524 मामलों में 30 वर्ष से तारीख पर तारीख
11006 केस 20 से 30 वर्ष से पेंडिंग
73793 मामले 10 से 20 वर्ष से लंबित
86520 केस 5 से 10 साल से पेंडिंग
75334 मामले 3 से 5 वर्ष से लंबित
(17 दिसम्बर 2021 तक की स्थिति)
प्रयास तो हुए, लेकिन कम नहीं हो रहे लंबित मामले
– इन्फ्रास्ट्रक्चर : जिला और अधिनस्थ न्यायालयों में अवसंरचना में सुधार। इसके तहत 2025-26 तक देश में 9000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। राजस्थान में 311 न्यायालय परिसर हैं।
– ई न्यायालय मिशन मोड : देश के 98.7 प्रतिशत न्यायालय परिसरों में डब्ल्यूएएन कनेक्टिविटी।
– वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग : 3240 न्यायालयों परिसरों व 1272 कारागारों के बीच वीसी सुविधा।
-ई-सुनवाई : कोविड लॉकडाउन शुरू होने के समय से 31 अक्टूबर 2021 तक केवल वीसी के जरिए देश के जिला न्यायालयों ने 10177289 और उच्च न्यायालयों ने 5524021 सुनवाइयां।
– बकाया समितियां : इसके जरिए लंबित मामलों में कमी लाना।
– त्वरित निपटान न्यायालय : जघन्य, महिलाओं व बच्चों के विरुद्ध अपराधों के लिए देश में 914 त्वरित निपटान न्यायालय।
– एफटीएससी : देश में वर्तमान में 681 त्वरित निपटान विशेष न्यायालय (एफटीएससी) कार्यरत हैं। जिनमें से 381 विशिष्ट पोक्सो न्यायालय भी हैं।
– ग्राम न्यायालय : राजस्थान में 45 ग्राम न्यायालय अधिसूचित और प्रचालित किए गए हैं।
बगैर भवन के कई अदालतें
प्रदेश में 99 लोअर कोर्ट सिर्फ इसलिए नहीं चल पा रही हैं, क्योंकि सरकार ने उनके लिए भवन उपलब्ध नहीं करवाए हैं। वह भी तब जब लोअर कोर्ट में पेंडिंग केसों की संख्या 19 लाख से ज्यादा हैं। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने इस संबंध में पिछले साल जुलाई में विधि विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर कहा था कि वे मुख्य सचिव से समन्वय कर भवनों का इंतजाम करवाएं।
नियमित स्थगन से भी बढ़ रही पेंडेंसी
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बार-बार के स्थगन से कानूनी प्रक्रिया धीमी होती है। कुछ वादियों की बार-बार सुनवाई टलवाने की रणनीति से दूसरे पक्ष के न्याय में देरी होती है। इसलिए अब अदालतें नियमित रूप से स्थगन नहीं देंगी।
एक्सपर्ट व्यू : बार व बैंच को करने होंगे समन्वित प्रयास
मध्यस्थता और लोक अदालतों से काफी हद तक पेंडेंसी कम होगी। सप्ताह में एक ऐसा विशेष दिन तय कर लंबित मामले निपटाने होंगे। न्यायाधीशों की पद रिक्तता भी अपनी जगह है, लेकिन बार और बैंच के समन्वित प्रयासों से लंबित मामलों में कमी लाई जा सकती है। लगातार स्थगन के ट्रेंड को तोडऩा होगा। अब आपात स्थिति में ई सुनवाई भी विकल्प है।
राजेश पंवार, चेयरमैन, बार काउंसिल ऑफ राजस्थान