ओर भाग कर गए। वे तुरंत शुभम को एसके अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां पर शुभम की मौत हो गई। बच्चे की मौत की सूचना मिलने पर सदर थानाधिकारी विजय सिंह गांव में पहुंचे। उन्होंने परिवार के लोगों से घटना के बारे में पूछताछ की। वहीं एसके अस्पताल में मेडिकल बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम करवाया गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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दीवाली पर घर आया था राधेश्याम
गणपत ने बताया कि बड़े भाई रामलाल के साथ वह खेतीबाड़ी का काम करते हैं। दो भाई प्रहलाद व राधेश्याम दोनों ही सेना में है। प्रहलाद अभी इलाहाबाद में है और राधेश्याम जैसलमेर में है। उन्होंने बताया कि चारों भाई एक साथ ही रहते हैं। राधेश्याम दो महीने पहले दीवाली पर छुट्टियों पर घर आया था। 10 दिन रुकने के बाद वह चला गया था।

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लापरवाही : रात को लोड कर बंदूक रख गए बावरिया
गणपतलाल ने बताया कि रात को बिना किसी को बताए बावरिया बंदूक घर के पीछे बाड़े में रख कर चले गए। इसका उन्हें पता ही नहीं चला। बंदूक बारूद से भरी हुई थी। बावरिया खेतों में जंगली जानवरों को भगाने के लिए टोपीदार बंदूक का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने बताया कि पास में ही बावरियों का परिवार रहता है। लोग उन्हें खेतों की रखवाली के लिए रखते हैं। पहले कभी उनके घर पर बंदूक नहीं रखी थी। बावरिया की तलाश हो रही है।

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